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हज़रत निज़ामुद्दीन की दरगाह पर बिखरा वसंत का रंग, कव्वाली ने बांधा समां

हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह पर वसंत की धूम मची है. सूफी वसंत हर साल यहां दस्तक देता है. वसंत पंचमी के मौके पर यहां पीले रंग के लिबास में सजे कव्वाल अमीर खुसरो के गीत गाते हैं.

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Published : Jan 30, 2020, 1:35 AM IST

Updated : Jan 30, 2020, 11:50 AM IST

vasant panchami festival celebrated in hazrat nizamuddin dargah delhi
हज़रत निज़ामुद्दीन दरगाह etv bahrat

नई दिल्ली: हिंदुस्तान के मशहूर सूफी संत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह में वसंत पंचमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम के साथ मनाया गया. इसमें बड़ी संख्या में सभी धर्मों के लोगों ने शिरकत की और देश में अमन शांति के लिए दुआ की.

vasant panchami festival celebrated in hazrat nizamuddin dargah delhi
वसंत पंचमी के मौके पर पीले लिबास में कव्वाल

इसलिए चढ़ाए जाते हैं पीले फूल
बता दें कि वसंत पंचमी के मौके पर हर मजहब के लोगो बड़ी संख्या में दरगाह शरीफ में आते हैं और पीले फूल और पीली चादर चढ़ाते हैं. इस मौके पर दरगाह में अमीर ख़ुसरो के गीत गाए जाते हैं. कहा जाता है कि अमीर ख़ुसरो ने अपने पीर हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया को खुश करने के लिए पीले वस्त्र पहनकर, सरसों के पीले फूल उन्हें चढ़ाए थे और ढोल के गीत गाकर उन्हें खुश कर दिया था.

अमीर ख़ुसरो के 'आज बसंत मनाले सुहागन, आज बसंत मना ले' इस कलाम से पूरी दरगाह गूंज उठी. पीले फूलों से सराबोर दरगाह को देखकर लग रहा था मानो वसंत यहीं उतर आया हो. वसंत पंचमी के मौके पर दरगाह शरीफ इसी रंग में रंगी नजर आती है.

सभी कव्वाल और खुद्दाम पीले लिबास में
अमीर ख़ुसरो को याद करते हुए सभी सूफी कव्वाल, सूफी संत पीले रंग के लिबास में नजर आए और आमिर खुसरो के कलाम को गाया.

700 सालों से मनाया जाता है बसंत मुबारक कार्यक्रम
बसंत पंचमी को लेकर दरगाह शरीफ के चीफ इंचार्ज हाजी सय्यद मोहम्मद काशिफ अली निज़ामी ने बताया की तमाम चिश्ती दरगाहों पर वसंत पंचमी के अवसर पर बसंत मुबारक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के त्योहार का बड़ा महत्व है. इस दिन को विद्या की देवी सरस्वती के उद्गम दिवस के रूप में मनाया जाता है. काशिफ निजामी का कहना है कि 700 सालों से दरगाह पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है.

नई दिल्ली: हिंदुस्तान के मशहूर सूफी संत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह में वसंत पंचमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम के साथ मनाया गया. इसमें बड़ी संख्या में सभी धर्मों के लोगों ने शिरकत की और देश में अमन शांति के लिए दुआ की.

vasant panchami festival celebrated in hazrat nizamuddin dargah delhi
वसंत पंचमी के मौके पर पीले लिबास में कव्वाल

इसलिए चढ़ाए जाते हैं पीले फूल
बता दें कि वसंत पंचमी के मौके पर हर मजहब के लोगो बड़ी संख्या में दरगाह शरीफ में आते हैं और पीले फूल और पीली चादर चढ़ाते हैं. इस मौके पर दरगाह में अमीर ख़ुसरो के गीत गाए जाते हैं. कहा जाता है कि अमीर ख़ुसरो ने अपने पीर हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया को खुश करने के लिए पीले वस्त्र पहनकर, सरसों के पीले फूल उन्हें चढ़ाए थे और ढोल के गीत गाकर उन्हें खुश कर दिया था.

अमीर ख़ुसरो के 'आज बसंत मनाले सुहागन, आज बसंत मना ले' इस कलाम से पूरी दरगाह गूंज उठी. पीले फूलों से सराबोर दरगाह को देखकर लग रहा था मानो वसंत यहीं उतर आया हो. वसंत पंचमी के मौके पर दरगाह शरीफ इसी रंग में रंगी नजर आती है.

सभी कव्वाल और खुद्दाम पीले लिबास में
अमीर ख़ुसरो को याद करते हुए सभी सूफी कव्वाल, सूफी संत पीले रंग के लिबास में नजर आए और आमिर खुसरो के कलाम को गाया.

700 सालों से मनाया जाता है बसंत मुबारक कार्यक्रम
बसंत पंचमी को लेकर दरगाह शरीफ के चीफ इंचार्ज हाजी सय्यद मोहम्मद काशिफ अली निज़ामी ने बताया की तमाम चिश्ती दरगाहों पर वसंत पंचमी के अवसर पर बसंत मुबारक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के त्योहार का बड़ा महत्व है. इस दिन को विद्या की देवी सरस्वती के उद्गम दिवस के रूप में मनाया जाता है. काशिफ निजामी का कहना है कि 700 सालों से दरगाह पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है.

Intro:

नई दिल्ली:हिंदुस्तान के मशहूर सूफ़ी बुज़ुर्ग ख्वाजा सय्यद मोहम्मद निजामुद्दीन औलिया (र. अ) में बसंत पंचमी का तेहवार बड़ी धूम धाम के साथ मनाया गया. जिसमे बड़ी संख्या मे सभी धर्मो के लोगो ने शिरकत की और देश मे अमन शांति के लिए दुआ की.

बता दे कि बसंत पंचमी के मौके पर हर मजहब के जायरीन बड़ी संख्या में दरगाह शरीफ पर आते हैं और पीले फूल और पीली चादर चढ़ाते हैं. वहीं इस मौके पर दरगाह में आमिर खुसरो के गीत गाए जाते हैं. कहा जाता है कि आमिर खुसरो ने अपने पीर निजामुद्दीन औलिया को खुश करने के लिए पीले वस्त्र पहनकर, सरसों के पीले फूल उन्हें चढ़ाए थे और ढोल बजाकर गीत गाकर उन्हें खुश कर दिया था.


आमिर खुसरो के 'आज बसंत मना ले सुहागन आज बसंत मना ले' इस कलाम से गूंज उठी हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह. पीले फूलों से सराबोर दरगाह को देखकर लग रहा था मानो बसंत यही उतर गया हो. बसंत पंचमी के मौके पर दरगाह शरीफ इसी रंग में रंगी नजर आई. वहीं जायरीन ने महफिल सजाई तो कव्वालों ने उसमें चार चांद लगा दिए.


सभी क़व्वाल और खुद्दाम पीले लिबास मे नज़र आते है

आमिर खुसरो को याद करते हुए सभी सूफी कव्वाल सूफी संत पीले रंग के लिबास में नजर आते हैं और आमिर खुसरो के कलाम- आज बसंत मना ले सुहागन आज बसंत बना ले, फूल रही सरसों आदि गाकर औलिया को खुश करते हैं. इसके अलावा हर मजहब के जायरीन दरगाह पर पीले रंग की चादर और पीले फूल चढ़ाते हैं.Body:

700सालों से मनाया जाता है बसंत मुबारक कार्यक्रम



बसंत पंचमी को लेकर दरगाह शरीफ के चीफ इंचार्ज हाजी सय्यद मोहम्मद काशिफ अली निज़ामी ने बताया कि क़रीब तमाम चिश्ती दरगाहों पर बसंत पंचमी के अवसर पर बसंत मुबारक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म में बसंत पंचमी के त्योहार का बड़ा महत्व है. इस दिन को विद्या की देवी सरस्वती के उद्गम दिवस के रूप में मनाया जाता है. काशिफ निजामी का कहना था की 700 सालों से दरगाह पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता आ रहा है.
Conclusion:बाईट :काशिफ अली निज़ामी
चीफ इंचार्ज, दरगाह शरीफ


Bite:ज़ायरीन
Last Updated : Jan 30, 2020, 11:50 AM IST
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