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Doctor Day पर चिकित्स्कों ने बताया उन्हें कैसे दिया सकता है सम्मान

हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष जाने-माने फिजिशियन डॉ कृष्ण कुमार अग्रवाल बताते हैं कि डॉक्टर्स बैक्टरिया और वायरस के बीच ही रहते हैं. वो हमेशा ही खतरे में रहते हैं. उनके अंदर वायरस होते हैं और आम लोगों के मुकाबले उनकी इम्युनटी कम ही होती है. इसके बावजूद वो कोरोना जैसे नए वायरस के साथ लड़ रहे हैं.

Doctor Day
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Published : Jul 2, 2020, 8:21 PM IST

नई दिल्ली : भारत में 1 जुलाई को डॉक्टर डे के तौर पर मनाया जाता है. हालांकि इस दिन भी डॉक्टर कोरोना का सामना करने के लिए मैदान में डटे रहे. चिकित्स्कों की भी परिवार हैं और बच्चे हैं, लेकिन उनकी परवाह किए बगैर वो कोरोना वायरस से दो-दो हाथ करने में जुटे हुए हैं. कोरोना के कहर से बचने के लिए जब हम लोग अपने-अपने घरों में सुरक्षित बैठे हुए थे तो ये कोरोना वॉरियर्स कोरोना को खत्म करने की जंग लड़ रहे थे. यह ऐसी जंग है, जिसमें अदृश्य दुश्मन है और उसे खत्म करने वाला कोई हथियार अभी तक बना नहीं है. लिहाजा ऐसे दुश्मनों का सामना करना अपने आपको मौत के मुंह में डालने जैसा है, लेकिन डॉक्टर फिर भी हमारे लिए ऐसा कर रहे हैं.

सुनें क्या कह रहे विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी

दूसरों की जान बचाने के क्रम में डॉक्टर अपनी जान से भी हाथ धो रहे हैं. दिल्ली के सबसे बड़े कोविड हॉस्पिटल एलएनजेपी अस्पताल में कुछ दिन पहले ही एक सीनियर डॉक्टर की कोरोना से मौत ने सबको आहत कर दिया. वो डॉक्टर चाहते तो घर में सुरक्षित रह सकते थे, लेकिन उनके कर्तव्य ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया. कोविड पेशेंट्स की जान बचाते-बचाते खुद की जान को खतरे में डाल दिए और आखिरकार जिंदगी की जंग में हार गए. उनके जैसे हजारों कोरोना वॉरियर्स अभी भी कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए मैदान में डेट हुए हैं. अभी तक दिल्ली में कई हेल्थ केयर वर्कर्स अपनी जान गंवा चुके हैं. दिल्ली के अस्पतालों में सबसे ज्यादा खराब हालत सबसे बड़े अस्पताल एम्स की है. गैर आधिकारिक तौर पर यहां 500 से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स कोविड की गिरफ्त में हैं. इनमें उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं.

डॉक्टर हमेशा खतरे में होती है

हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष जाने-माने फिजिशियन डॉ कृष्ण कुमार अग्रवाल बताते हैं कि डॉक्टर्स बैक्टरिया और वायरस के बीच ही रहते हैं. वो हमेशा ही खतरे में रहते हैं. उनके अंदर वायरस होते हैं और आम लोगों के मुकाबले उनकी इम्युनटी कम ही होती है. इसके बावजूद वो कोरोना जैसे नए वायरस के साथ लड़ रहे हैं. दिल्ली में अकेले 2000 से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स कोरोना का शिकार हुए हैं और हर रोज हो रहे हैं और कुछ डॉक्टर्स की जान भी गई है. आप सोच सकते हैं कि किन परिस्थितियों में डॉक्टर अदृश्य दुश्मनों से फाइट करते हैं. इसके बावजूद उन्हें उचित सम्मान नहीं मिलता है. उनके साथ कई बार मारपीट की स्थिति भी आ जाती है जो गलत है. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ बीबी वाधवा ने डॉक्टर्स डे पर दिल्ली के कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया. साथ ही कोविड के शिकार हो रहे हेल्थ वर्कर्स के प्रति चिंता भी जाहिर की. उन्होंने डॉक्टर्स के लिए जोखिम भत्ते की भी मांग की.

सम्मान तो मिलनी ही चाहिए

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के साइंटिफिक कमेटी के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र सैनी कहते हैं कि आपके लिए जो अपनी जान को दांव पर लगाते हैं उनका सम्मान करना चाहिए. कोविड इन्फेक्शन जिसका अभी तक कोई इलाज उपलब्ध नहीं है उसका इलाज करते हुए डॉक्टर आपकी जान बचाने के लिए अपनी जान को जोखिम में डालते हैं. इसके बावजूद कई बार वो आपके गुस्से का शिकार होकर पीट दिए जाते हैं. उनके साथ हाथापाई भी की जाती है. आप खुद सोचिए आप अपनी जान के रक्षक के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं. डॉक्टर्स डे पर आप उन्हें एक ग्रीटिंग मैसेज भेजकर उनके प्रति अपना आभार तो व्यक्त कर ही सकते हैं ना.

मौत पर दिया जाए राजकीय सम्मान

एम्स के कार्डियो-रेडियो विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह इस डॉक्टर डे पर चाहते हैं कि डॉक्टर्स की सेवा को भी आर्मी की सेवा की तरह ही माना जाए. कोविड ड्यूटी के दौरान मौत होने पर उन्होंने एक सैनिक की तरह राजकीय सम्मान दिया जाए. उनके परिवर के आश्रितों को तत्काल 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद और मृतक की पत्नी को उनके रिटायर होने तक पूरी सैलरी मिलनी चाहिए.

नई दिल्ली : भारत में 1 जुलाई को डॉक्टर डे के तौर पर मनाया जाता है. हालांकि इस दिन भी डॉक्टर कोरोना का सामना करने के लिए मैदान में डटे रहे. चिकित्स्कों की भी परिवार हैं और बच्चे हैं, लेकिन उनकी परवाह किए बगैर वो कोरोना वायरस से दो-दो हाथ करने में जुटे हुए हैं. कोरोना के कहर से बचने के लिए जब हम लोग अपने-अपने घरों में सुरक्षित बैठे हुए थे तो ये कोरोना वॉरियर्स कोरोना को खत्म करने की जंग लड़ रहे थे. यह ऐसी जंग है, जिसमें अदृश्य दुश्मन है और उसे खत्म करने वाला कोई हथियार अभी तक बना नहीं है. लिहाजा ऐसे दुश्मनों का सामना करना अपने आपको मौत के मुंह में डालने जैसा है, लेकिन डॉक्टर फिर भी हमारे लिए ऐसा कर रहे हैं.

सुनें क्या कह रहे विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी

दूसरों की जान बचाने के क्रम में डॉक्टर अपनी जान से भी हाथ धो रहे हैं. दिल्ली के सबसे बड़े कोविड हॉस्पिटल एलएनजेपी अस्पताल में कुछ दिन पहले ही एक सीनियर डॉक्टर की कोरोना से मौत ने सबको आहत कर दिया. वो डॉक्टर चाहते तो घर में सुरक्षित रह सकते थे, लेकिन उनके कर्तव्य ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया. कोविड पेशेंट्स की जान बचाते-बचाते खुद की जान को खतरे में डाल दिए और आखिरकार जिंदगी की जंग में हार गए. उनके जैसे हजारों कोरोना वॉरियर्स अभी भी कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए मैदान में डेट हुए हैं. अभी तक दिल्ली में कई हेल्थ केयर वर्कर्स अपनी जान गंवा चुके हैं. दिल्ली के अस्पतालों में सबसे ज्यादा खराब हालत सबसे बड़े अस्पताल एम्स की है. गैर आधिकारिक तौर पर यहां 500 से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स कोविड की गिरफ्त में हैं. इनमें उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं.

डॉक्टर हमेशा खतरे में होती है

हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष जाने-माने फिजिशियन डॉ कृष्ण कुमार अग्रवाल बताते हैं कि डॉक्टर्स बैक्टरिया और वायरस के बीच ही रहते हैं. वो हमेशा ही खतरे में रहते हैं. उनके अंदर वायरस होते हैं और आम लोगों के मुकाबले उनकी इम्युनटी कम ही होती है. इसके बावजूद वो कोरोना जैसे नए वायरस के साथ लड़ रहे हैं. दिल्ली में अकेले 2000 से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स कोरोना का शिकार हुए हैं और हर रोज हो रहे हैं और कुछ डॉक्टर्स की जान भी गई है. आप सोच सकते हैं कि किन परिस्थितियों में डॉक्टर अदृश्य दुश्मनों से फाइट करते हैं. इसके बावजूद उन्हें उचित सम्मान नहीं मिलता है. उनके साथ कई बार मारपीट की स्थिति भी आ जाती है जो गलत है. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ बीबी वाधवा ने डॉक्टर्स डे पर दिल्ली के कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया. साथ ही कोविड के शिकार हो रहे हेल्थ वर्कर्स के प्रति चिंता भी जाहिर की. उन्होंने डॉक्टर्स के लिए जोखिम भत्ते की भी मांग की.

सम्मान तो मिलनी ही चाहिए

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के साइंटिफिक कमेटी के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र सैनी कहते हैं कि आपके लिए जो अपनी जान को दांव पर लगाते हैं उनका सम्मान करना चाहिए. कोविड इन्फेक्शन जिसका अभी तक कोई इलाज उपलब्ध नहीं है उसका इलाज करते हुए डॉक्टर आपकी जान बचाने के लिए अपनी जान को जोखिम में डालते हैं. इसके बावजूद कई बार वो आपके गुस्से का शिकार होकर पीट दिए जाते हैं. उनके साथ हाथापाई भी की जाती है. आप खुद सोचिए आप अपनी जान के रक्षक के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं. डॉक्टर्स डे पर आप उन्हें एक ग्रीटिंग मैसेज भेजकर उनके प्रति अपना आभार तो व्यक्त कर ही सकते हैं ना.

मौत पर दिया जाए राजकीय सम्मान

एम्स के कार्डियो-रेडियो विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह इस डॉक्टर डे पर चाहते हैं कि डॉक्टर्स की सेवा को भी आर्मी की सेवा की तरह ही माना जाए. कोविड ड्यूटी के दौरान मौत होने पर उन्होंने एक सैनिक की तरह राजकीय सम्मान दिया जाए. उनके परिवर के आश्रितों को तत्काल 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद और मृतक की पत्नी को उनके रिटायर होने तक पूरी सैलरी मिलनी चाहिए.

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