नई दिल्ली: अंगदान की डिमांड और सप्लाई के बीच के बड़े गैप को कम करने का प्रयास किया जा रहा है. इसी प्रयास के तहत एम्स की ओर्बो डिपार्टमेंट के मेडिकल सोशल वेलफेयर अधिकारी राजीव मैखुरी 'राइड फॉर लाइफ' कैंपेन चला रहे हैं. इस कैंपेन का लोगों पर असर भी हो रहा है. अंगदान के प्रति लोग जागरूक हो रहे हैं और खुद को अंगदान के लिए ओर्बो से रजिस्टर्ड कर रहे हैं.
राजीव को इस प्रयास के दौरान एक चीज की कमी खल रही है और वह है कि जिन लोगों को किसी दूसरे के अंगदान की वजह से नई जिंदगी मिली है, वो इसको लेकर जागरूक नहीं हैं, साथ ही उन्होंने अपनी तरफ से अंगदान के प्रति जागरूकता के लिए कोई योगदान देने की पहल नहीं की है. जो खुशी किसी दूसरे का अंग प्राप्त कर रेसिपीएंट को हुई, वही खुशी वो किसी और को भी दे सकते हैं.
अंगदान के लिए संदेश
राजीव ने ऐसे लोगों के लिए एक संदेश दिया है, जिन्हें किसी दूसरे के दान किए हुए अंग की वजह से नई जिंदगी जीने का मौका मिला है और जो लोग अंगदान का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे लोग अपनी-अपनी सोसाइटी में जाएं और लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करें क्योंकि रेसिपीएंट अंगदान के प्राकृतिक एंबेसडर होते हैं.
वे किसी दूसरे का अंग अपने शरीर में ग्रहण कर एक नई जिंदगी जी रहे हैं, तो इसके महत्व को उनसे ज्यादा कोई और नहीं समझ सकता है. जब ऐसे लोग समस्या में थे. किसी अंगदान का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और जब अंगदान उन्हें मिला तो उन्हें कितनी खुशी हुई. यही खुशी वे दूसरों को भी दे सकते हैं.
रेसिपीयंट सोसाइटी को रिटर्न गिफ्ट दे
रेसिपीयंट को जिसने भी अंगदान देकर नई जिंदगी जीने का अवसर दिया है, इसे वो एक गिफ्ट की तरह समझें. अब ये उनकी जिम्मेदारी है कि सोसाइटी को वो रिटर्न गिफ्ट दें. इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें अंगदान किसी ने किया तो उन्हें भी अंग दान के लिए मजबूर किया जाए. ऐसे लोग दूसरे लोगों को जागरूक करने का काम तो कर ही सकते हैं.
वे अपना उदाहरण देकर लोगों को प्रोत्साहित कर सकते हैं. अगर ऐसे लोग समाज में नहीं जाना चाहते तो आस पास जितने भी रिश्तेदार की असामयिक मृत्यु होती है, उनके परिवार को अंगदान के लिए तैयार तो कर ही सकते हैं. अंगदान की देश में बहुत कमी है, रेसिपीएंट इस कमी को कम कर सकते हैं.
अंगदान की मुहिम से जुड़ें पुराने रेसिपीयंट
राजीव ने बताया कि हमारे देश में हर साल 15 हजार किडनी ट्रांसप्लांट होते हैं. 250 हार्ट ट्रांसप्लांट होते हैं. आखिर ये लोग कहां हैं, जिन्हें किसी दूसरे का अंग ट्रांसप्लांट कर एक नई जिंदगी दी गई है. राजीव ऐसे लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे जहां भी हैं अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन कर बाहर निकलें और लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करें, क्योंकि उनसे ज्यादा बेहतर इस प्रॉब्लम को कोई और नहीं समझ सकता है.
वे उस दौर से गुजर चुके हैं. उन्हें कैसे ऑर्गन मिला, इसके लिए उन्हें कितना इंतजार करना पड़ा. अंगदान के लिए रेसिपीयंट से बड़ा कोई दूसरा ब्रांड एंबेसडर नहीं हो सकता है. आगे आएं और अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक और प्रेरित करें.