नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: जेवर में बनने वाले नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के दूसरे चरण के जमीन अधिग्रहण के लिए प्राधिकरण द्वारा किसानों की जमीन और उस पर बनी परिसंपत्तियों के मूल्यांकन का काम तेजी से किया जा रहा है. पहले चरण में जमीन का मुआवजा सीधे किसानों के खाते में भेजा गया था. अब प्राधिकरण दूसरे चरण के किसानों की जमीन और उनकी परिसंपत्तियों का मुआवजा जल्द उनके खाते में भेजेगा.
दरअसल, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पहले चरण के लिए यमुना प्राधिकरण ने जमीन का अधिग्रहण कर लिया है. उस पर निर्माण कार्य जारी है. वहीं अब प्राधिकरण एयरपोर्ट के दूसरे चरण की जमीन अधिग्रहण की तैयारियां कर रहा है. दूसरे चरण के अधिग्रहण में 6 गांवों को विस्थापित किया जाना है, जिसके लिए प्राधिकरण ने तैयारियां पूरी कर ली है. अब इन गांवों के किसानों को विस्थापित कर दूसरी जगह बसा दिया जाएगा, जिससे एयरपोर्ट के निर्माण कार्य के लिए दूसरे चरण की जमीन का रास्ता साफ हो जाएगा.
इन 6 गांवों को किया जाएगा विस्थापित: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के दूसरे चरण के लिए जेवर के 6 गांवों को विस्थापित किया जाएगा. जिनमें रण्हेरा, दयानतपुर, कुरेब, बिरामपुर, मूढ़रह और करोली बाँगर गांव के लगभग 8000 किसानों की 1181 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. इन गांवों के किसान परिवारों को विस्थापन के दौरान फायदा कट व मॉडलपुर गांव पर विस्थापित करने के लिए जमीन चिह्नित की जा चुकी है. जल्द इन सभी किसान परिवारों को परिसम्पत्तियों का मुआवजा देकर विस्थापित किया जाएगा. इन किसानों को परिसम्पत्तियों के मुआवजे सहित नियोजन राशि 5 लाख रुपए और जीवन निर्वाह भत्ते के अलावा परिवहन खर्च आदि एक साथ ही दिया जाएगा.
परिसंपत्तियों के मूल्यांकन के लिए 13 टीमें तैनात: प्रशासन की तरफ से धारा 19 के नोटिफिकेशन के लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है, जिसके बाद जल्द यहां पर धारा 19 लागू हो जाएगी. इसके बाद प्रशासन इस जमीन का अवार्ड घोषित कर आपत्तियां सुनेगा और उनके निस्तारण के लिए 1 माह का समय लगेगा. वहीं, परिसम्पत्तियों के मूल्यांकन के काम को पूरा करने के लिए सभी 6 गांवों में 13 टीमें तैनात की गई है. इन छह टीमों में 83 कर्मी करीब 10 दिनों में मूल्यांकन के कार्य को पूरा कर लेंगे.
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सीधे किसानों के खाते में जाएगा मुआवजा: प्राधिकरण किसानों की आपत्तियों के निस्तारण के बाद उनकी भूमि एवं परिसम्पत्तियों का मुआवजा सीधा किसानों के खाते में भेजेगा. सरकार की मंशा है कि किसानों को अपनी जमीन और परिसम्पत्तियों के लिए किसी भी सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. किसानों को तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक कागजों के लिए दौड़ लगाने से बचाने के लिए मुआवजा वितरण से पहले जरूरी कागजात की प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए गांव में ही कैंप लगाए जा रहे हैं.
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