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JNU के 11 छात्रों ने शुरू की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल, जानिए क्या है मांग - जेएनयू एडमिशन

जेएनयू बचाओ और विश्वविद्यालय बचाओ के नारे के साथ जेएनयू छात्रसंघ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए है. प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने प्रशासन के विरोध में रोलबैक एंटी स्टूडेंट एंड एंटी यूनिवर्सिटी प्रोस्पेक्टस के नारे लगाए.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) में शैक्षणिक सत्र 2019 - 20 के लिए दाखिला प्रक्रिया शुरू हो गई है. इच्छुक छात्र 15 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं. लेकिन आवेदन प्रक्रिया के शुरू होने के साथ ही प्रशासन और जेएनयू छात्रसंघ एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. बता दें कि जेएनयू में इस वर्ष से शुरू हो रहे हैं एमबीए और इंजीनियरिंग की फीस लाखों में रखी गई है जिसको लेकर जेएनयू छात्र संघ के सदस्यों को मिलाकर 11 छात्र भूख हड़ताल पर बैठ गया है. जेएनयू छात्र संघ बैठा भूख हड़ताल पर जेएनयू बचाओ और विश्वविद्यालय बचाओ के नारे के साथ जेएनयू छात्रसंघ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए है. प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने प्रशासन के विरोध में रोलबैक एंटी स्टूडेंट एंड एंटी यूनिवर्सिटी प्रोस्पेक्टस के नारे लगाए. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि प्रशासन के छात्र विरोधी प्रोस्पेक्टस के खिलाफ छात्र संघ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ है. एक विश्वविद्यालय एक फीस स्ट्रक्चर की मांग उन्होंने कहा कि प्रशासन ने प्रोस्पेक्टस जारी करने के दौरान छात्रों से इस बारे में पूछा ही नहीं और जो प्रोस्पेक्टस जारी किया है वह पूरी तरह छात्र विरोधी है. सारिका ने कहा कि यह सरकार ईडब्ल्यूएस कोटे के नाम पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात करती है और दूसरी तरफ उन्हीं गरीब छात्रों से एमबीए कोर्स के 12 लाख रुपए और इंजीनियरिंग के 70 हज़ार रुपए से अधिक फीस मांगी है. जोकि छात्र विरोधी है क्योंकि इतनी फीस एक गरीब परिवार से आने वाला छात्र नहीं दे सकता है. जेएनयू छात्रसंघ उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि प्रशासन इंजीनियरिंग और एमबीए कोर्स शुरू कर रहा है लेकिन कहां है फैकल्टी और कहां है नई बिल्डिंग. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश में जिओ मॉडल को लागू करना चाह रही है. इस सरकार की नीति ही है कि वह देश के सभी विश्वविद्यालयों को खत्म कर दे. यह सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाह रही है. वहीं जेएनयू छात्र संघ के पूर्व संयुक्त सचिव शुभांशु सिंह ने कहा कि प्रशासन नहीं चाहता कि कोई छात्र उनके खिलाफ आवाज उठा सके. इसीलिए प्रशासन ने बीए लैटरल में एंट्री बंद कर दी और एमफिल - पीएचडी को डीलिंक कर दिया है. उन्होंने कहा कि जेएनयू प्रशासन और केंद्र सरकार दोनों छात्र विरोधी हैं. साथ ही कहा कि प्रशासन जब तक अपना फैसला वापस नहीं लेता है तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा. प्रशासन ने अभी तक नहीं दी छात्र संघ को मान्यता बता दें कि जेएनयू छात्र संघ का चुनाव हुए करीब आठ माह समय हो गया है. लेकिन अभी तक अनुसूचित भी नहीं किया गया है जिसके कारण जेएनयू छात्र संघ किसी भी अधिकारी बैठक में भाग नहीं ले पा रहे हैं जिसके चलते प्रशासन के सामने छात्रों की बात रखने का अवसर नहीं मिल रहा है.
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Published : Mar 20, 2019, 4:18 AM IST

Updated : Mar 20, 2019, 10:59 AM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) में शैक्षणिक सत्र 2019 - 20 के लिए दाखिला प्रक्रिया शुरू हो गई है. इच्छुक छात्र 15 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं. लेकिन आवेदन प्रक्रिया के शुरू होने के साथ ही प्रशासन और जेएनयू छात्रसंघ एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं.

बता दें कि जेएनयू में इस वर्ष से शुरू हो रहे हैं एमबीए और इंजीनियरिंग की फीस लाखों में रखी गई है जिसको लेकर जेएनयू छात्र संघ के सदस्यों को मिलाकर 11 छात्र भूख हड़ताल पर बैठ गया है.

जेएनयू छात्र संघ बैठा भूख हड़ताल पर
जेएनयू बचाओ और विश्वविद्यालय बचाओ के नारे के साथ जेएनयू छात्रसंघ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए है. प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने प्रशासन के विरोध में रोलबैक एंटी स्टूडेंट एंड एंटी यूनिवर्सिटी प्रोस्पेक्टस के नारे लगाए. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि प्रशासन के छात्र विरोधी प्रोस्पेक्टस के खिलाफ छात्र संघ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ है.

JNU के 11 छात्रों ने शुरू की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

एक विश्वविद्यालय एक फीस स्ट्रक्चर की मांग
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने प्रोस्पेक्टस जारी करने के दौरान छात्रों से इस बारे में पूछा ही नहीं और जो प्रोस्पेक्टस जारी किया है वह पूरी तरह छात्र विरोधी है. सारिका ने कहा कि यह सरकार ईडब्ल्यूएस कोटे के नाम पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात करती है और दूसरी तरफ उन्हीं गरीब छात्रों से एमबीए कोर्स के 12 लाख रुपए और इंजीनियरिंग के 70 हज़ार रुपये से अधिक फीस मांगी है. जो कि छात्र विरोधी है क्योंकि इतनी फीस एक गरीब परिवार से आने वाला छात्र नहीं दे सकता है.

जेएनयू छात्रसंघ उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि प्रशासन इंजीनियरिंग और एमबीए कोर्स शुरू कर रहा है लेकिन कहां है फैकल्टी और कहां है नई बिल्डिंग. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश में जिओ मॉडल को लागू करना चाह रही है. इस सरकार की नीति ही है कि वह देश के सभी विश्वविद्यालयों को खत्म कर दे. यह सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाह रही है. वहीं जेएनयू छात्र संघ के पूर्व संयुक्त सचिव शुभांशु सिंह ने कहा कि प्रशासन नहीं चाहता कि कोई छात्र उनके खिलाफ आवाज उठा सके. इसीलिए प्रशासन ने बीए लैटरल में एंट्री बंद कर दी और एमफिल - पीएचडी को डीलिंक कर दिया है. उन्होंने कहा कि जेएनयू प्रशासन और केंद्र सरकार दोनों छात्र विरोधी हैं. साथ ही कहा कि प्रशासन जब तक अपना फैसला वापस नहीं लेता है तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.

प्रशासन ने अभी तक नहीं दी छात्र संघ को मान्यता
बता दें कि जेएनयू छात्र संघ का चुनाव हुए करीब आठ माह समय हो गया है. लेकिन अभी तक अनुसूचित भी नहीं किया गया है जिसके कारण जेएनयू छात्र संघ किसी भी अधिकारी बैठक में भाग नहीं ले पा रहे हैं जिसके चलते प्रशासन के सामने छात्रों की बात रखने का अवसर नहीं मिल रहा है.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) में शैक्षणिक सत्र 2019 - 20 के लिए दाखिला प्रक्रिया शुरू हो गई है. इच्छुक छात्र 15 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं. लेकिन आवेदन प्रक्रिया के शुरू होने के साथ ही प्रशासन और जेएनयू छात्रसंघ एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं.

बता दें कि जेएनयू में इस वर्ष से शुरू हो रहे हैं एमबीए और इंजीनियरिंग की फीस लाखों में रखी गई है जिसको लेकर जेएनयू छात्र संघ के सदस्यों को मिलाकर 11 छात्र भूख हड़ताल पर बैठ गया है.

जेएनयू छात्र संघ बैठा भूख हड़ताल पर
जेएनयू बचाओ और विश्वविद्यालय बचाओ के नारे के साथ जेएनयू छात्रसंघ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए है. प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने प्रशासन के विरोध में रोलबैक एंटी स्टूडेंट एंड एंटी यूनिवर्सिटी प्रोस्पेक्टस के नारे लगाए. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि प्रशासन के छात्र विरोधी प्रोस्पेक्टस के खिलाफ छात्र संघ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ है.

JNU के 11 छात्रों ने शुरू की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

एक विश्वविद्यालय एक फीस स्ट्रक्चर की मांग
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने प्रोस्पेक्टस जारी करने के दौरान छात्रों से इस बारे में पूछा ही नहीं और जो प्रोस्पेक्टस जारी किया है वह पूरी तरह छात्र विरोधी है. सारिका ने कहा कि यह सरकार ईडब्ल्यूएस कोटे के नाम पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात करती है और दूसरी तरफ उन्हीं गरीब छात्रों से एमबीए कोर्स के 12 लाख रुपए और इंजीनियरिंग के 70 हज़ार रुपये से अधिक फीस मांगी है. जो कि छात्र विरोधी है क्योंकि इतनी फीस एक गरीब परिवार से आने वाला छात्र नहीं दे सकता है.

जेएनयू छात्रसंघ उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि प्रशासन इंजीनियरिंग और एमबीए कोर्स शुरू कर रहा है लेकिन कहां है फैकल्टी और कहां है नई बिल्डिंग. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश में जिओ मॉडल को लागू करना चाह रही है. इस सरकार की नीति ही है कि वह देश के सभी विश्वविद्यालयों को खत्म कर दे. यह सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाह रही है. वहीं जेएनयू छात्र संघ के पूर्व संयुक्त सचिव शुभांशु सिंह ने कहा कि प्रशासन नहीं चाहता कि कोई छात्र उनके खिलाफ आवाज उठा सके. इसीलिए प्रशासन ने बीए लैटरल में एंट्री बंद कर दी और एमफिल - पीएचडी को डीलिंक कर दिया है. उन्होंने कहा कि जेएनयू प्रशासन और केंद्र सरकार दोनों छात्र विरोधी हैं. साथ ही कहा कि प्रशासन जब तक अपना फैसला वापस नहीं लेता है तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.

प्रशासन ने अभी तक नहीं दी छात्र संघ को मान्यता
बता दें कि जेएनयू छात्र संघ का चुनाव हुए करीब आठ माह समय हो गया है. लेकिन अभी तक अनुसूचित भी नहीं किया गया है जिसके कारण जेएनयू छात्र संघ किसी भी अधिकारी बैठक में भाग नहीं ले पा रहे हैं जिसके चलते प्रशासन के सामने छात्रों की बात रखने का अवसर नहीं मिल रहा है.

Intro:दक्षिणी दिल्ली , जेएनयू परिसर।


जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) में शैक्षणिक सत्र 2019 - 20 के लिए दाखिला प्रक्रिया शुरू हो गई है. इच्छुक छात्र 15 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं. लेकिन आवेदन प्रक्रिया के शुरू होने के साथ ही प्रशासन और जेएनयू छात्रसंघ एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. बता दें कि जेएनयू में इस वर्ष से शुरू हो रहे हैं एमबीए और इंजीनियरिंग की फीस लाखों में रखी गई है जिसको लेकर जेएनयू छात्र संघ के सदस्यों को मिलाकर 11 छात्र भूख हड़ताल पर बैठ गया है.




Body:जेएनयू छात्र संघ बैठा भूख हड़ताल पर

जेएनयू बचाओ और विश्वविद्यालय बचाओ के नारे के साथ जेएनयू छात्रसंघ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए है. प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने प्रशासन के विरोध में रोलबैक एंटी स्टूडेंट एंड एंटी यूनिवर्सिटी प्रोस्पेक्टस के नारे लगाए. वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि प्रशासन के छात्र विरोधी प्रोस्पेक्टस के खिलाफ छात्र संघ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ है.

एक विश्वविद्यालय एक फीस स्ट्रक्चर की मांग

उन्होंने कहा कि प्रशासन ने प्रोस्पेक्टस जारी करने के दौरान छात्रों से इस बारे में पूछा ही नहीं और जो प्रोस्पेक्टस जारी किया है वह पूरी तरह छात्र विरोधी है. सारिका ने कहा कि यह सरकार ईडब्ल्यूएस कोटे के नाम पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात करती है और दूसरी तरफ उन्हीं गरीब छात्रों से एमबीए कोर्स के 12 लाख रुपए और इंजीनियरिंग के 70 हज़ार रुपए से अधिक फीस मांगी है. जोकि छात्र विरोधी है क्योंकि इतनी फीस एक गरीब परिवार से आने वाला छात्र नहीं दे सकता है.

विश्वविद्यालय में जिओ मॉडल नहीं चलेगा -छात्र संघ

जेएनयू छात्रसंघ उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि प्रशासन इंजीनियरिंग और एमबीए कोर्स शुरू कर रहा है लेकिन कहां है फैकल्टी और कहां है नई बिल्डिंग. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश में जिओ मॉडल को लागू करना चाह रही है. इस सरकार की नीति ही है कि वह देश के सभी विश्वविद्यालयों को खत्म कर दे. यह सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाह रही है. वहीं जेएनयू छात्र संघ के पूर्व संयुक्त सचिव शुभांशु सिंह ने कहा कि प्रशासन नहीं चाहता कि कोई छात्र उनके खिलाफ आवाज उठा सके. इसीलिए प्रशासन ने बीए लैटरल में एंट्री बंद कर दी और एमफिल - पीएचडी को डीलिंक कर दिया है. उन्होंने कहा कि जेएनयू प्रशासन और केंद्र सरकार दोनों छात्र विरोधी हैं. साथ ही कहा कि प्रशासन जब तक अपना फैसला वापस नहीं लेता है तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा.

प्रशासन ने अभी तक नहीं दी छात्र संघ को मान्यता

बता दें कि जेएनयू छात्र संघ का चुनाव हुए करीब आठ माह समय हो गया है. लेकिन अभी तक अनुसूचित भी नहीं किया गया है जिसके कारण जेएनयू छात्र संघ किसी भी अधिकारी बैठक में भाग नहीं ले पा रहे हैं जिसके चलते प्रशासन के सामने छात्रों की बात रखने का अवसर नहीं मिल रहा है.




Conclusion:
Last Updated : Mar 20, 2019, 10:59 AM IST
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