नई दिल्ली: एक तरफ देश की सीमा पर चीन के साथ विवाद को लेकर गुस्सा है, जिसको लेकर देश में सभी चाइनीस प्रोडक्ट को बैन किए जाने की मांग की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ राजधानी दिल्ली में इस मुहिम के तेज हो जाने के बाद व्यापारियों की नींद उड़ी हुई है. क्योंकि इस विरोध से पहले व्यापारियों ने चीन से जो सामान मंगाया था, वह लॉकडाउन के कारण करीब 3 महीने बाद अब भारत में पहुंचा है. लेकिन उनकी दुकानों तक नहीं पहुंच पा रहा है.
महीनों बाद भारत पहुंचा चीन से सामान
राजधानी दिल्ली में एशिया की सबसे बड़ी हार्डवेयर एंड सॉफ्टवेयर मार्केट नेहरू प्लेस के व्यापारी और मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि चीन से मंगाया गया सामान भारत आ चुका है, लेकिन एयरपोर्ट से मार्केट तक नहीं पहुंच पा रहा. चीनी प्रोडक्ट बैन होने की मुहिम के बीच सामान को दुकानों तक नहीं आने दिया जा रहा है. लेकिन ऐसा क्यों किया जा रहा है? जबकि वह सामान काफी महीने पहले चीन से मंगाया गया था. जिसकी पेमेंट की जा चुकी है. ऐसे में अपने देश का ही नुकसान हो रहा है.
प्रधानमंत्री लें इस पर बड़ा फैसला
महेंद्र अग्रवाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि हम भी चीनी प्रोडक्ट का बहिष्कार करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए सरकार फैसला ले. प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार नोटबंदी का रातों-रात ऐलान किया, और उसके बाद लॉकडाउन का भी ऐलान किया गया. जिसके बाद पूर्ण रूप से लॉकडाउन का पालन भी हुआ और नोटबंदी का भी पालन हुआ. ऐसे ही यदि सरकार चीन से व्यापार खत्म करना चाहती है, तो इसका सीधा-सीधा ऐलान करें, लेकिन जो व्यापारी देश की रीढ़ की हड्डी है उसे इससे कई सौ करोड़ों का नुकसान हो रहा है.
30 से 40 फीसदी तक महंगा मिल रहा सामान
इसके साथ ही महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि हम व्यापारी चीन से व्यापार खत्म करना चाहते हैं. इसके लिए हम भी दूसरे देशों से सामान लेने के लिए बातचीत कर रहे हैं. जिसमें सिंगापुर, साउथ कोरिया, ताइवान आदि देश शामिल है. लेकिन यहां से माल तीन के मुकाबले 30 से 40 फ़ीसदी तक महंगा मिल रहा है. लेकिन इसके लिए भी हम तैयार हैं लेकिन हमें समय चाहिए और सरकार की नीति होना जरूरी है.
मेक इन इंडिया पर व्यापारियों ने रखी अपनी राय
इसके साथ ही मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि हम मेक इन इंडिया का समर्थन करते हैं. लेकिन मेक इन इंडिया का सरकार नारा तो देती है, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और है. जमीनी स्तर पर मेक इन इंडिया को लेकर कोई भी पुख्ता तौर पर काम नहीं किए गए हैं. यदि एक व्यापारी इंडस्ट्री डालना चाहता है तो उसे कई सरकारी प्रक्रिया उसे होकर गुजरना पड़ता है, ऐसे में उसे काफी परेशानी होती हैं.