नई दिल्ली: दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग में पार्किंसंस रोग से पीड़ित 51 वर्षीय एक महिला को एक नई जिंदगी दी गई है. महिला पिछले 9 सालों से पार्किंसंस रोग से पीड़ित थी. इसकी शुरुआत कंपकंपी और ब्रैडीकिनेसिया (चलने-फिरने में कठिनाई) से हुई और बाद में उसमें कठोरता आ गई. दवाओं के साथ उसका इलाज किया जा रहा था, लेकिन उसके लक्षण बिगड़ते रहे और वह जो दवाएं ले रही थी. उससे साइड इफेक्ट विकसित होने लगे. बिना दवाओं के वह न तो ठीक से चल पाती थी, न करवट लेती थी और न ही बिस्तर से उठ पाती थी. इस कारण उसे बहुत परेशानी हो रही थी. ऐसे में महिला को गंगाराम अस्पताल लाया गया. जहां उसका गहन जांच किया गया और डॉक्टरों ने उसे डीप ब्रेन स्टिमुलेशन का विकल्प दिया.
न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के एसोसिएट कंसल्टेंट, डॉ. श्रेय जैन ने बताया कि “डीप ब्रेन स्टिमुलेशन एक नई सर्जरी है, जिसमें मस्तिष्क के विशेष क्षेत्रों को उत्तेजित करते हैं. यह दिमाग के पेसमेकर की तरह ही काम करता है. इस मामले में, हमने मस्तिष्क के सबथैलेमिक न्यूक्लियस को उत्तेजित करने की योजना बनाई. सर्जरी का उद्देश्य बीमारी को नियंत्रित करने और रोगी की जीवनशैली में सुधार करने में मदद करना है. यह विशेष रूप से पार्किंसंस रोग, कंपकंपी, डायस्टोनिया जैसी बीमारियों में उपयोगी है. इसका मूल्यांकन करने पर अवसाद और उन्माद जैसी मानसिक स्थितियों के लिए सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए. मिनिमली इनवेसिव सर्जरी तब की जाती है जब मरीज पूरी सर्जरी के दौरान कुशल एनेस्थेटिस्ट और तकनीशियनों की सहायता से उन्नत गैजेट्स के बैक अप के साथ जाग रहा होता है.
मरीज के जाग्रत अवस्था में मिनिमल इनवेसिव सर्जरी की गई
डॉ. जैन ने बताया कि यह एक मिनिमली इनवेसिव सर्जरी है, जिसमें मरीज के जाग्रत अवस्था में सिर में दो छोटे छिद्रों के माध्यम से गहरे मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड को डाला गया. सर्जरी के दौरान मरीज की लगातार जांच और ब्रेन इलेक्ट्रिक करंट रिकॉर्ड कर लोकेशन की पुष्टि की गई. सर्जरी के दौरान उसके बातचीत, आंखों की गति और अंगों की शक्ति पर नजर रखी जा रही थी और यह देखा जा रहा था कि उसके लक्षणों में कैसे सुधार हो रहा है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सर्जरी का प्रभाव कम से कम जटिलताओं के साथ अधिकतम हो. सर्जरी के दौरान, उसने एक समय पर बोलना बंद कर दिया, इसलिए इलेक्ट्रोड को बदल दिया गया और मरीज की बोलने की शक्ति वापस आ गई. इलेक्ट्रोड सही स्थिति में हैं यह सुनिश्चित करने के लिए सर्जरी के बाद सीटी स्कैन भी किया गया था. बाद में पेसमेकर की तरह छाती की दीवार में बैटरी डाली गई.
सर्जरी के बाद मरीज सामान्य जीवन में लौट आया
सर्जरी के बाद यह मरीज काफी हद तक ठीक हो गया है और दवाओं के किसी भी दुष्प्रभाव के बिना सामान्य जीवन जीने में सक्षम है. दवाओं की खुराक कम हो गई है और उनके दुष्प्रभाव कम से कम हैं. महिला बहुत खुश हैं और लगभग सामान्य जीवन जी रही हैं जो उसे असंभव लगता था. उसके हाथ-पैर कांपने के लक्षणों में काफी सुधार हुआ है. वह अब चीजों को ठीक से पकड़ सकती है.
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