नई दिल्ली: हिंदू धर्म में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का बहुत बड़ा महत्व है. कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है. इस बार प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ रहा है. गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं जो कि विशेष फलदायी होता है.
इस बारे में आचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि, गुरुवार को पड़ने वाली त्रयोदशी को गुरु प्रदोष कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि गुरु प्रदोष व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी का स्थाई वास होता है और घर में धन की स्थिरता बनी रहती है. इस दिन विधिवत पूजन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और व्रती को धन-धान्य का आशीर्वाद देते हैं. साथ ही त्रयोदशी के दिन गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराने का भी बड़ा महत्व है.
व्रत में बरतें सावधानी: आचार्य शिव कुमार शर्मा बताते हैं कि भगवान शिव का एक नाम आशुतोष भी है. आशुतोष का अर्थ है शीघ्र प्रसन्न होने वाले. लेकिन गुरु प्रदोष के व्रत के दौरान कुछ सावधानी बरतना भी बेहद जरूरी होता है क्योंकि भगवान शिव निष्ठा, लगन और सत्यता को ग्रहण करते हैं. जो व्यक्ति निश्चल होता है और श्रद्धा के साथ गुरु प्रदोष व्रत करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस व्रत को करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर की कृपा मिलती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है.
प्रारंभ: 19 जनवरी (गुरुवार) को 01 बजकर 26 मिनट (AM) पर से
समापन: 20 जनवरी (शुक्रवार) को सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक
पूजन का समय: प्रदोष व्रत में पूजन का शुभ मुहूर्त आज शाम 05:38 बजे से शुरू होगा और रात 08 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. कहा जाता है कि शुभ मुहूर्त में व्रत करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
जानें प्रदोष व्रत के बारे में-
रवि प्रदोष: रविवार को पड़ने वाले त्रयोदशी को रवि प्रदोष कहते हैं. इस व्रत को करने से यश, कीर्ति और आयु का लाभ होता है.
सोम प्रदोष: जब सोमवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं. यह भगवान शिव का प्रिय दिन है, इसलिए उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सोम प्रदोष का व्रत रखा जाता है.
भौम प्रदोष: जब त्रयोदशी तिथि मंगलवार को पड़ती है तो उसे भौम प्रदोष कहा जाता है. इस प्रदोष व्रत को करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है. साथ ही व्रती को भूमि-भवन आदि का लाभ होता है और समाज में मान-सम्मान मिलता है.
बुध प्रदोष: बुधवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी बुध प्रदोष कहलाती है. इस दिन व्रत करने से नौकरी, व्यापार, कीर्ति और स्वास्थ्य का लाभ मिलता है.
गुरु प्रदोष: बृहस्पतिवार को जब त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे गुरु प्रदोष कहा जाता है. यह प्रदोष व्रत करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर कृपा मिलती है. साथ ही व्रती के धन-धान्य में भी वृद्धि होती है.
शुक्र प्रदोष: शुक्रवार को पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को शुक्र प्रदोष कहा जाता है. इस दिन व्रत करने से पारिवारिक संबंधों में लाभ मिलता है और घर की महिलाएं स्वस्थ और प्रसन्न रहती हैं.
शनि प्रदोष: जब शनिवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो वह शनि प्रदोष कहलाती है. इस दिन व्रत करने से कार्य में सफलता और समाज के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग मिलता है.
बता दें, प्रदोष व्रत करने से करने से समाज में प्रतिष्ठा, धन की प्राप्ति और मन की शांति मिलती है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. एक बार चंद्रमा को तपेदिक रोग हो गया जिससे उन्हें मृत्यु तुल्य कष्ट होने लगा. इसके बाद उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. तब भगवान शिव ने उनको संजीवनी मंत्र से स्वस्थ किया. उसी दिन सोमवार व त्रयोदशी तिथि थी. इसलिए प्रदोष व्रत को मुख्य रूप से स्वास्थ्य व संपत्ति के लिए शुभ माना जाता है.
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