नई दिल्ली: सरकारी स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी की छात्रवृत्ति के लिए जरूरी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भाटी माइंस संजय कॉलोनी निवासी मुकेश कई दिनों से एसडीएम कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं. करीब डेढ़ महीने पहले ही उन्होंने जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया था. जब ऑनलाइन जाति प्रमाण पत्र अपडेट नहीं हो पाया तो एसडीएम कार्यालय जाकर जानने की कोशिश की. वहां उन्हें बताया गया कि उनका ऑनलाइन आवेदन बिना फोटो के ही अपलोड हुआ है. इसीलिए उन्हें दोबारा आवेदन करना पड़ेगा.
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सभी दस्तावेज और सूचना देने के बावजूद आवेदन निरस्त
हैरानी की बात यह है कि ऑनलाइन आवेदन सिर्फ तभी अपलोड हो सकता है जब फॉर्म की जानकारी सही-सही भरी गई हो. एक भी सूचना खाली छोड़ने पर आवेदन अपलोड नहीं हो सकता है, लेकिन आवेदन सफलतापूर्वक अपलोड हो गया है. इसका मतलब है कि उन्होंने सभी जानकारियां भरी थीं और फोटो भी अपलोड हुआ था. इसके बावजूद जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया.
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जाति प्रमाण पत्र के लिए लेनी पड़ी तीन दिन की छुट्टी
मुकेश ने बताया कि उन्होंने सारे दस्तावेज ऑफलाइन भी जमा करवाए थे. उसका वेरिफिकेशन भी हो गया था. वेरिफिकेशन के समय किसी तरह की कोई कमी नहीं बताई गई थी, लेकिन डेढ़ महीने बाद इसमें कमी निकाली जा रही है. तीन दिन छुट्टी लेकर भागदौड़ करने के बाद भी जाति प्रमाण पत्र नहीं बना. अब कहा जा रहा है कि दोबारा आवेदन करना पड़ेगा. इसके लिए उन्हें फिर से अपनी दिहाड़ी छोड़नी पड़ेगी.
परेशान होकर उम्मीद छोड़ी
मुकेश इतना परेशान हो चुके हैं कि वह अपना अधिकार भी छोड़ने को तैयार हैं. उनमें दोबारा दिहाड़ी छोड़ने की हिम्मत नहीं हो रही है. मुकेश के अलावा ऐसे बहुत लोग हैं जो कर्मचारियों के परेशान करने के बाद अपना अधिकार छोड़ रहे हैं. जनता का काम आसान करने के लिए केजरीवाल सरकार ने डोर स्टेप सर्विस की शुरुआत की है, जिसमें एक फोन कॉल से सारे प्रमाण पत्र बन जाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. खाली ऑनलाइन आवेदन कर देने मात्र से कोई प्रमाण पत्र घर पर नहीं आता.