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भारतीय समाज में बढ़ रही रूढ़ीवादी धारणाओं को तोड़ने में मनोविज्ञान की भूमिका

प्रोफेसर नावेद इकबाल का कहना था कि समाज में रूढ़िवादी धारणाओं का चक्र चलता है, जो समाज के साथ बढ़ता है और एक नया रूप ले लेता है.

मनोविज्ञान का महत्व
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Published : Mar 28, 2019, 12:20 PM IST

नई दिल्ली: DU के ऑरोबिंद कॉलेज के अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान विभाग के तत्वधान में दो दिवसीय वार्षिक महोत्सव साइकोडेलिया का शुभारंभ किया गया. इसका विषय भारतीय समाज में बढ़ रही रूढ़ीवादी धारणाओं को तोड़ने में मनोविज्ञान की भूमिका था.

अरबिन्दो कॉलेज साइकॉडेलिया का शुभारंभ

महोत्सतव में बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर राधेश्याम एमडीयू रोहतक, प्रोफेसर नावेद इकबाल जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली, दिसावर दिल्ली विश्वविद्यालय और ऑरोबिंद कॉलेज की प्राचार्य डॉ नमिता राजपूत ने अपने विचार व्यक्त किए.

मनोविज्ञान का महत्व
राधेश्याम ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि समय के साथ रूढ़िवादी धारणाओं का स्वरूप बदल रहा है जो कि मनोविज्ञान के लिए एक नई चुनौती बनकर खड़ी हो गई है. इसको हल करने के लिए हमें नई तरह से सोचने की जरूरत है. इस दौरान कई वक्ताओं ने अपने विचारों को रखा और नए समाज के निर्माण में मनोविज्ञान का क्या महत्व हो सकता है छात्रों को बताया.

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नावेद इकबाल का कहना था कि समाज में रूढ़िवादी धारणाओं का चक्र चलता है, जो समाज के साथ बढ़ता है और एक नया रूप ले लेता है. डॉक्टर नवीन इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संदर्भ में धर्म और रूढ़िवादी धरनाओं के संबंध पर भी मनोविज्ञान को ध्यान देना चाहिए.

विद्यार्थियों ने दी प्रस्तुति
वहीं डॉ दिनेश ने इस संबंध में नवाचार पर बल दिया उन्होंने विद्यार्थियों को मनोविज्ञान के बढ़ते आयामो के विषय में बताया. इस आयोजन में मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने भी कई प्रस्तुति दी तथा प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. मनोविज्ञान विभाग के अधिकारी डॉ सुजीत दीपा ने भी अपने विचार रखे और विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया.

नई दिल्ली: DU के ऑरोबिंद कॉलेज के अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान विभाग के तत्वधान में दो दिवसीय वार्षिक महोत्सव साइकोडेलिया का शुभारंभ किया गया. इसका विषय भारतीय समाज में बढ़ रही रूढ़ीवादी धारणाओं को तोड़ने में मनोविज्ञान की भूमिका था.

अरबिन्दो कॉलेज साइकॉडेलिया का शुभारंभ

महोत्सतव में बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर राधेश्याम एमडीयू रोहतक, प्रोफेसर नावेद इकबाल जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली, दिसावर दिल्ली विश्वविद्यालय और ऑरोबिंद कॉलेज की प्राचार्य डॉ नमिता राजपूत ने अपने विचार व्यक्त किए.

मनोविज्ञान का महत्व
राधेश्याम ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि समय के साथ रूढ़िवादी धारणाओं का स्वरूप बदल रहा है जो कि मनोविज्ञान के लिए एक नई चुनौती बनकर खड़ी हो गई है. इसको हल करने के लिए हमें नई तरह से सोचने की जरूरत है. इस दौरान कई वक्ताओं ने अपने विचारों को रखा और नए समाज के निर्माण में मनोविज्ञान का क्या महत्व हो सकता है छात्रों को बताया.

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नावेद इकबाल का कहना था कि समाज में रूढ़िवादी धारणाओं का चक्र चलता है, जो समाज के साथ बढ़ता है और एक नया रूप ले लेता है. डॉक्टर नवीन इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संदर्भ में धर्म और रूढ़िवादी धरनाओं के संबंध पर भी मनोविज्ञान को ध्यान देना चाहिए.

विद्यार्थियों ने दी प्रस्तुति
वहीं डॉ दिनेश ने इस संबंध में नवाचार पर बल दिया उन्होंने विद्यार्थियों को मनोविज्ञान के बढ़ते आयामो के विषय में बताया. इस आयोजन में मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने भी कई प्रस्तुति दी तथा प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. मनोविज्ञान विभाग के अधिकारी डॉ सुजीत दीपा ने भी अपने विचार रखे और विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया.

Intro:
डेडलाइन-दक्षिणी दिल्ली

दिल्ली विश्वविद्यालय के ऑरोबिंद कॉलेज के अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान विभाग के तत्वधान में दो दिवशीय वार्षिक महोत्सव साइकोडेलिया का शुभारंभ किया गया इसका विषय भारतीय समाज में व्याप्त रूढ़िवादी धारणाओं को तोड़ने में मनोविज्ञान की भूमिका था इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर राधेश्याम एमडीयू रोहतक प्रोफेसर नवेद इकबाल जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली दिसावर दिल्ली विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ नमिता राजपूत ने अपने विचार व्यक्त किए राधेश्याम ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि समय के साथ रूढ़िवादी धारणा ओं का स्वरूप बदल रहा है जो कि मनोविज्ञान के लिए एक नई चुनौती बनकर खड़ी हो गई है इसके समाधान के लिए हमें नई तरह से सोचने की जरूरत है इस दौरान कई वक्ताओं ने अपने विचारों को रखा और नए समाज के निर्माण में मनोविज्ञान का क्या महत्व हो सकता है इसके बारे में उपस्थित विद्यार्थियों को बताया ।


Body:दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नावेद इकबाल यहां अतिथि के तौर पर पहुंचे उनका कहना था कि समाज में रूढ़िवादी धारणाओं का चक्र चलता है जो समाज के साथ बढ़ता है और एक नया रूप ले लेता है डॉक्टर नवीन इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संदर्भ में धर्म और रूढ़िवादी धरनाओं के संबंध पर भी मनोविज्ञान को ध्यान देना चाहिए वहीं डॉ दिनेश ने इस संबंध में नवाचार पर बल दिया उन्होंने विद्यार्थियों को मनोविज्ञान के बढ़ते आयामो के विषय में बताया इस आयोजन में मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने भी कई प्रस्तुति दी तथा प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया इस आयोजन में मनोविज्ञान विभाग के अधिकारी डॉ सुजीत दीपा ने अपने विचार रखे तथा विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया ।

बाइट-डॉ नामिता राजपूत (प्रिंसिपल ऑरोबिंद कॉलेज )
बाइट-नावेद इक़बाल (प्रो. JMI यूनिवर्सिटी)


Conclusion: दरअसल मनोविज्ञान में इस तरीके के आयोजन से विद्यार्थियों में समाज के रूढ़िवादिता से निपटने में मदद मिलती है इस आयोजन में कॉलेज के कई शिक्षक और छात्र मौजूद रहे ।
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