नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के गांव की जो तस्वीर होनी चाहिए, वह नहीं है. यह चिंता की बात है. उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले ग्रामीण विकास फंड में वर्षों से पड़े 800 करोड़ रुपए डीडीए को ट्रांसफर हो गए हैं. अभी तक डीएम, एसडीएम व अन्य अधिकारियों ने गांवों की समस्या को दूर करने के लिए जो प्लान तैयार किया है, अब इस फंड से वहां पर विकास कार्य कराया जाएगा.
मंगलवार को उपराज्यपाल ने दिल्ली के अलग-अलग गांव के लोगों से संवाद के दौरान उनकी समस्याएं सुनीं. उन्होंने कहा कि अलग-अलग एजेंसियां अभी तक गांव में विकास कार्य के लिए अलग-अलग योजनाएं बनाती रही हैं, लेकिन यह अमल में नहीं लाया गया है. गांव वाले आखिर क्या सुविधा चाहते हैं, गांव में सड़कें, नालियां, किस तरह की बने, सामुदायिक केंद्र कहां पर हो, उनकी बातों को सुनने के बाद अब कार्य योजना तैयार कर काम शुरू किया जाएगा.
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#WATCH दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कहा, "दिल्ली के गांव समस्याओं से जूझ रहे हैं...मैं दिल्ली के गांवों का दौरा करता रहा हूं...वहां सड़कों, सफाई, कुछ स्कूलों की समस्या है...दिल्ली देश की राजधानी है इसलिए दिल्ली में सब कुछ विश्वस्तरीय होनी चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से… pic.twitter.com/PO6nUof6LL
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 2, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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समस्याओं से जूझ रहे गांवः उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि पिछले साल दिल्ली के पांच गावों को गोद लिया था. वहां पर विकास कार्य हुए हैं, लेकिन अफसोस है कि राजधानी में जहां सब कुछ वर्ल्ड क्लास होना चाहिए आज भी यहां की गांव की तस्वीर ठीक नहीं है. आज भी गांव समस्याओं से जूझ रहे हैं. वहां सड़कों, सफाई, कुछ स्कूलों की समस्या है. दिल्ली देश की राजधानी है इसलिए दिल्ली में सब कुछ विश्वस्तरीय होनी चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं है.
विकास मंत्री गोपाल राय ने दिया जवाबः LG के बयान के बाद दिल्ली के विकास मंत्री गोपाल राय कहा कि दिल्ली में जब से अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनी है, गांवों में तेजी से विकास कार्य हुआ है. पिछले 7-8 वर्षों में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के गांवों के विकास के लिए जितना काम किया है, उतना काम आजतक किसी दूसरी सरकार ने नहीं किया है.
मंत्री ने किया दावा
- दिल्ली के गांवों में संपर्क सड़कों और ग्रामीण सड़कों का निर्माण
- तालाबों व जलाशयों का विकास
- गावों में सामुदायिक केंद्र, पार्क, श्मशान, खेल मैदान, व्यायाम शाला, लाइब्रेरी का विकास
- जल निकासी संरचनाओं का निर्माण
- चौपालों, बारात घर, सामुदायिक केंद्र आदि का निर्माण और मरम्मत का कार्य
- पेयजल सुविधा, स्ट्रीट लाइट आदि जैसे अन्य आवश्यकता आधारित कार्य
राजधानी में हैं 300 गांवः दिल्ली में बचे हुए गांवों की संख्या करीब 300 है. बदरपुर से लेकर छतरपुर, महिपालपुर, बिजवासन, नजफगढ़, नांगलोई, बवाना, नरेला आदि पूरा इलाका दिल्ली देहात के तहत है. दिलचस्प बात है कि गगनचुंबी इमारतों और चमचमाती सड़कों से सजी-धजी दिल्ली का शहरी इलाका असल में गांव की कीमत पर ही आबाद हुआ है. अंग्रेज बहादुरों ने अपनी गोरी मेमों की शॉपिंग के लिए विकसित कनॉट प्लेस किया गया. यह बाजार माधोगंज गांव की जमीन पर आबाद हुआ है. शहर के हर हिस्से के समीप एक गांव दबा है, लेकिन चंद फासले की दूरी में ही कॉलोनियों में विकास कार्य और गांव में बदहाली दिख जाती है.