नई दिल्ली: राजधानी में शनिवार हुई हल्की बारिश में संगम विहार की कच्ची गलियों में पानी भर गया, और रतिया मार्ग कीचड़ में भर गया. कुछ जगह तो घुटने तक पानी भर गया. जिसकी वदह से वहां से गुजरने वाले को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसी हालत तब है जब मॉनसून अभी आया भी नहीं है. मॉनसून आने के बाद जब तेज बारिश होगी तब क्या हाल होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
न जमकर बारिश हो रही और ना ही अभी मानसून ने दिल्ली में दस्तक दी है, लेकिन संगम विहार की मुख्य सड़क रतिया मार्गपर पानी भरा हुआ है. रतिया मार्ग के शुरू होते ही लगभग 40 फीट पक्की कंक्रीट की सड़क दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले बनाई गई है.
फिर सड़क को कच्ची ही छोड़ दिया गया. गली नंबर 12 से लेकर 16 तक कंक्रीट की सड़क बनी है. उसके बाद अंदर तक हालात खस्ता है. जहां बिन बरसात ही पानी जमा रहता है, यहां से गुजरने वाले को बड़ी दिक्कत होती है, लेकिन मजबूरी में गंदे पानी में उतरकर यहां से निकलना ही पड़ता है.
लोगों की खुशी हुई काफूर
काफी वर्षों बाद जीर्ण-शीर्ण रतिया मार्ग का थोड़ा कायापलट शुरू हुआ था, जो बिल्कुल बरसाती मेंढक की तरह ही चुनाव से शुरू होकर चुनाव तक आकर ही सिमट गया. पहली बार 2015 में संगम विहार के रतिया और बत्रा मार्ग को कंक्रीट का पक्का बनाया गया था. तब इलाके के लोग बहुत खुश हुए थे, लेकिन उनकी खुशी जल्दी ही काफूर हो गई.
जब छोटी नालियों से पानी निकलकर सड़क पर उतरने लगा. ऐसा अगले तीन वर्षों तक रहा. फिर यहां 2018 में सोनिया विहार का पानी पहुंचाने के लिये पाइपलाइन डालने का काम शुरू किया गया, जो अंतहीन चलता रहा. रतिया मार्ग की पक्की कंक्रीट की सड़क को बुलडोजर से तोड़कर फिर कच्चा बना दिया गया.
आधी सड़क बनी आधी नहीं
एक दुकानदार ने बताया कि जिनकी दुकानें यहां के विधायक दिनेश मोहनियां की जान पहचान वाले निकली उसके सामने से सड़क को पक्की कर दिया गया. जरा सोचिये, रतिया मार्ग की सड़क एम बी रोड से शुरू होकर अंदर की तरफ मुश्किल से 40 फीट तक ही क्यों पक्का करके छोड़ दिया गया.
उसके आगे जहां एक साथ कई बैंकों के एटीएम है, वहां से लेकर गली नंबर 12 तक एकदम कच्ची सड़क, जहां हमेशा गंदा पानी भरा रहता है. उसके बाद गली नंबर 12 से लेकर गली नंबर 17 तक पक्की सड़क बनाकर छोड़ दी गई, उसके आगे सड़क बेहद खराब स्थिति में है.
सीमा विवाद में उलझ है काम
संगम विहार एशिया की सबसे बड़ी अनधिकृत कॉलोनी है, लेकिन सीमा विवाद की वजह से या आज तक उपेक्षा का शिकार है. स्थानीय दुकानदार अवनीत का कहना है कि यहां सीमा विवाद को लेकर कभी विकास के काम नहीं होते.
वो तो अभी थोड़ा-सा काम इसीलिए ही पाया, क्योंकि विधानसभा चुनाव सामने था और सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को आखरी समय में कुछ काम करके दिखाना था तो यहां 24 घंटे दिन-रात लगातार काम चलते रहे. जैसे ही चुनाव परिणाम आया उसके बाद फिर वही पुरानी कहानी शुरू हो गई.
काम नहीं होता
लोग जब किसी काम के लिये काउंसिलर के पास जाते हैं तो वहां से विधायक के पास भेज दिया जाता है. विधायक कहते है कि सांसद के पास जाओ. विधायक आम आदमी पार्टी का है, काउंसिलर आम आम आदमी पार्टी का है और संसद बीजेपी का है.
इस तरह परेशान किया जाता है. जगह-जगह गड्ढे खुदे पड़े हैं, नालियों का पानी रोड पर है. हालत ऐसी है कि यहां कोई अपनी बहन- बेटी की शादी नहीं करना चाहता हैं.