नई दिल्ली: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. एनसीबी ने दिल्ली-एनसीआर समेत राजस्थान के जयपुर से एलएसडी की बड़ी खेप पकड़ी है. इस ड्रग्स की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों रुपए आंकी जा रही है. बताया जाता है कि अब तक के इतिहास में एलएसडी की यह सबसे बड़ी खेप है. एनसीबी के डीडीजी ज्ञानेश्वर सिंह ने बताया कि गामागोबलिन और होली स्पिरिट ऑफ असुर के 14,961 ब्लोट्स जब्त किए गए हैं.
NCB ने रेड में जब्त किए 15000 LSD ब्लोट्स: NCB के डीडीजी ज्ञानेश्वर सिंह के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय ब्रांड गामा गोबलिन और होली स्पिरिट ऑफ असुर के लगभग 15 हजार ब्लोट्स जब्त किए गए हैं. एलएसडी की कमर्शियल मात्रा 6 ब्लोट्स है यानी लगभग 0.1 gram है, लेकिन पकड़ी गई खेप इसके 2,500 गुना है. LSD इन दिनों हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाली ड्ग्स है, जिसका सेवन बड़े पैमाने पर युवा वर्ग पार्टियों में करता है.
माना जाता है कि इस ड्रग्स को लेने के बाद अलग-अलग ध्वनि और रंग दिखाई देते हैं. यही वजह है कि युवा वर्ग इस ड्रग्स का इन दिनों सबसे ज्यादा सेवन कर रहे हैं, लेकिन अगर मात्रा थोड़ी सी भी ज्यादा हुई तो ये जानलेवा साबित हो सकती है.
डार्क वेब के जरिए किए जा रहे संचालित: डीडीजी ज्ञानेश्वर सिंह के मुताबिक, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, दिल्ली जोन ने अंतरराष्ट्रीय लिंक्स के साथ पैन इंडिया डार्क नेट ड्रग ट्रैफिकिंग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, ये सिंडिकेट LSD ड्रग्स की तस्करी के लिए डार्क वेब, सोशल मीडिया, क्रिप्टोकरेंसी, कुरियर और इंडिया पोस्ट का इस्तेमाल कर रहा था. इस सिंडिकेट से जुड़े 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमे एक महिला भी शामिल है.
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विदेशों से जुड़े हैं इस रैकेट के तार: इस सिंडिकेट तक एलएसडी के ये ब्लॉस्टस संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड, पोलैंड जैसे देशों से पोस्टल या कुरियर के जरिये पहुंच रहे थे. इस सिंडिकेट से अब तक कुल 14,961 एलएसडी ब्लोट्स और 2.232 किलोग्राम गांजा और 4.65 लाख रुपये 20 लाख रुपये जब्त कर ड्रग मनी वाले बैंक खातों को फ्रीज किया गया है.
बताया जा रहा है कि सिंडिकेट सोशल मीडिया के जरिए इसके इस्तेमाल करने वालों से संपर्क करते थे. फिर फर्जी पते पर इसकी डिलिवरी की जाती थी. मोबाइल नंबर तक फेक हुआ करते थे. इसका भुगतान सिर्फ क्रिप्टो करेंसी और उनके रूपांतरण के जरिए किया जाता था. बेचने वाले और खरीदने वालों के बीच किसी तरह का कोई कॉन्टेक्ट नहीं होता थी. सभी वर्चुअल फेक आईडी इस्तेमाल करते थे.
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