नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से राजधानी में प्रदूषण कम होने का श्रेय लेने को हास्यास्पद बताया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली की सड़कों की हालत बहुत खराब है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट दम तोड़ रहा है, जिससे सबसे ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है. यमुना की सफाई के लिए सरकार ने एक भी कदम नहीं उठाया. दिल्ली में अगर प्रदूषण कम हुआ है तो वह केंद्र सरकार के प्रयासों से ही संभव हो सका है.
बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल ने फिर सफेद झूठ बोला है कि दिल्ली के किसान पराली नहीं जला रहे हैं. सरकार द्वारा सुझाए गए घोल से पराली नष्ट कर रहे हैं. जबकि सच्चाई यह है कि दिल्ली का एक भी किसान इस घोल का इस्तेमाल नहीं कर रहा है. सरकार ने सिर्फ 40 हजार रुपये की दवाई खरीदी और इसके प्रचार पर करोड़ों रुपये खर्च करके अपने मुंह मियां मिट्ठू बन गए. अब भी केजरीवाल यही कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के 13 हॉटस्पॉट की पहचान तो की गई, लेकिन वहां प्रदूषण कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है.
उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ केंद्र सरकार दिल्ली में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दिन-रात जुटी हुई है. बदरपुर में 844 एकड़ जमीन पर ईको पार्क बनाया जा रहा है. इस अद्भुत पार्क को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिल्लीवालों के लिए एक बहुत बड़ा तोहफा के रूप में देखा जा रहा है. यह ईको पार्क दिल्ली की लाइफ लाइन बनने जा रहा है. शहरी विकास मंत्रालय के ऐतिहासिक फैसले के कारण ही दिल्ली के इंडस्ट्रियल इलाकों में सिर्फ सर्विस और हाइटेक इंडस्ट्री ही लग रही है. इससे औद्योगिक प्रदूषण कम हुआ है.
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बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार पिछले आठ सालों में डीटीसी की एक भी बस नहीं खरीद पाई और लोगों को निजी वाहन सड़कों पर लाने पड़ रहे हैं. वाहनों की भीड़ के कारण जाम से प्रदूषण बढ़ता है और धूल भी उड़ती है. उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में दिल्ली की सड़कों की धूल को प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह बताया है. दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को 450 इलेक्ट्रिक बसें देने का फैसला किया, जिनमें से 300 बसें दी जा चुकी हैं. ईस्टर्न-वेस्टर्न पेरिफेरियल रोड भी दिल्ली में प्रदूषण कम करने की एक बड़ी वजह बने हैं. दिल्ली में सड़कों का जाल केंद्र सरकार द्वारा ही बिछाया जा रहा है जबकि दिल्ली सरकार तो आठ सालों में एक भी बड़ा प्रोजेक्ट नहीं बना पाई. दिल्ली-एनसीआर की ट्रैफिक जाम की समस्या को हल करने के लिए 60,000 करोड़ की लागत से सड़क निर्माण का काम हो रहा है. अर्बन एक्सटेंशन रोड यानी तीसरे रिंग रोड के बनने से इन वाहनों का दिल्ली को प्रदूषण से काफी राहत मिलेगी.
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