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World Environment Day: ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हो रहा मेट्रो सिटी का इकोसिस्टम

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) से मेट्रो सिटी का इकोसिस्टम (Eco system) प्रभावित हो रहा है. इस मामले में राजधानी दिल्ली का हाल तो और भी बुरा है. आबादी वाले क्षेत्र में उद्योग धंधे (Industry trade) लगाने की वजह से और सड़कों पर चल रहे अनियंत्रित वाहनों के कारण ध्वनि प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.

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Published : Jun 5, 2021, 9:04 PM IST

metro city ecosystem being affected by noise pollution
विश्व पर्यावरण दिवस

नई दिल्ली : विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की इस बार का थीम है पारिस्थितिकी तंत्र के बिगड़े संतुलन को वापस संतुलित करना. आधुनिकता के नाम पर पर्यावरण और इको सिस्टम का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करना. एम्स (AIIMS) के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट (Cardio-Radio Department) के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमरिंदर सिंह (Assistant Professor Dr. Amarinder Singh) ने विश्व पर्यावरण दिवस पर बताया कि इंसान ने विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण का काफी नुकसान किया है. इकोसिस्टम (Eco system) के संतुलन को बिगाड़ा है.

ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हो रहा मेट्रो सिटी का इकोसिस्टम

इस बार विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की थीम है इमेजिन, रिकंस्ट्रक्शन और रीस्टोरेशन. कंक्रीट की दीवार खड़ी करने के लिए जो हर क्षेत्र का नुकसान किया है, उसे वापस हरियाली की तरफ लाया जाए. बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाए जाएं ताकि लोगों को और जीव-जंतुओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके.

ध्वनि प्रदूषण से बिगड़ता इकोसिस्टम

डॉक्टर अमरिंदर सिंह ने बताया कि आबादी वाले क्षेत्र में उद्योग धंधे (Industry trade) लगाने की वजह से और सड़कों पर चल रहे अनियंत्रित वाहनों के कारण ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. वायु प्रदूषण (Air pollution) की सभी बातें करते हैं, लेकिन ध्वनि प्रदूषण और इसके दुष्प्रभाव के बारे में कोई बात नहीं करता, यह भी वायु प्रदूषण (Air pollution) जितना ही खतरनाक होता है. डॉक्टर अमरिंदर सिंह के मुताबिक बाहरी और आंतरिक दो तरह के ध्वनि प्रदूषण होते हैं.

ये भी पढ़ें-World Environment Day पर दिल्ली में पेड़ लगाने की मुहिम की शुरुआत

औद्योगिक क्षेत्रों से भारी मशीनों से निकलने वाली आवाजें ध्वनि प्रदूषण पैदा करती हैं. हम लोग घरों में जो वॉशिंग मशीन, जूसर मिक्सर ग्राइंडर मशीन का इस्तेमाल करते हैं या कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए जनरेटर का इस्तेमाल करते हैं. इससे काफी मात्रा में ध्वनि प्रदूषण पैदा होता है.

65 डेसिबल से अधिक ध्वनि खतरनाक

किस लेवल तक की आवाजें इंसानों के लिए सुरक्षित हैं, इसके बारे में डॉक्टर अमरिंदर सिंह बताते हैं कि 60 से 65 डेसीबल तक की आवाज इंसानों के लिए सुरक्षित होती है. इससे ज्यादा डेसिबल की आवाज इंसानों के लिए सुरक्षित नहीं होती.

ये भी पढ़ें-World Environment Day : पेड़-पौधों से मिली कोरोना से रिकवर होने में मदद

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) की वजह से बहरापन, ब्लड प्रेशर, अनिद्रा, स्ट्रेस और हृदय संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. इससे बचाव का एक ही तरीका है. अपने आसपास ज्यादा मात्रा में पेड़ पौधे लगाएं और पर्यावरण को सुरक्षित रखें. ज्यादा ध्वनि पैदा करने वाली चीजों से दूर रहें.

ये भी पढ़ें-Environment Day: बुराड़ी में AAP विधायक और कार्यकर्ताओं ने किया पौधारोपण

नई दिल्ली : विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की इस बार का थीम है पारिस्थितिकी तंत्र के बिगड़े संतुलन को वापस संतुलित करना. आधुनिकता के नाम पर पर्यावरण और इको सिस्टम का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करना. एम्स (AIIMS) के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट (Cardio-Radio Department) के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमरिंदर सिंह (Assistant Professor Dr. Amarinder Singh) ने विश्व पर्यावरण दिवस पर बताया कि इंसान ने विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण का काफी नुकसान किया है. इकोसिस्टम (Eco system) के संतुलन को बिगाड़ा है.

ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हो रहा मेट्रो सिटी का इकोसिस्टम

इस बार विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की थीम है इमेजिन, रिकंस्ट्रक्शन और रीस्टोरेशन. कंक्रीट की दीवार खड़ी करने के लिए जो हर क्षेत्र का नुकसान किया है, उसे वापस हरियाली की तरफ लाया जाए. बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाए जाएं ताकि लोगों को और जीव-जंतुओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके.

ध्वनि प्रदूषण से बिगड़ता इकोसिस्टम

डॉक्टर अमरिंदर सिंह ने बताया कि आबादी वाले क्षेत्र में उद्योग धंधे (Industry trade) लगाने की वजह से और सड़कों पर चल रहे अनियंत्रित वाहनों के कारण ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. वायु प्रदूषण (Air pollution) की सभी बातें करते हैं, लेकिन ध्वनि प्रदूषण और इसके दुष्प्रभाव के बारे में कोई बात नहीं करता, यह भी वायु प्रदूषण (Air pollution) जितना ही खतरनाक होता है. डॉक्टर अमरिंदर सिंह के मुताबिक बाहरी और आंतरिक दो तरह के ध्वनि प्रदूषण होते हैं.

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औद्योगिक क्षेत्रों से भारी मशीनों से निकलने वाली आवाजें ध्वनि प्रदूषण पैदा करती हैं. हम लोग घरों में जो वॉशिंग मशीन, जूसर मिक्सर ग्राइंडर मशीन का इस्तेमाल करते हैं या कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए जनरेटर का इस्तेमाल करते हैं. इससे काफी मात्रा में ध्वनि प्रदूषण पैदा होता है.

65 डेसिबल से अधिक ध्वनि खतरनाक

किस लेवल तक की आवाजें इंसानों के लिए सुरक्षित हैं, इसके बारे में डॉक्टर अमरिंदर सिंह बताते हैं कि 60 से 65 डेसीबल तक की आवाज इंसानों के लिए सुरक्षित होती है. इससे ज्यादा डेसिबल की आवाज इंसानों के लिए सुरक्षित नहीं होती.

ये भी पढ़ें-World Environment Day : पेड़-पौधों से मिली कोरोना से रिकवर होने में मदद

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) की वजह से बहरापन, ब्लड प्रेशर, अनिद्रा, स्ट्रेस और हृदय संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. इससे बचाव का एक ही तरीका है. अपने आसपास ज्यादा मात्रा में पेड़ पौधे लगाएं और पर्यावरण को सुरक्षित रखें. ज्यादा ध्वनि पैदा करने वाली चीजों से दूर रहें.

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