नई दिल्ली: हिंदू धर्म में विजया एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है. इस दिन व्रत-पूजा करने से कई प्रकार के दोषों से मुक्ति तो मिलती ही है, साथ ही अपार पुण्य की भी प्राप्ति होती है. विजया एकादशी के व्रत को विजय प्रदान करने वाला व्रत कहा जाता है. इसके करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
विजया एकादशी का व्रत आज यानी 16 फरवरी (गुरुवार) को किया जाएगा. किसी भी नए कार्य की शुरुआत करने के लिए विजया एकादशी का दिन बहुत शुभ माना गया है. मान्यता है कि विजया एकादशी के दिन शुरू किए गए नए कार्य, भगवान विष्णु की कृपा से संपन्न होते हैं.साथ ही यह भी कहा जाता है कि जब आप संकट में हों और शत्रु आप पर हावी हो रहा हो तो ऐसी परिस्थितियों में विजया एकादशी, आपको शत्रु पर विजय दिलाने की क्षमता रखती है.
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में कई राजा-महाराजाओं ने विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से अपनी हार को जीत में बदल दिया था. इतना ही नहीं, स्वयं भगवान राम ने भी लंका पर विजय हासिल करने के लिए विजया एकादशी का व्रत किया था. इसके बारे में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था. इस बार विजया एकादशी पर तीन विशेष शुभ योग बन रहे है.
विजया एकादशी शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:13 PM से शुरू होगा जो कि 12:58 PM पर समाप्त होगा.
विजया मुहूर्त: दोपहर 2:27 PM से शुरू होगा जो 3:12 PM पर समाप्त होगा.
गोलूधी मुहूर्त: शाम 6:09 PM पर शुरू होगा जो शाम 6:35 PM तक रहेगा.
विजया एकादशी पर न करें ये कार्य- विजया एकादशी के दिन तामसिक भोजन जैसे मांस, प्याज और लहसुन का सेवन ना करें. साथ ही किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से भी दूर रहें. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध भी नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है. विजया एकादशी के दिन विशेष तौर पर ख्याल रखें कि किसी से भी गलत वाणी का प्रयोग ना करें और न ही किसी पर गुस्सा करें. इस दिन चावल खाना वर्जित है अत: चावल का सेवन भूलकर भी न करें.
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