नई दिल्ली: जेएनयू में हॉस्टल फीस बढ़ोतरी को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इसी कड़ी में आज तमाम छात्र संगठनों ने एकजुट होकर पूरे कैंपस में मार्च निकाला और हॉस्टल मैनुअल फीस बढ़ोतरी के मसौदे को वापस लेने की मांग की. विरोध प्रदर्शन में सभी छात्र संगठन शामिल हुए. एबीवीपी, एसएफआई, तमाम वामपंथी दल एकजुट होकर जेएनयू हॉस्टल मैनुअल के खिलाफ एक साथ खड़े नजर आए.
हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ छात्र
इस विरोध प्रदर्शन में हजारों की तादाद में छात्र शामिल हुए, बीए फर्स्ट ईयर के छात्र अमन ने ईटीवी भारत को बताया कि यूनिवर्सिटी की ओर से हॉस्टल फीस और मेस फीस में बढ़ोतरी की गई है. जिससे जो छात्र दूर-दराज राज्यों से आते हैं और हॉस्टल में रहते हैं. वो अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे.
ड्रेस कोड के खिलाफ है छात्र
संजना पॉलीटिकल साइंस की छात्रा का कहना था कि प्रशासन की तरफ से मेस में और हॉस्टल में ड्रेस कोड लागू किया गया है. जो कि सरासर गलत है और इसका पालन नहीं करने पर कहा गया है कि छात्रों को मेस में मिलने वाला खाना नहीं मिलेगा.
उनका कहना था कि हम आज 21वीं सदी में भी कपड़ों को लेकर लड़ रहे हैं और यहां तक कि अगर वो ड्रेस कोड फॉलो नहीं किया तो हमें अपनी आम जरूरत, खाने से भी वंचित रखा जाएगा.
वहीं अन्य छात्रा रीमा चौहान का कहना था कि यूनिवर्सिटी में छात्र पढ़ने के लिए आते हैं और ऐसे में कोई ऐसा छात्र नहीं है जो कि कोई आपत्तिजनक कपड़े पहनता हो, जिसको लेकर प्रशासन ड्रेस कोड पर अड़ा हुआ है.
छात्र पढ़ाई छोड़ने को होंगे मजबूर
इसके अलावा अन्य छात्रा शताक्षी का कहना था कि यदि फीस बढ़ती है तो सबसे ज्यादा जो छात्र आर्ट्स लेते हैं. उन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा. क्योंकि छात्र अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को मजबूर होंगे.
एबीवीपी ने भी प्रदर्शन में लिया हिस्सा
वहीं इस प्रदर्शन में एबीवीपी ने भी हिस्सा लेते हुए अपना विरोध जताया. एबीवीपी के कार्यकर्ता और जेएनयू के छात्र कृष्णा राव का कहना था कि छात्र अपनी बेसिक सुविधाओं के लिए कैंपस में लड़ रहा है. जिससे प्रशासन उन्हें वंचित रखने का प्रयास कर रहा है.
लाइब्रेरी और हॉस्टल में समय होगा निर्धारित
प्रदर्शन में शामिल हुए छात्र अवनीश कुमार मिश्रा का कहना था कि प्रशासन की तरफ से कहा जा रहा है कि हॉस्टल से 11:00 बजे के बाद आप नहीं निकल सकते. वही लाइब्रेरी में आने जाने का समय निर्धारित होगा. जबकि जेएनयू में हमेशा से छात्र को 24 घंटे लाइब्रेरी में पढ़ने की आजादी रही है.