नई दिल्ली : जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने गुरुवार की शाम विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कुलपति और प्रॉक्टर के खिलाफ नारेबाजी की.
'छात्रों के साथ दुर्व्यवहार'
प्रदर्शन कर रहे छात्र लारैब ने कहा कि छात्र चांदनी चौक में हुई मॉब लिंचिंग के खिलाफ प्रशासन से प्रदर्शन करने के लिए अनुमति मांगने गए थे लेकिन प्रशासन ने उन छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया. जिसके चलते यह प्रदर्शन किया गया है हालांकि चीफ प्रॉक्टर ने छात्रों के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
'अधिकार को छीन रहा है'
इस मामले को लेकर छात्र लारैब ने कहा कि जामिया प्रशासन का छात्रों के प्रति जो रवैया है, वो मान्य नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जामिया प्रशासन लगातार छात्रों की आवाज दबाने का प्रयास कर रहा है. वह छात्रों से उनकी अभिव्यक्ति के अधिकार को भी छीनने में लगा हुआ है. इसी को लेकर छात्र प्रदर्शन पर उतर आए हैं.
छात्र लारैब ने कहा कि चांदनी चौक में हुई मॉब लिंचिंग वारदात के खिलाफ छात्र प्रदर्शन करना चाहते थे लेकिन प्रदर्शन होने के करीब दो घंटे पहले दो छात्रों को फोन कॉल के जरिए यह सूचना मिली कि चीफ प्रॉक्टर उनसे ऑफिस में मिलना चाहते हैं. प्रॉक्टर से मिलने गए छात्रों ने आरोप लगाया है कि ऑफिस में बुलाकर, उन्हें चीफ प्रॉक्टर द्वारा धमकाया गया और उन्हें इस तरह का प्रदर्शन करने से रोका गया.
लारैब का कहना है कि जब हम अनुमति लेकर प्रदर्शन करना चाहते थे. जो कि हमारा अधिकार भी है. ऐसे में प्रॉक्टर द्वारा छात्रों को यह कहकर धमकाना कि वह छात्रों को पुलिस से पकड़वा देंगे कहीं से भी स्वीकार नहीं है. इस तरह की धमकी के बाद छात्रों ने विश्वविद्यालय के गेट नंबर 7 पर प्रदर्शन का आयोजन किया. साथ ही उन्होंने यह मांग भी रखी है कि चीफ प्रॉक्टर अपने किए की माफी मांगे और छात्रों को इस तरह के आयोजन करने की अनुमति दें जिसमें छात्र अपनी बात कह सकें.
प्रशासन ने सभी आरोपों को किया खारिज
चीफ प्रॉक्टर ने छात्रों द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा कि कुछ छात्र बिना अनुमति के प्रदर्शन करना चाहते थे लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी गई. उनका कहना है कि कॉलेज की पढ़ाई प्रभावित न हो और माहौल शांत बना रहे इसी को ध्यान में रखते हुए छात्रों को बाकायदा बुलाकर उन्हें इस तरह का प्रदर्शन न करने की सलाह दी.