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'निजता के हनन' में फंसी केजरीवाल सरकार की CCTV योजना, भेजा गया लीगल नोटिस - CCTV

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन से जुड़े अपार गुप्ता का मानना है कि सीसीटीवी योजना आम लोगों की निजता में सेंध लगाती है. यही कारण है कि उन्होंने इसे लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल और पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन को लीगल नोटिस भेजा है. इस पूरे मुद्दे पर ईटीवी भारत ने अपार गुप्ता से खास बातचीत की.

अरविंद केजरीवाल
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Published : Jun 8, 2019, 9:07 PM IST

नई दिल्ली: सीसीटीवी लगाने की योजना साढ़े चार साल के लंबे इंतजार के बाद जमीन पर उतरती दिख रही थी लेकिन अब इसमें नया पेंच फंस गया है. वकील और प्राइवेसी एक्सपर्ट अपार गुप्ता ने मुख्यमंत्री केजरीवाल और पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन को लीगल नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि सीसीटीवी योजना निजता का हनन है.

निजता के लिए खतरनाक ये योजना!
अपार गुप्ता का कहना था कि इन सीसीटीवी का डाटा पीडब्ल्यूडी, दिल्ली पुलिस, आरडब्लूए और मार्केट एसोसिएशन के पास भी स्टोर होगा. उन्होंने कहा कि आरडब्लूए और मार्केट एसोसिएशन में कोई भी सरकारी लोग नहीं होते बल्कि वे सभी आम लोग होते हैं. उनके पास उनके पड़ोसियों का ये डाटा रिकॉर्ड होगा कि वे लोग कहां से निकल रहे हैं, कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं और फिर इनका दुरुपयोग भी किया जा सकता है.

सीसीटीवी योजना को लेकर दिल्ली सरकार को लीगल नोटिस भेजा गया है

'सुरक्षित नियंत्रण की होगी जरूरत'
अपार गुप्ता ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार का सीसीटीवी को लेकर जो स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर है, वो सिर्फ एक पन्ने का है. इसमें पूरी बातें विस्तार से नहीं बताई गई हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सीसीटीवी का वीडियो क्लोज सर्किट टेलीविजन नहीं होता ये आईपी आधारित है और इससे सर्विलांस हो सकता है.

उन्होंने कहा कि पूरा सीसीटीवी एक एप्लीकेशन से जुड़ा होगा और इसके जरिए पता लगाया जा सकेगा कि कौन आदमी कब घर से निकल रहा है, कहां जा रहा है और क्या कर रहा है. यानी आम लोगों की पूरी गतिविधि कैच की जा सकेगी. इसलिए इस पर सुरक्षित नियंत्रण बहुत जरूरी है.

जनता को इससे क्या लाभ होगा?
अपार गुप्ता ने इसे लेकर भी सवाल उठाया कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 500 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. ये एक बड़ी रकम है, जो जनता के टैक्स से आती है, लेकिन अब तक इस योजना की कोई फिजिबिलिटी रिपोर्ट नहीं आई है कि अगर इसे लागू किया जाता है, तो इससे इसके उद्देश्यों की पूर्ति होगी या नहीं. अपार गुप्ता ने ये भी बताया कि इसे लेकर उन्होंने आरटीआई भी डाली थी, लेकिन अब तक फिजिबिलिटी रिपोर्ट के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है.

Apar Gupta, Internet freedom foundation
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के सदस्य अपार गुप्ता

सीसीटीवी के औचित्य पर उठा सवाल
अपार गुप्ता की संस्था इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन संस्था तकनीकी रूप से मानव अधिकारों की रक्षा के लिए काम करती है. अब जबकि दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, तो इनका मानना है इससे निजता का हनन हो सकता है और यही कारण है कि इसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं.

अपार गुप्ता ने कहा कि इसे लेकर एक्नॉलेजमेंट आ चुका है कि मेरा लीगल नोटिस मुख्यमंत्री और पीडब्ल्यूडी मंत्री तक पहुंच गया है, लेकिन उसका जवाब अब तक नहीं आया है. अपार गुप्ता ने कहा कि अगर जवाब नहीं आता है तो फिर मैं कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता हूं.

नई दिल्ली: सीसीटीवी लगाने की योजना साढ़े चार साल के लंबे इंतजार के बाद जमीन पर उतरती दिख रही थी लेकिन अब इसमें नया पेंच फंस गया है. वकील और प्राइवेसी एक्सपर्ट अपार गुप्ता ने मुख्यमंत्री केजरीवाल और पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन को लीगल नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि सीसीटीवी योजना निजता का हनन है.

निजता के लिए खतरनाक ये योजना!
अपार गुप्ता का कहना था कि इन सीसीटीवी का डाटा पीडब्ल्यूडी, दिल्ली पुलिस, आरडब्लूए और मार्केट एसोसिएशन के पास भी स्टोर होगा. उन्होंने कहा कि आरडब्लूए और मार्केट एसोसिएशन में कोई भी सरकारी लोग नहीं होते बल्कि वे सभी आम लोग होते हैं. उनके पास उनके पड़ोसियों का ये डाटा रिकॉर्ड होगा कि वे लोग कहां से निकल रहे हैं, कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं और फिर इनका दुरुपयोग भी किया जा सकता है.

सीसीटीवी योजना को लेकर दिल्ली सरकार को लीगल नोटिस भेजा गया है

'सुरक्षित नियंत्रण की होगी जरूरत'
अपार गुप्ता ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार का सीसीटीवी को लेकर जो स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर है, वो सिर्फ एक पन्ने का है. इसमें पूरी बातें विस्तार से नहीं बताई गई हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सीसीटीवी का वीडियो क्लोज सर्किट टेलीविजन नहीं होता ये आईपी आधारित है और इससे सर्विलांस हो सकता है.

उन्होंने कहा कि पूरा सीसीटीवी एक एप्लीकेशन से जुड़ा होगा और इसके जरिए पता लगाया जा सकेगा कि कौन आदमी कब घर से निकल रहा है, कहां जा रहा है और क्या कर रहा है. यानी आम लोगों की पूरी गतिविधि कैच की जा सकेगी. इसलिए इस पर सुरक्षित नियंत्रण बहुत जरूरी है.

जनता को इससे क्या लाभ होगा?
अपार गुप्ता ने इसे लेकर भी सवाल उठाया कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 500 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. ये एक बड़ी रकम है, जो जनता के टैक्स से आती है, लेकिन अब तक इस योजना की कोई फिजिबिलिटी रिपोर्ट नहीं आई है कि अगर इसे लागू किया जाता है, तो इससे इसके उद्देश्यों की पूर्ति होगी या नहीं. अपार गुप्ता ने ये भी बताया कि इसे लेकर उन्होंने आरटीआई भी डाली थी, लेकिन अब तक फिजिबिलिटी रिपोर्ट के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है.

Apar Gupta, Internet freedom foundation
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के सदस्य अपार गुप्ता

सीसीटीवी के औचित्य पर उठा सवाल
अपार गुप्ता की संस्था इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन संस्था तकनीकी रूप से मानव अधिकारों की रक्षा के लिए काम करती है. अब जबकि दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, तो इनका मानना है इससे निजता का हनन हो सकता है और यही कारण है कि इसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं.

अपार गुप्ता ने कहा कि इसे लेकर एक्नॉलेजमेंट आ चुका है कि मेरा लीगल नोटिस मुख्यमंत्री और पीडब्ल्यूडी मंत्री तक पहुंच गया है, लेकिन उसका जवाब अब तक नहीं आया है. अपार गुप्ता ने कहा कि अगर जवाब नहीं आता है तो फिर मैं कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता हूं.

Intro:पूरी दिल्ली में सीसीटीवी लगाने की योजना साढ़े चार साल से अधर में लटकी रही, अब यह जमीन पर उतरती दिख रही थी, लेकिन इसी बीच अब यह कानूनी पचड़े में फंसती दिख रही है. वकील और प्राइवेसी एक्सपर्ट अपार गुप्ता ने मुख्यमंत्री केजरीवाल और पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन को लीगल नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि सीसीटीवी योजना निजता का हनन है.


Body:नई दिल्ली: इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन से जुड़े अपार गुप्ता का मानना है कि सीसीटीवी योजना आम लोगों की निजता में सेंध लगाती है. यही कारण है कि उन्होंने इसे लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल और पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन को लीगल नोटिस भेजा है. इस पूरे मुद्दे पर ईटीवी भारत ने अपार गुप्ता से खास बातचीत की.

अपार गुप्ता का कहना था कि इन सीसीटीवी का डाटा पीडब्ल्यूडी, दिल्ली पुलिस, आरडब्लूए और मार्केट एसोसिएशन के पास भी स्टोर होगा. उन्होंने कहा कि आरडब्लूए और मार्केट एसोसिएशन में कोई भी सरकारी लोग नहीं होते हैं वे सभी आम लोग होते हैं. उनके पास उनके पड़ोसियों की यह डाटा रिकॉर्ड होगा कि वे लोग कहां से निकल रहे हैं, कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं और फिर इनका दुरुपयोग भी किया जा सकता है.

अपार गुप्ता ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार का सीसीटीवी को लेकर जो स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर है, वह सिर्फ एक पन्ने का है इसमें पूरी बातें डिटेल से नहीं बताई गई हैं. उन्होने यह भी कहा कि सीसीटीवी का वीडियो क्लोज सर्किट टेलीविजन नहीं होता यह आईपी आधारित है और इससे सर्विलांस हो सकता है. यह पूरा सीसीटीवी एक एप्लीकेशन से जुड़ा होगा और इसके जरिए पता लगाया जा सकेगा कि कौन आदमी कब घर से निकल रहा है कहां जा रहा है क्या कर रहा है यानी आम लोगों की पूरी गतिविधि कैच की जा सकेगी. इसलिए इस पर सुरक्षित नियंत्रण बहुत जरूरी है.

अपार गुप्ता ने इसे लेकर भी सवाल उठाया कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 500 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. यह एक बड़ी रकम है, जो जनता के टैक्स से आती है. लेकिन अब तक इस योजना की कोई फिजिबिलिटी रिपोर्ट नहीं आई है कि अगर इसे लागू किया जाता है, तो इससे इसके उद्देश्यों की पूर्ति होगी या नहीं. अपार गुप्ता ने यह भी बताया कि इसे लेकर उन्होंने आरटीआई भी डाली थी, लेकिन अब तक फिजिबिलिटी रिपोर्ट के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है.

अपार गुप्ता की संस्था इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन संस्था तकनीकी रूप से मानव अधिकारों की रक्षा के लिए काम करती है. अब जबकि दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, तो इनका मानना है इससे निजता का हनन हो सकता है और यही कारण है कि इसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं. अपार गुप्ता ने कहा कि इसे लेकर एक्नॉलेजमेंट आ चुका है कि मेरा लीगल नोटिस मुख्यमंत्री और पीडब्ल्यूडी मंत्री तक पहुंच गया है, लेकिन उसका जवाब अब तक नहीं आया है. अपार गुप्ता ने कहा कि अगर जवाब नहीं आता है तो फिर मैं कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता हूं.


Conclusion:अब देखना यह है कि लंबे इंतजार के बाद शुरू होती दिख रही सीसीटीवी योजना क्या सफलता से जमीन पर उतर पाती है या फिर निजता के हनन के मामले में फंस कर दम तोड़ जाती है.

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