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जेल में बंद किसानों की रिहाई के लिए 18 नवंबर को पुलिस कमिश्नर कार्यालय का घेराव करेंगे किसान

किसान संगठन गिरफ्तार किसानों की रिहाई के लिए 18 नवंबर को सेक्टर 108 स्थित पुलिस कमिश्नर कार्यालय का घेराव करेंगे. किसानों का आरोप है कि प्रशासन ने गिरफ्तार किसानों को जल्द से जल्द रिहा करने का आशवासन दिया था, लेकिन इतने दिनों बाद भी किसानों को रिहा नहीं किया गया है. किसानों ने ये भी कहा कि जबतक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक उनका आंदोलन लगातार चलता रहेगा.

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Published : Nov 16, 2022, 8:08 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: एनटीपीसी से प्रभावित 24 गांवों के किसानों का अपनी मांगों को लेकर आंदोलन अभी भी चल रहा है. एनटीपीसी प्लांट के पास रसूलपुर गांव में किसान आंदोलन कर रहे हैं और उनका साफ तौर पर कहना है कि जेल भेजे गए किसानों की बिना शर्त रिहाई व उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक उनका आंदोलन लगातार चलता रहेगा. कई दौर की प्रशासन से वार्ता के बाद भी उनकी मांगे पूरी नहीं हुई है और न ही किसानों को जेल से रिहा किया गया है. इसको लेकर किसान 18 नवंबर शुक्रवार को पुलिस कमिश्नर कार्यालय का घेराव करेंगे.

किसानों का कहना है कि पिछले दिनों जिलाधिकारी कार्यालय पर पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों से वार्ता हुई थी, जिसमें अधिकारियों ने जल्द किसानों की रिहाई का आश्वासन दिया था. लेकिन अभी तक जेल भेजे गए 12 किसानों की रिहाई नहीं की गई है और ना ही उनकी मांगों को पूरा किया गया है. इसके लिए किसान एकत्रित होकर आगामी शुक्रवार को नोएडा के सेक्टर-108 स्थित पुलिस कमिश्नर का घेराव करेंगे. इसमें अपनी मांगों को पूरा करने व किसानों की रिहाई की मांग करेंगे. रसूलपुर गांव में किसानों के आंदोलन में पंचायत की गई, जिसमें अन्य किसान संगठन भी मौजूद रहे. इसमें किसानों ने 108 स्थित पुलिस कमिश्नर कार्यालय का घेराव करने का निर्णय लिया है.

दरअसल, एनटीपीसी से प्रभावित 24 गांवों के किसान एक नवंबर को एनटीपीसी प्लांट पर धरना प्रदर्शन (protest at ntpc plant) कर रहे थे. उसी दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन से पानी की बौछार कर दी, जिसमें कई महिलाओ सहित एक दर्जन से अधिक किसान घायल हो गए. साथ ही 500 किसानों पर मुकदमा दर्ज किया गया और किसान नेता सुखबीर खलीफा सहित एक दर्जन किसानों को जेल भेज दिया. उसके बाद से ही एनटीपीसी प्लांट के पास किसानों का धरना लगातार चल रहा है.

ये भी पढ़ें: संसाधनों के अभाव में संचालित किया जा रहा नोएडा का यह थाना, रात में निकल आते हैं सांप और कछुए

इन मांगों को लेकर चल रहा है किसानों का आंदोलन

एनटीपीसी के लिए 24 गांवों की जमीन अधिग्रहण की थी. उस समय किसानों को एक समान मुआवजा नहीं दिया गया था, उसी को लेकर किसान अभी भी आंदोलन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि भू-अधिनियम 1994 के तहत उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप 1986 से 1995 तक अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को एक समान मुआवजा दिया जाए. इसके साथ ही एनटीपीसी के लिए 22 सौ परिवारों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था और करार के मुताबिक प्रत्येक परिवार से एनटीपीसी में स्थाई नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन अभी तक केवल 180 परिवारों के सदस्य को ही नौकरी दी गई है. इसके साथ ही 24 गांवों में शिक्षा के लिए कॉलिज बनाने के साथ स्वास्थ्य सेवाओ के लिए अस्पताल बनाने की मांग किसान कर रहे हैं. एनटीपीसी से प्रभावित इन गांवों में मुफ्त बिजली देने का आश्वासन भी दिया गया था. यह सुविधाएं अभी तक नहीं दी गई है. इन्हीं मांग को लेकर किसान कई दशकों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और अभी एनटीपीसी के पास रसूलपुर गांव में इन्हीं मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन चल रहा है.

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नई दिल्ली/नोएडा: एनटीपीसी से प्रभावित 24 गांवों के किसानों का अपनी मांगों को लेकर आंदोलन अभी भी चल रहा है. एनटीपीसी प्लांट के पास रसूलपुर गांव में किसान आंदोलन कर रहे हैं और उनका साफ तौर पर कहना है कि जेल भेजे गए किसानों की बिना शर्त रिहाई व उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक उनका आंदोलन लगातार चलता रहेगा. कई दौर की प्रशासन से वार्ता के बाद भी उनकी मांगे पूरी नहीं हुई है और न ही किसानों को जेल से रिहा किया गया है. इसको लेकर किसान 18 नवंबर शुक्रवार को पुलिस कमिश्नर कार्यालय का घेराव करेंगे.

किसानों का कहना है कि पिछले दिनों जिलाधिकारी कार्यालय पर पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों से वार्ता हुई थी, जिसमें अधिकारियों ने जल्द किसानों की रिहाई का आश्वासन दिया था. लेकिन अभी तक जेल भेजे गए 12 किसानों की रिहाई नहीं की गई है और ना ही उनकी मांगों को पूरा किया गया है. इसके लिए किसान एकत्रित होकर आगामी शुक्रवार को नोएडा के सेक्टर-108 स्थित पुलिस कमिश्नर का घेराव करेंगे. इसमें अपनी मांगों को पूरा करने व किसानों की रिहाई की मांग करेंगे. रसूलपुर गांव में किसानों के आंदोलन में पंचायत की गई, जिसमें अन्य किसान संगठन भी मौजूद रहे. इसमें किसानों ने 108 स्थित पुलिस कमिश्नर कार्यालय का घेराव करने का निर्णय लिया है.

दरअसल, एनटीपीसी से प्रभावित 24 गांवों के किसान एक नवंबर को एनटीपीसी प्लांट पर धरना प्रदर्शन (protest at ntpc plant) कर रहे थे. उसी दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन से पानी की बौछार कर दी, जिसमें कई महिलाओ सहित एक दर्जन से अधिक किसान घायल हो गए. साथ ही 500 किसानों पर मुकदमा दर्ज किया गया और किसान नेता सुखबीर खलीफा सहित एक दर्जन किसानों को जेल भेज दिया. उसके बाद से ही एनटीपीसी प्लांट के पास किसानों का धरना लगातार चल रहा है.

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इन मांगों को लेकर चल रहा है किसानों का आंदोलन

एनटीपीसी के लिए 24 गांवों की जमीन अधिग्रहण की थी. उस समय किसानों को एक समान मुआवजा नहीं दिया गया था, उसी को लेकर किसान अभी भी आंदोलन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि भू-अधिनियम 1994 के तहत उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप 1986 से 1995 तक अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को एक समान मुआवजा दिया जाए. इसके साथ ही एनटीपीसी के लिए 22 सौ परिवारों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था और करार के मुताबिक प्रत्येक परिवार से एनटीपीसी में स्थाई नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन अभी तक केवल 180 परिवारों के सदस्य को ही नौकरी दी गई है. इसके साथ ही 24 गांवों में शिक्षा के लिए कॉलिज बनाने के साथ स्वास्थ्य सेवाओ के लिए अस्पताल बनाने की मांग किसान कर रहे हैं. एनटीपीसी से प्रभावित इन गांवों में मुफ्त बिजली देने का आश्वासन भी दिया गया था. यह सुविधाएं अभी तक नहीं दी गई है. इन्हीं मांग को लेकर किसान कई दशकों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और अभी एनटीपीसी के पास रसूलपुर गांव में इन्हीं मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन चल रहा है.

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