नई दिल्लीः रविवार को केंद्रीय आर्य युवक परिषद में श्रावणी पर्व और रक्षाबंधन के विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया. कोरोना काल में परिषद का ये 67वां वेबिनार था. जिसमें सभी ने नारी जाति की रक्षा और राष्ट्र रक्षा का संकल्प दोहराया.
इस गोष्ठी में वैदिक विदुषी, दर्शनाचार्या विमलेश बंसल ने कहा कि श्रावणी का अर्थ होता है आर्ष ग्रंथों का सुनना, सुनाना, पढ़ना-पढ़ाना. हमें इस दिन यज्ञ, योग और स्वास्थ्य का संकल्प लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि मुनि पुरातन काल में सामान्य जनों को वेदों और शास्त्रों के ज्ञान देने के लिए अपनी गुफाओं से निकलते थे.
केंद्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि स्वास्थ्य न करने के कारण ही हम सच्चे साधु, संत, महात्मा, गुरु की पहचान करने में असमर्थ रहते हैं. वर्तमान में तथाकथित गुरुओं के बहकावे में आकर अंधविश्वास, पाखंड, रूढ़िवाद में फंस जाते हैं.
उन्होंने कहा कि वेद ज्ञान हमें पाखंड, अंधविश्वास, रूढ़िवाद से दूर करता है और सच्चे परमात्मा से जोड़ने का कार्य करता है. श्रावणी पर्व पर ऋषियों के माध्यम से स्वाध्याय और आर्ष ग्रन्थों को श्रवण कर सकते हैं.