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अलका लांबा ने भी छोड़ा साथ, अब चुनावों में AAP का क्या होगा...पढ़िए इनसाइड स्टोरी

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले AAP को अलविदा कहने वालों की संख्या बढ़ गई है. अलका लांबा के बागी तेवर अख्तियार करने के बाद बागियों की संख्या 5 पहुंच गई है.

AAP के बागियों से कितना होगा नफा-नुकसान!
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Published : Sep 8, 2019, 9:03 AM IST

Updated : Sep 8, 2019, 10:19 AM IST

नई दिल्ली: अलका लांबा ने भी आखिरकार बगावत के बाद AAP को अलविदा कह दिया. इसी के साथ हाल के दिनों में AAP के उन विधायकों की संख्या 5 तक पहुंच गई. जिन्होंने पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों का दामन थाम लिया.

AAP के बागियों से कितना होगा नफा-नुकसान!

AAP छोड़ना AAP के लिए नुकसानदेह हो सकता है!
अनिल वाजपेयी ने 3 मई, देवेंद्र सेहरावत ने 6 मई और कपिल मिश्रा ने 17 अगस्त को बीजेपी ज्वाइन की थी. इससे पहले संदीप कुमार बसपा में शामिल हो चुके हैं. अब अलका लांबा ने भी 6 सितंबर को कांग्रेस ज्वाइन कर ली. AAP के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने इन नेताओं में से दो नेता संदीप कुमार और कपिल मिश्रा तो दिल्ली सरकार में मंत्री भी रहे है. ऐसे में इनकी सियासी हैसियत का अंदाजा लगाया जा सकता है. अब इन सभी का AAP से रिश्ता समाप्त हो चुका है और अब ये अपनी अपनी नई पार्टियों में हैं.

इनका उन पार्टियों के साथ होना उन्हें कितना फायदा पहुंचाएगा. यह अभी देखा जाना बाकी है, लेकिन अभी से स्पष्ट दिखने लगा है कि इनका AAP छोड़ना AAP के लिए नुकसानदेह हो सकता है.

करावल नगर विधानसभा में कपिल मिश्रा की पैठ
कपिल मिश्रा जिस करावल नगर विधानसभा से चुनाव लड़े, वहां अब भी अपनी पैठ के लिए जाने जाते हैं. वहीं चांदनी चौक में अलका लांबा खासा लोकप्रिय हैं. बिजवासन से देवेंद्र सेहरावत भारी वोटों से चुनाव जीते थे और अब भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं. अनिल वाजपेयी भी गांधीनगर में सक्रिय दिख रहे हैं. संदीप कुमार भी अपने सुल्तानपुर माजरा विधानसभा में दौरे कर रहे हैं. यानी ये सभी नेता अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनावों से पहले सक्रिय हो चुके हैं.

नए चेहरों को मैदान में उतारना होगा
ऐसे में AAP के लिए 5 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में जिन चेहरों ने 2015 के विधानसभा चुनाव में AAP का प्रतिनिधित्व किया था. अब उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतारना होगा और न सिर्फ लोगों तक यह बात पहुंचानी होगी, बल्कि उनके पक्ष में माहौल भी बनाना होगा.

गांधीनगर में आतिशी का विधानसभा कार्यालय
गांधीनगर में तो AAP की लोकसभा प्रत्याशी रही आतिशी का विधानसभा कार्यालय भी खुल चुका है. वहीं चांदनी चौक से खबर है कि यहां विधानसभा चुनाव में भी AAP पंकज गुप्ता को ही आजमाएगी. जो यहीं से लोकसभा लड़ चुके हैं. वहीं, करावल नगर के लिए AAP अपने नेता दुर्गेश पाठक को सक्रिय कर रही है. लेकिन बिजवासन और सुल्तानपुर माजरा के लिए अब तक किसी का नाम खुलकर सामने नहीं आया है. देखने वाली बात होगी कि इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में AAP किस तरह अपने ही पुराने चेहरों को मात देने के लिए बिसात बिछाती है.

नई दिल्ली: अलका लांबा ने भी आखिरकार बगावत के बाद AAP को अलविदा कह दिया. इसी के साथ हाल के दिनों में AAP के उन विधायकों की संख्या 5 तक पहुंच गई. जिन्होंने पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों का दामन थाम लिया.

AAP के बागियों से कितना होगा नफा-नुकसान!

AAP छोड़ना AAP के लिए नुकसानदेह हो सकता है!
अनिल वाजपेयी ने 3 मई, देवेंद्र सेहरावत ने 6 मई और कपिल मिश्रा ने 17 अगस्त को बीजेपी ज्वाइन की थी. इससे पहले संदीप कुमार बसपा में शामिल हो चुके हैं. अब अलका लांबा ने भी 6 सितंबर को कांग्रेस ज्वाइन कर ली. AAP के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने इन नेताओं में से दो नेता संदीप कुमार और कपिल मिश्रा तो दिल्ली सरकार में मंत्री भी रहे है. ऐसे में इनकी सियासी हैसियत का अंदाजा लगाया जा सकता है. अब इन सभी का AAP से रिश्ता समाप्त हो चुका है और अब ये अपनी अपनी नई पार्टियों में हैं.

इनका उन पार्टियों के साथ होना उन्हें कितना फायदा पहुंचाएगा. यह अभी देखा जाना बाकी है, लेकिन अभी से स्पष्ट दिखने लगा है कि इनका AAP छोड़ना AAP के लिए नुकसानदेह हो सकता है.

करावल नगर विधानसभा में कपिल मिश्रा की पैठ
कपिल मिश्रा जिस करावल नगर विधानसभा से चुनाव लड़े, वहां अब भी अपनी पैठ के लिए जाने जाते हैं. वहीं चांदनी चौक में अलका लांबा खासा लोकप्रिय हैं. बिजवासन से देवेंद्र सेहरावत भारी वोटों से चुनाव जीते थे और अब भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं. अनिल वाजपेयी भी गांधीनगर में सक्रिय दिख रहे हैं. संदीप कुमार भी अपने सुल्तानपुर माजरा विधानसभा में दौरे कर रहे हैं. यानी ये सभी नेता अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनावों से पहले सक्रिय हो चुके हैं.

नए चेहरों को मैदान में उतारना होगा
ऐसे में AAP के लिए 5 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में जिन चेहरों ने 2015 के विधानसभा चुनाव में AAP का प्रतिनिधित्व किया था. अब उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतारना होगा और न सिर्फ लोगों तक यह बात पहुंचानी होगी, बल्कि उनके पक्ष में माहौल भी बनाना होगा.

गांधीनगर में आतिशी का विधानसभा कार्यालय
गांधीनगर में तो AAP की लोकसभा प्रत्याशी रही आतिशी का विधानसभा कार्यालय भी खुल चुका है. वहीं चांदनी चौक से खबर है कि यहां विधानसभा चुनाव में भी AAP पंकज गुप्ता को ही आजमाएगी. जो यहीं से लोकसभा लड़ चुके हैं. वहीं, करावल नगर के लिए AAP अपने नेता दुर्गेश पाठक को सक्रिय कर रही है. लेकिन बिजवासन और सुल्तानपुर माजरा के लिए अब तक किसी का नाम खुलकर सामने नहीं आया है. देखने वाली बात होगी कि इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में AAP किस तरह अपने ही पुराने चेहरों को मात देने के लिए बिसात बिछाती है.

Intro:अलका लांबा ने भी आखिरकार बागी कदम उठाने के बाद आम आदमी पार्टी को अलविदा कह दिया और इसी के साथ हाल के दिनों में आम आदमी पार्टी के उन विधायकों की संख्या पांच तक पहुंच गई जिन्होंने पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों का दामन थाम लिया.


Body:नई दिल्ली: अनिल वाजपेयी ने 3 मई, देवेंद्र सेहरावत ने 6 मई और कपिल मिश्रा ने 17 अगस्त को भाजपा ज्वाइन किया था. इससे पहले संदीप कुमार बसपा में शामिल हो चुके थे. अलका लंबा ने भी 6 सितंबर को कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने इन नेताओं में से दो नेता संदीप कुमार और कपिल मिश्रा तो दिल्ली सरकार में मंत्री भी रहे, ऐसे में इनकी सियासी हैसियत का अंदाजा लगाया जा सकता है.

अब इन सभी का आम आदमी पार्टी से रिश्ता समाप्त हो चुका है और अब ये अपनी अपनी नई पार्टियों में हैं. इनका उन पार्टियों के साथ होना उन्हें कितना फायदा पहुंचाएगा यह अभी देखा जाना बाकी है, लेकिन अभी से स्पष्ट दिखने लगा है कि इनका आम आदमी पार्टी छोड़ना आम आदमी पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता है.

कपिल मिश्रा जिस करावल नगर विधानसभा से चुनाव लड़े, वहां अब भी अपनी पैठ के लिए जाने जाते हैं, वहीं चांदनी चौक में अलका लंबा खासा लोकप्रिय हैं. बिजवासन से देवेंद्र सेहरावत भारी वोटों से चुनाव जीते थे और अब भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं. अनिल वाजपेयी भी गांधीनगर में सक्रिय दिख रहे हैं, वहीं सन्दीप कुमार भी अपने सुल्तानपुर माजरा विधानसभा में दौरे कर रहे हैं. यानी ये सभी नेता की अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनावों से पहले सक्रिय हो चुके हैं.

ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए 5 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में जिन चेहरों ने 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व किया था, अब उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतारना होगा और न सिर्फ लोगों तक यह बात पहुंचानी होगी, बल्कि उनके पक्ष में माहौल भी बनाना होगा.


Conclusion:गांधीनगर में तो आम आदमी पार्टी की लोकसभा प्रत्याशी रही आतिशी का विधानसभा कार्यालय भी खुल चुका है, वहीं चांदनी चौक से खबर है कि यहां विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी पंकज गुप्ता को ही आजमाएगी, जो यहीं से लोकसभा लड़ चुके हैं. वहीं, करावल नगर के लिए आम आदमी पार्टी अपने नेता दुर्गेश पाठक को सक्रिय कर रही है. लेकिन बिजवासन और सुल्तानपुर माजरा के लिए अब तक किसी का नाम खुलकर सामने नहीं आया है. देखने वाली बात होगी कि इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी किस तरह अपने ही पुराने चेहरों को मात देने के लिए बिसात बिछाती है.
Last Updated : Sep 8, 2019, 10:19 AM IST
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