नई दिल्ली : देश के सबसे बड़े प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद युवाओं के लिए एक मिसाल पेश करने वाले अरुणाभ सिन्हा ने एक नई पहल की है. बिहार के भागलपुर के रहने वाले अरुणाभ ने मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज की नौकरी छोड़कर देश के युवाओं को स्वरोजगार के प्रति जागरूक करने के लिये स्टार्ट अप का रास्ता चुना. और आज इनके स्टार्टअप का टर्नओवर 104 करोड़ रुपये है.
नौकरी करने के बजाय नौकरी देने की सोच के साथ शुरू किया स्टार्ट अप
अरुणाभ को किसी की नौकरी करने के बजाय देश भर में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने की योजना पर काम करना ज्यादा अच्छा लगा. उन्होंने एमएनसी की नौकरी छोड़ी और अपने और हजारों युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए स्टार्टअप का मार्ग अपना लिया. 12वीं तक की पढ़ाई जमशेदपुर से करने के बाद अरुणाभ सिन्हा ने देश के प्रतिष्ठित आईआईटी बॉम्बे से 2008 में सर्जिकल इंजीनियरिंग एंड मैटेरियल साइंस इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और अल्प अवधि के अपने पेशेवर जीवन से ऊबकर स्वाबलंबन और स्वरोजगर को बढ़ावा देने के लिये एक ऐसे स्टार्ट अप शुरू किया
असंगठित लॉन्ड्री सेक्टर को संगठित करने की पहल
अरुणाभ ने स्टार्ट अप के लिए जो रास्जोता चुना वो देश में अब तक बहुत उपेक्षित और असंगठित था.2017 जनवरी में उन्होंने 'यू क्लीन' नाम से अपनी एक कंपनी बनाई. लॉन्ड्री और साफ सफाई को लेकर काम करने वाली यह कंपनी चल निकली और पिछले 5 वर्षों में इसने 104 करोड रुपए के टर्नओवर प्राप्त कर लिया है.यहां से वे लॉन्ड्री, ड्राई क्लीनिंग, शू क्लीनिंग, घर के अंदर जितनी भी गंदगी है उन सभी की सफाई जितने तरह की सफाई की जरूरत हो सकती है वह सारी सुविधाएं वह उपलब्ध करवा रहे हैं.
कई विदेशी कंपनियों के साथ काम करने पर मिला आइडिया
आपको बता दें कि आईआईटी बॉम्बे से ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त करने के बाद अरुणाभ ने पुणे की एक कंपनी में 2010 में काम किया.साल भर में ही वह इस काम से ऊब गए और फिर उन्होंने एक गैर सरकारी संगठन में कंसल्टेंट के तौर पर काम करना शुरू किया. दूसरे की नौकरी करना उन्हें रास नहीं आया. 2010 के अंत में उन्होंने फन ग्लोबल नाम की अपनी एक कंपनी बना ली. इस कंपनी के माध्यम से वह उन विदेशी कंपनियों की कंसल्टेंट के रूप में मदद करने लगे जो भारत में एंट्री करना चाहती थी. 5 साल तक उन्होंने यह काम किया.
लॉन्ड्री सेक्टर को संगठित रूप देने के लिए डेवलप किया सिस्टम
उसके बाद 2015 में इस काम से ऊबकर ट्रिगो होटल में काम करना शुरू किया इसमें वह नॉर्थ इंडिया बिजनेस हेड थे. 2 साल तक यहां नौकरी करने के बाद उन्हें पता चला कि उन्हें ऐसा काम करना चाहिए जिससे वह अपने साथ-साथ बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर सके.अरुणाभ ने बताया कि लॉन्ड्री सेक्टर बहुत ही संगठित है जबकि इसका एक पूरा बाजार है.उभरते हुए इस क्षेत्र में निवेश करने और युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए दिल्ली एनसीआर से इसकी शुरुआत कर दी. 5- 6 महीने तक बाजार और बिजनेस के चैलेंज को समझा. साथ ही इसे संगठित रूप देने के लिए एक सिस्टम डेवलप किया.
युवाओं को स्वरोजगार का बेहतर विकल्प
उन्होंने महसूस किया कि यह एक ऐसा बिजनेस मॉडल हो सकता है जिसे फ्रेंचाइजी के माध्यम से युवाओं को जोड़कर रोजगार के नए अवसर पैदा किये जा सकते हैं. अरुणाभ ने बताया कि 2017 के अंत में उन्होंने फ्रेंचाइजी की शुरुआत भी कर दी. आज 2023 में वह 133 शहरों में उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं. उनकी खुद के 430 आउटलेट है. यह सारे आउटलेट्स इनके फ्रेंचाइजी पार्टनर ही चलाते हैं. उन्होंने बताया कि इस बिजनेस की शुरुआत उन्होंने 25 लाख रुपए की पूंजी के साथ किया. इस काम में उनकी पत्नी ने भी बराबर की हिस्सेदारी दी. दिल्ली और गुड़गांव में उन्होंने शुरुआत में दो आउटलेट शुरू किया. जिसमें 25 से 30 लाख रुपए का निवेश किया.
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