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जेल में रह रहे कैदियों के बच्चों पर की गई रिसर्च, जानिए कैसा होता है उनका जीवन

प्रोफेसर नीलम का कहना था कि इस शोध के बाद यह निकल कर सामने आया कि सरकार को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि जो कैदी जेल में रह रहे हैं. उनके बच्चों का सही से पालन पोषण हो सके.

Jamia professor did research on the children of prisoners living in jail
जामिया की प्रोफेसर ने की जेल में रह रहे कैदियों के बच्चों को लेकर रिसर्च
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Published : Mar 2, 2020, 8:10 AM IST

Updated : Mar 2, 2020, 8:57 AM IST

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नीलम सुखरामानी ने जेल में सजा काट रहे कैदियों के बच्चों पर एक शोध किया है. जिसमें उन्होंने उन बच्चों के सामाजिक, शिक्षा और आर्थिक जीवन को लेकर जानकारी जुटाई है. इस शोध के बाद प्रोफेसर नीलम का कहना है कि माता-पिता में से किसी एक या दोनों के जेल जाने के बाद उस बच्चे के जीवन पर गहरा असर पड़ता है, जिस पर समाज और सरकार इतना ध्यान नहीं देती.

जामिया की प्रोफेसर ने की जेल में रह रहे कैदियों के बच्चों को लेकर रिसर्च
6 साल तक के बच्चों को जेल में रहने की अनुमति
प्रोफेसर नीलम ने बताया कि हमारे कानून के मुताबिक यदि मां-बाप में से कोई जेल में जाता है, तो 6 साल की उम्र तक के बच्चे जेल में रह सकते हैं. लेकिन 6 साल के बाद जो बच्चे बाहर रहते हैं उनको लेकर कोई शोध हमारे समाज में नहीं किया गया है. बहुत कम ही ऐसे मामले हमें देखने को मिले हैं, जिसमें की 6 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे जिनके मां बाप में से कोई एक जेल में हैं उनकी स्थिति के बारे में जानकारी दी गई हो.
Jamia professor did research on the children of prisoners living in jail
जामिया की प्रोफेसर ने की जेल में रह रहे कैदियों के बच्चों को लेकर रिसर्च
18 साल तक के बच्चों से की गई बात
प्रोफेसर नीलम ने ईटीवी भारत को बताया कि हमने सबसे पहले जेल में रह रहे कैदियों से उनके बच्चों की जानकारी मांगी और बच्चों से बात कर उनकी मानसिक स्थिति और समाज में आने वाली परेशानियों के बारे में चर्चा की. प्रोफेसर नीलम ने बताया कि हमने 6 से 8 और 12 से 18 साल के बच्चों की कैटेगरी बनाकर अलग-अलग बात की, जिसमें हमें उनकी कई समस्याएं जानने को मिली.
Jamia professor did research on the children of prisoners living in jail
जामिया की प्रोफेसर ने की जेल में रह रहे कैदियों के बच्चों को लेकर रिसर्च
कैदियों के बच्चों की जिम्मेदारी पर सवाल?
प्रोफेसर नीलम का कहना था कि इस शोध के बाद यह निकल कर सामने आया कि सरकार को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि जो कैदी जेल में रह रहे हैं. उनके बच्चों का सही से पालन पोषण हो सके. इसके लिए सरकार को चाहिए कि जो कैदी जेल में जाता है, उससे उसके बच्चे की जानकारी ले और उस बच्चे से संपर्क कर उसे हर संभव मदद दी जाए. इसी के साथ जो कैदी जेल में हैं, उनसे यदि उनके बच्चे मिलना चाहते हैं तो इसके लिए चाइल्ड फ्रेंडली विजिट की सुविधा भी की जानी चाहिए.

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नीलम सुखरामानी ने जेल में सजा काट रहे कैदियों के बच्चों पर एक शोध किया है. जिसमें उन्होंने उन बच्चों के सामाजिक, शिक्षा और आर्थिक जीवन को लेकर जानकारी जुटाई है. इस शोध के बाद प्रोफेसर नीलम का कहना है कि माता-पिता में से किसी एक या दोनों के जेल जाने के बाद उस बच्चे के जीवन पर गहरा असर पड़ता है, जिस पर समाज और सरकार इतना ध्यान नहीं देती.

जामिया की प्रोफेसर ने की जेल में रह रहे कैदियों के बच्चों को लेकर रिसर्च
6 साल तक के बच्चों को जेल में रहने की अनुमति
प्रोफेसर नीलम ने बताया कि हमारे कानून के मुताबिक यदि मां-बाप में से कोई जेल में जाता है, तो 6 साल की उम्र तक के बच्चे जेल में रह सकते हैं. लेकिन 6 साल के बाद जो बच्चे बाहर रहते हैं उनको लेकर कोई शोध हमारे समाज में नहीं किया गया है. बहुत कम ही ऐसे मामले हमें देखने को मिले हैं, जिसमें की 6 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे जिनके मां बाप में से कोई एक जेल में हैं उनकी स्थिति के बारे में जानकारी दी गई हो.
Jamia professor did research on the children of prisoners living in jail
जामिया की प्रोफेसर ने की जेल में रह रहे कैदियों के बच्चों को लेकर रिसर्च
18 साल तक के बच्चों से की गई बात
प्रोफेसर नीलम ने ईटीवी भारत को बताया कि हमने सबसे पहले जेल में रह रहे कैदियों से उनके बच्चों की जानकारी मांगी और बच्चों से बात कर उनकी मानसिक स्थिति और समाज में आने वाली परेशानियों के बारे में चर्चा की. प्रोफेसर नीलम ने बताया कि हमने 6 से 8 और 12 से 18 साल के बच्चों की कैटेगरी बनाकर अलग-अलग बात की, जिसमें हमें उनकी कई समस्याएं जानने को मिली.
Jamia professor did research on the children of prisoners living in jail
जामिया की प्रोफेसर ने की जेल में रह रहे कैदियों के बच्चों को लेकर रिसर्च
कैदियों के बच्चों की जिम्मेदारी पर सवाल?
प्रोफेसर नीलम का कहना था कि इस शोध के बाद यह निकल कर सामने आया कि सरकार को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि जो कैदी जेल में रह रहे हैं. उनके बच्चों का सही से पालन पोषण हो सके. इसके लिए सरकार को चाहिए कि जो कैदी जेल में जाता है, उससे उसके बच्चे की जानकारी ले और उस बच्चे से संपर्क कर उसे हर संभव मदद दी जाए. इसी के साथ जो कैदी जेल में हैं, उनसे यदि उनके बच्चे मिलना चाहते हैं तो इसके लिए चाइल्ड फ्रेंडली विजिट की सुविधा भी की जानी चाहिए.
Last Updated : Mar 2, 2020, 8:57 AM IST
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