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जानिए... वृद्ध आश्रम में कैसे मनाया जाएगा New Year का जश्न - Guru Vishram old age home badarpur

नया साल के जश्न को लेकर हर तरफ धूम मची हुई है. हर कोई नए साल के जश्न की तैयारी कर रहा है. इसी बीच ईटीवी भारत की टीम बदरपुर के गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम में पहुंची. ईटीवी भारत ने आश्रम में रह रहे वृद्ध लोगों से जाना कि वो नया साल को कैसे मनाते है.

Guru Vishram old age home badarpur
वृद्ध आश्रम में नए साल की तैयारी
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Published : Dec 30, 2019, 8:36 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के बदरपुर के पास गौतमपुरी में बना गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम पिछले 16 सालों से बेसहारा बुजुर्गों को सहारा देता आ रहा है. ईटीवी भारत जब इस वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों से मिला, तो इंसानियत का एक अलग ही चेहरा यहां पर नजर आया. नए साल के जश्न को लेकर ईटीवी भारत ने बदरपुर के गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम में रह रहे बुजुर्गों से बातचीत की.

वृद्ध आश्रम में अपनों की राह देख रहे हैं बुजुर्ग
'सालों से परिवार वालों ने सुध नहीं ली'कुछ ही समय में नए साल में कदम रखने वाले हैं. हर कोई नया साल अपनों के साथ इसकी शुरुआत करता है, जिससे कि वो पूरे साल उसके साथ रहे और खुशियां बांटे. लेकिन वृद्ध आश्रम में ऐसे बुजुर्ग हैं जो कई सालों से वहां रह रहे हैं. जिन्हें उनके घर वालों ने उन्हें छोड़ दिया है और उनसे आज तक कभी मिलने नहीं आए. ना ही उनकी कभी सुध ली.

वृद्ध आश्रम में मनाया जाएगा नया साल
वृद्ध आश्रम में रह रहे बुजुर्गों ने ईटीवी भारत के सामने अपना दर्द बताया. 'अपनों ने नहीं अपनाया तो परायों को ही अपना बनाया' ये शब्द गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम में पिछले ढाई साल से रह एक बुजुर्ग के हैं. जो इस वृद्ध आश्रम को ही अपना घर मानकर यहा रह रहे हैं. उनका कहना था कि वो अब यहीं पर हर साल हर एक त्यौहार मनाते हैं और खुश होते हैं.


जब उनसे उनके घर की याद आने को लेकर सवाल किया गया, तो उनका कहना था कि जब उनके घरवालों ने उन्हें सड़क पर छोड़ दिया. उन्हें कभी प्यार ही नहीं किया, तो वो क्यों अपने घर वालों को याद करें.

अभी भी कर रहे अपनों का इंतजार
साथ ही कुछ वृद्ध लोग आज भी अपने घरवालों की राह देख रही हैं. वो आज भी सोचते हैं कि शायद उनके घर वाले आएंगे और उन्हें अपने साथ लेकर जाएंगे.

बेसहारों का सहारा बन रहा गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम
वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों की देखभाल करने वाली ज्योति ने बताया कि साल 2003 से ये आश्रम दिल्ली के बदरपुर के पास गौतमपुरी में चलाया जा रहा है. इसमें उन बुजुर्गों को यहां पर लाया जाता है, जो हमें सड़क किनारे बेहद ही दयनीय स्थिति में मिलते हैं. या उन्हें उनके घरवाले आश्रम छोड़ कर चले जाते हैं. हम उन बुजुर्गो को रेस्क्यू कर यहां लेकर आते हैं. उनका यहां पर हर प्रकार का इलाज किया जाता है और देखभाल की जाती है.

आश्रम में सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते हैं
सभी नए साल के जश्न की तैयारियों में लगे हैं, इसका इंतजार कर रहे हैं. अपनों को याद कर रहे हैं. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं. जिनके पास उनके अपने नहीं है. लेकिन ये वृद्धाश्रम उन बेसहारा लोगों को सहारा दे रहा है. क्योंकि सभी बुजुर्ग यहां एक साथ एक परिवार की तरह रह रहे हैं और सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली के बदरपुर के पास गौतमपुरी में बना गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम पिछले 16 सालों से बेसहारा बुजुर्गों को सहारा देता आ रहा है. ईटीवी भारत जब इस वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों से मिला, तो इंसानियत का एक अलग ही चेहरा यहां पर नजर आया. नए साल के जश्न को लेकर ईटीवी भारत ने बदरपुर के गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम में रह रहे बुजुर्गों से बातचीत की.

वृद्ध आश्रम में अपनों की राह देख रहे हैं बुजुर्ग
'सालों से परिवार वालों ने सुध नहीं ली'कुछ ही समय में नए साल में कदम रखने वाले हैं. हर कोई नया साल अपनों के साथ इसकी शुरुआत करता है, जिससे कि वो पूरे साल उसके साथ रहे और खुशियां बांटे. लेकिन वृद्ध आश्रम में ऐसे बुजुर्ग हैं जो कई सालों से वहां रह रहे हैं. जिन्हें उनके घर वालों ने उन्हें छोड़ दिया है और उनसे आज तक कभी मिलने नहीं आए. ना ही उनकी कभी सुध ली.

वृद्ध आश्रम में मनाया जाएगा नया साल
वृद्ध आश्रम में रह रहे बुजुर्गों ने ईटीवी भारत के सामने अपना दर्द बताया. 'अपनों ने नहीं अपनाया तो परायों को ही अपना बनाया' ये शब्द गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम में पिछले ढाई साल से रह एक बुजुर्ग के हैं. जो इस वृद्ध आश्रम को ही अपना घर मानकर यहा रह रहे हैं. उनका कहना था कि वो अब यहीं पर हर साल हर एक त्यौहार मनाते हैं और खुश होते हैं.


जब उनसे उनके घर की याद आने को लेकर सवाल किया गया, तो उनका कहना था कि जब उनके घरवालों ने उन्हें सड़क पर छोड़ दिया. उन्हें कभी प्यार ही नहीं किया, तो वो क्यों अपने घर वालों को याद करें.

अभी भी कर रहे अपनों का इंतजार
साथ ही कुछ वृद्ध लोग आज भी अपने घरवालों की राह देख रही हैं. वो आज भी सोचते हैं कि शायद उनके घर वाले आएंगे और उन्हें अपने साथ लेकर जाएंगे.

बेसहारों का सहारा बन रहा गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम
वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों की देखभाल करने वाली ज्योति ने बताया कि साल 2003 से ये आश्रम दिल्ली के बदरपुर के पास गौतमपुरी में चलाया जा रहा है. इसमें उन बुजुर्गों को यहां पर लाया जाता है, जो हमें सड़क किनारे बेहद ही दयनीय स्थिति में मिलते हैं. या उन्हें उनके घरवाले आश्रम छोड़ कर चले जाते हैं. हम उन बुजुर्गो को रेस्क्यू कर यहां लेकर आते हैं. उनका यहां पर हर प्रकार का इलाज किया जाता है और देखभाल की जाती है.

आश्रम में सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते हैं
सभी नए साल के जश्न की तैयारियों में लगे हैं, इसका इंतजार कर रहे हैं. अपनों को याद कर रहे हैं. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं. जिनके पास उनके अपने नहीं है. लेकिन ये वृद्धाश्रम उन बेसहारा लोगों को सहारा दे रहा है. क्योंकि सभी बुजुर्ग यहां एक साथ एक परिवार की तरह रह रहे हैं और सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते हैं.

Intro:'अपनों ने नहीं अपनाया तो परायो को ही अपना बनाया' यह शब्द हमारे नहीं है बल्कि गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम में पिछले ढाई साल से रह बुजुर्ग के हैं.जो इस वृद्ध आश्रम को ही अपना घर मानकर यहा रह रहे हैं. उनका कहना था कि वह अब यहीं पर हर साल हर एक त्यौहार मनाते हैं, और खुश होते हैं. हमने जब उनसे उनके घर की याद आने को लेकर सवाल किया, तो उनका कहना था कि जब उनके घरवालों ने उन्हें सड़क पर छोड़ दिया, उन्हें कभी प्यार ही नहीं किया, तो वह क्यों अपने घर वालों को याद करें.


Body:घरवालों ने अपने बुजुर्गों को छोड़ा हम कुछ ही समय में नए साल में कदम रखने वाले हैं और यह नया साल हर एक व्यक्ति के लिए बहुत खास होता है. हर कोई नए साल पर अपनों के साथ इसकी शुरुआत करता है, जिससे कि वह पूरे साल उसके साथ रहे और खुशियां बांटे. लेकिन हम जिस वृद्ध आश्रम में पहुंचे वहां हमने देखा कि तमाम ऐसे बुजुर्ग हैं जो कई सालों से वहां रह रहे हैं. जिन्हें उनके घर वालों ने छोड़ दिया है, जो उनसे आज तक कभी मिलने नहीं आए. और ना ही उनकी कभी सुध ली. बुजुर्ग अभी भी कर रहे अपनों का इंतजार लेकिन दिल को कचोटने वाली बात यह है कि यह बूढ़ी आंखें आज भी अपने घरवालों की राह देख रही हैं, वो यह आज भी सोचते हैं कि शायद उनके घर वाले आएंगे और उन्हें अपने साथ लेकर जाएंगे. वो यह नहीं जानते कि उनके घरवाले उनसे पीछा छुड़ाकर उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ कर चले गए हैं. 2003 से बेसहारों का सहारा बन रहा आश्रम गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम में इन बुजुर्गों की देखभाल करने वाली ज्योति ने बताया कि 2003 से यह आश्रम दिल्ली के बदरपुर के पास गौतमपुरी में चलाया जा रहा है. इसमें उन तमाम बुजुर्गों को यहां पर लाया जाता है जो हमें सड़क किनारे बेहद ही दयनीय स्थिति में मिलते हैं, या उन्हें उनके घरवाले छोड़ कर चले जाते हैं. हम उन बुजुर्गो को रेस्क्यू कर यहां लेकर आते हैं. और उनका यहां पर हर एक प्रकार का इलाज किया जाता है


Conclusion:ऐसा भी है नया साल ईटीवी भारत जब इस वृद्ध आश्रम में इन तमाम बुजुर्गों से मिला, तो हमे इंसानियत का एक अलग ही चेहरा यहां पर नजर आया, कि आखिरकार कैसे वह बच्चे इतने बेरहम हो जाते हैं, जो अपने मां-बाप को सड़क किनारे दर-दर की ठोकरें खाने को छोड़ देते हैं. जहां हम सभी नए साल के जश्न की तैयारियों में लगे हैं, इसका इंतजार कर रहे हैं. अपनों को याद कर रहे हैं. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं, जिनके पास उनके अपने नहीं है. लेकिन यह वृद्धाश्रम उन बेसहारा लोगों का सहारा है, क्योंकि यहां पर सभी बुजुर्ग जो अलग-अलग धर्म के हैं वह एक साथ यहां पर एक परिवार की तरह रह रहे हैं और सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते हैं.
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