नई दिल्ली: देश के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने एम्स के 66 वें स्थापना दिवस पर पूरे देश भर में बन रहे 22 नए एम्स को लेकर एक ऐसी बात कह दी, जिससे दिल्ली एम्स के डॉक्टर्स और फैकल्टी में बेचैनी बढ़ गई है.
दरअसल स्वास्थ्य मंत्री ने दिल्ली एम्स की सफलता और इसके मानक को देखते हुए देश के अलग-अलग हिस्सों में बन रहे 22 नये एम्स को इसी के मानक पर जोर दे रहे हैं. इसके लिए उन्होंने दिल्ली एम्स के डॉक्टर और फैकल्टी को नए बन रहे एम्स में जाकर वहां काम करने और वहां के डॉक्टर और फैकल्टी को दिल्ली एम्स में आकर काम करने का अनुभव प्राप्त करने को कह दिए. इससे दिल्ली एम्स का मानक नए बन रहे एम्स के मानक के बराबर होगा.
![ministry clarification on health ministers controversial speech](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/dl-sd-01-ministryhastoreleaserectificationofthehealthministerscontroversialspeechinwhichheisseentalkingaboutinterchangeofdoctorsandfacultiesofdelhiaiims-vis-dlc10030_26092021213956_2609f_1632672596_737.jpg)
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स्वास्थ्य मंत्री के इस बयान पर एम्स के डॉक्टर ने जब आपत्ति जाहिर की तो स्वास्थ्य मंत्रालय को इस पर स्पष्टीकरण देना पड़ा. पीआईबी के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने ऐसा नहीं कहा कि दिल्ली एम्स के फैकल्टी और डॉक्टर को नए बन रहे एम्स में ट्रांसफर किया जाएगा और वहां के डॉक्टर को दिल्ली एम्स में लाया जाएगा। उन्होंने केवल देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अपने मन की बात रखी. स्वास्थ्य मंत्री ने सिर्फ इतना कहा कि दिल्ली एम्स के अनुभवी फैकल्टी नए बन रहे एम्स को भी अपने अनुभव का लाभ दे सकते हैं.
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आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट रूप से ऐसा कहा था कि देशभर में बन रहे एम्स को लेकर वह काफी गंभीर हैं. वह चाहते हैं कि दिल्ली एम्स की जो प्रतिष्ठा मेडिकल एजुकेशन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में है, यही प्रतिष्ठा नए बन रहे सारे एम्स में भी हो. इसके लिए फैकल्टी और डॉक्टर्स को अगर अदला-बदली किया जाए तो इसका लाभ होगा.