नई दिल्ली: कोई जले चेहरे को ठीक कराता है तो कोई दाग धब्बे ठीक करावाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी का सहारा लेता है. इसे लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट प्लास्टिक सर्जरी डॉक्टर मनीष सिंघल से ईटीवी भारत की खास बातचीत हुई. उन्होंने जो बताया वो हैरान कर देने वाला था.
'हर साल आते हैं 8000 केस'
उन्होंने बताया कि एम्स में हर साल करीब 8000 मरीज आते हैं. एक एवरेज के अनुसार देखा जाए तो प्रतिदिन 30 से 40 मरीज यहां आते हैं. उन्होंने बताया कि हम प्रति साल तीन हजार के करीब लोगों की सर्जरी कर पाते हैं और इसके बाद अन्य मरीजों को आगे की डेट दे दी जाती है. डॉक्टर मनीष ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी के केस की बात करें तो उसमें एसिड अटैक से पीड़ित, चोट लगना, बचपन से विकृत होना, हाथ-पैर कटे होना जैसे केस आते हैं.
100 बेड का बनकर तैयार होगा ब्लॉक
उन्होंने बताया कि जिस तरीके से प्लास्टिक सर्जरी के पेशेंट्स बढ़ते जा रहे हैं, इसे देखते हुए एम्स में जल्द ही इसका अलग ब्लॉक बनकर तैयार हो रहा है. डॉक्टर मनीष ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी कराने वालों की अगर बात की जाए तो सबसे ज्यादा बर्न केस के मामले सामने आते हैं. इसलिए ये ध्यान रखा जाएगा कि ऐसे पेशेंट्स के लिए अलग से व्यवस्था की जाए.