नई दिल्ली: इस समय शनि मकर राशि में वक्री है, इसलिए जून में दो और जुलाई में एक ग्रहण होगा. 5 जून को मांदय चंद्र ग्रहण, 21 जून को सूर्य ग्रहण और 5 जुलाई को फिर से मांद्य चंद्र ग्रहण लगेगा. जैतपुर स्थित ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेंद्र शर्मा के अनुसार हिंदी पांचांग के तहत एक माह में तीन ग्रहण लगने का यह योग 58 साल बाद बना है. इससे पहले 1962 में ऐसा योग बना था, उस समय भी शनि मकर राशि में वक्री था और लगातार तीन ग्रहण हुए थे.
सन 1962 में 17 जुलाई को मांदृय चंद्र ग्रहण, 31 जुलाई को सूर्य ग्रहण और 15 अगस्त को पुनः मांदृय चंद्र ग्रहण हुआ था. ज्योतिषाचार्य के अनुसार 5 जून को ज्येष्ठ की मास की पूर्णिमा के साथ 21 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या है. 5 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है. इन तीनों तिथियों पर एक बार फिर ग्रहण होंगे. चूंकि 5 जून और 5 जुलाई को लगने वाला भारत में तो रहेगा, लेकिन दिन में होने से यह दिखाई नहीं देगा. इसलिए दोनों चंद्र ग्रहण मांद्य है. अतः इनका कोई भी धार्मिक असर मान्य नहीं होगा. किसी भी राशि पर इन दोनों चंद्र ग्रहण का असर नहीं होगा.
21 जून को लगेगा सूर्य ग्रहण
21 जून को खंडग्रास यानि आंशिक सूर्य ग्रहण रहेगा, ये ग्रहण भारत के अलावा एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कुछ क्षेत्रों में में भी दिखेगा. ग्रहण का स्पर्श सुबह 10 बजकर 14 मिनट, ग्रहण का मध्य 11 बजकर 56 मिनट पर और ग्रहण का मोक्ष दोपहर 1 बजकर 38 मिनट पर तक रहेगा. ग्रहण का सूतक काल 20 जून की रात्रि 10 बजकर 14 मिनट से आरंभ हो जाएगा. सूतक जो 21 जून की दोपहर 1 बजकरर 38 मिनट तक रहेगा. इस वर्ष का यह एक मात्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखेगा और इसका धार्मिक असर भी मान्य होगा. ये ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में और मिथुन राशि में लगेगा.
श्लोक: इस संबंध में बृहत्संहिता राहुचाराध्याय में लिखा है कि - मिथुने प्रवरागंना नृपा नृपमात्रा बलिनः कलाविदः. यमुनातटजाः सबहिृलाका मत्स्याः सुहृभनैः समन्वितः
इस श्लोक का यह है महत्व
ज्योतिषाचार्य सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि इस श्लोक के अनुसार जब मिथुन राशि में सूर्य या चंद्र ग्रहण होता है तो उच्च पदों पर स्थित महिलाएं, राजा, मंत्री, कला क्षेत्र में काम करने वाले, यमुना नदी के किनारे पर निवास करने वाले, वरिष्ठ लोगों को, मध्य देश, साकेत, मिथिला, पंचा, कौशांबी, कौशिकी, गया, विंध्य में निवास करने वाले लोगों के लिए समय कष्टकारी होता है.
प्राकृतिक आपदा आने का योग
मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल है. मकर राशि में स्थित वक्री शनि की पूर्ण तृतीया दृष्टि, मीन राशि में स्थित मंगल पर पड़ रही है. मंगल की सूर्य पर दृष्टि और शनि-गुरू की युति है. ग्रहों की ये स्थिति बड़े भूकंपन का कारण बन सकती है. इसके साथ ही अन्य प्राकृतिक आपदा आने के भी योग बन सकते हैं.
सभी राशियों पर ग्रहण का यह पडेगा असर
ज्योतिषाचार्य के अनुसार मेष, सिंह, कन्या, कुंभ राशि के लएि सूर्य ग्रहण शुभ फल देने की स्थिति में रहेगा. इन लोगों को भाग्य का साथ मिल सकता है. वृष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर और मीन राशि के लोगों को सर्तक रहकर काम करना होेगा. इन लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है.