नई दिल्ली: दिल्ली में बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) को टूटे हुए करीब साढ़े सात साल बीत गए हैं, लेकिन इस पर अब भी न तो स्थाई यू-टर्न बन सके हैं और न ही पक्का डिवाइडर बनाया जा सका है. इस कारण इस मार्ग से होकर आने-जाने वाले लोगों को रोजाना जाम का सामना करना पड़ता है. यातायात पुलिस अस्थाई यू-टर्न और जर्सी डिवाइडर से किसी तरह काम चला रही है.
जनवरी 2016 में दिल्ली सरकार ने इसे तोड़ने का काम शुरू किया था. इसे तोड़ने पर तीन करोड़ 15 लाख 76 हजार रुपए खर्च किए गए थे. तब दिल्ली सरकार ने कहा था कि इसे जनता की सुविधा के लिए तोड़ा जा रहा है. जल्द ही इसे पहले से बेहतर बनाया जाएगा और पक्के डिवाइडर और यू टर्न बनाए जाएंगे ताकि जाम न लगे. लेकिन साढ़े सात साल बाद भी इस मार्ग पर सुगम यातायात का सपना साकार नहीं हुआ है. इस बारे में स्थानीय विधायक अजय दत्त को कॉल किया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.
जर्सी डिवाइडरों पर सड़क सुरक्षा के उपाय भी नहीं
पूरे मार्ग और यू-टर्न पर जो जर्सी डिवाइडर लगाए गए हैं, उन पर न तो नाइट रिफ्लेक्टर्स लगे हैं और न ब्लिंकर्स. इन पर साइनेज भी नहीं हैं. इस कारण रात में डिवाइडरों का पता नहीं चलता है और वाहनों के डिवाइडर में टकरा जाने का खतरा बना रहता है. सड़क सुरक्षा के लिए काम करने वाली संस्था गुरु हनुमान सोसायटी आफ इंडिया के महासचिव अतुल रणजीत कुमार ने बताया कि सुगम यातायात के लिए उन्होंने यातायात पुलिस व संबंधित विभागों से इसकी मांग की थी. काफी प्रयास के बाद यह काम शुरू हो पाया था. अभी तीन यू-टर्न को अस्थाई रूप से चालू कर दिया गया है. बाकी का काम भी पूरा हो जाएगा तो इस मार्ग पर यातायात जाम की समस्या खत्म हो सकती है.
जर्सी बैरियर से हादसे का खतरा
पूरे मार्ग पर हजारों जर्सी बैरियर हैं. एक जर्सी बैरियर करीब 20 कुंतल का होता है. बड़ी गाड़ियों की टक्कर से ये बैरियर किसी पर गिर जाए तो व्यक्ति की जान जा सकती है. जगह-जगह जर्सी बैरियर हटाकर लोगों ने आने-जाने का रास्ता बना लिया है. वाहनों की टक्कर से भी ये कई जगह आड़े-तिरछे हो गए हैं. जगह-जगह ये बैरियर हटे होने के कारण लोग जल्दबाजी के चक्कर में दूसरे कैरिजवे पर आ जाते हैं, जिससे जाम लग जाता है. चिराग दिल्ली रेडलाइट पर भी यह समस्या होती है जब लोग उल्टी दिशा में वाहन लेकर चले जाते हैं.