नई दिल्ली: जिस विद्यालय के क्लास रूम में बच्चों के भविष्य से जुड़े सवालों को उनके शिक्षक हल करते थे. आज उस क्लासरूम में भूख, प्यास के सवाल में लोग उलझे हुए हैं. खाना कब मिलेगा? पीने के लिए पानी कब आएगा? इस तरह के सवाल सुबह से उठने शुरू होते हैं और दोपहर तक सवाल पर सवाल करना जारी रहता है. लेकिन लोगों के इस सवाल का जवाब नहीं मिलता है. यहां रह रहे लोग अपनी खुशी से यहां रहने के लिए नहीं आए हैं. अगर यमुना नदी उफान पर न होती तो यह लोग भी आज अपने घरों में होते.
यह नजारा है कालिंदी कुंज में पुस्ता रोड के समीप जैतपुर एक्सटेंशन पार्ट 2 स्थित सर्वोदय विद्यालय का. यहां के 25 क्लासरूम में उन लोगों को रखा गया है, जिनके घरों में पानी घुस गया है. यहां आज भूख, प्यास और अपने घर से बेघर होने का दर्द आज कई परिवार झेल रहे हैं. कभी अपने घरों में परिवार संग बिस्तर पर सोने वाले लोग आज फर्श पर सोने को मजबूर हैं. कभी अपनी मनपसंद का खाना खाने वाले लोग आज दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं. फ्रिज से पानी निकालकर पीने वाले लोग आज जल बोर्ड के पानी पर निर्भर हैं. इन सब कठिनाई के बीच लोगों को यह विश्वास है कि भले ही आज बुरा वक्त उनके सामने है, कल अच्छा वक्त जरूर आएगा. यमुना नदी उफान पर है और दिल्ली में आई बाढ़ से कई हजार लोग प्रभावित हैं.
दोपहर 3.30 पर दोपहर का भोजनः इस सरकारी स्कूल को फिलहाल राहत बचाव शिविर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. यहां के सभी क्लासरूम में लोग रह रहे हैं. क्लासरूम की खिड़कियों पर कपड़े सुख रहे हैं. मास्टर जी की कुर्सी पर आम लोग बैठ रहे हैं. क्लासरूम की बेंच रूम से बाहर कर दी गई है. जगह-जगह गंदगी है. यहां पर रहने वाले लोग बताते हैं कि सरकार की तरफ से कुछ सहयोग नहीं मिल रहा है. दोपहर 3.30 बजे एक एनजीओ के माध्यम से खाना आया है. कुछ लोगों का आरोप था कि खाना आता है तो वह सभी को नहीं मिल पाता है. जो पहले आ जाते हैं उन्हें खाना मिलता है बाकी लोग भगवान भरोसे होते हैं. अपने घरों में कभी खाने के लिए मोहताज नहीं हुए.
पीने के पानी के लिए मारामारीः इस स्कूल में कई परिवार रह रहे हैं. क्लासरूम में पंखे तो हैं लेकिन उसकी स्पीड कम होने से हवा नहीं मिल पाती. इधर दूसरी तरफ पीने के पानी के लिए लंबी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. जैसे-तैसे शाम को जल बोर्ड का एक टैंकर आया. अब समस्या यह है कि पीने के पानी के साथ नहाने के लिए पानी भी चाहिए, जिसके चलते पानी का एक टैंकर यहां रहने वाले लोगों के लिए काफी नहीं है.
स्कूल में रहने वाले लोग कहते हैं कि कचरा उठाने के लिए कर्मचारी नहीं आते हैं, जिसकी वजह से यहां वहां कूड़ा फैला रहता है जिसकी वजह से बदबू चारों तरफ फैली रहती है. इधर रात को मच्छर से परेशानी होती है. एक रूम में लोग इतने सारे हैं को गर्मी में घुटन सी होती है. इस महीने की 25 तारीख को गांव जाना था. सारी तैयारी कर ली थी, लेकिन घर में जलभराव हो जाएगा और जान बचाने के लिए सरकार स्कूल में शरण लेनी पड़ेगी. इसके बारे में कभी सोचा नहीं था. यहां सरकार की तरफ से कुछ भी व्यस्था नहीं है. बस फोटो और वीडियो बनाने के लिए लोग आ रहे हैं. - गीता, विश्वकर्मा कॉलोनी निवासी
सुनते थे कि अनजान लोगों से दूर रहना चाहिए .आज भगवान ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि परिवार के साथ अनजान लोगों के साथ एक क्लासरूम में ठहरने को मजबूर हैं. कभी सोचा नहीं नहीं था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब घर छोड़कर बच्चों के क्लासरूम में शरण लेनी पड़ेगी. - रीना, बसंतपुर कॉलोनी निवासी