नई दिल्ली: IIT दिल्ली में विदेशी छात्रों और शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए कई कवायद की जा रही है. वहीं इसी कड़ी में बुधवार को आईआईटी द्वारा एक समिट का आयोजन किया गया. इस समिट का थीम रहा दिल्ली में वैश्वीकरण: भारत में उच्च शिक्षा के नए अवसर लाना.
समिट में विभिन्न देशों जैसे मैक्सिको, अर्जेंटीना, युगांडा, स्वीडन, बांग्लादेश, नामीबिया जैसे 19 देशों के राजदूतों ने हिस्सा लिया था. इस समिट के द्वारा इन सभी देशों के प्रतिनिधियों को यह जानकारी दी गई थी कि विदेशी छात्रों के लिए इस सत्र से आईआईटी दिल्ली में मास्टर प्रोग्राम और पीएचडी प्रोग्राम में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो रही है.
आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर प्रोफेसर वी राम गोपाल राव ने ईटीवी भारत को बताया कि विभिन्न संस्थान चाहे व देशी हो या विदेशी, अपने यहां की शिक्षा पद्धति को लेकर सबसे बेहतर बनाने का भरसक प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा कि संस्कृतियों का आपस में आदान-प्रदान हो इसके लिए जरूरी है कि अलग-अलग देशों से छात्र पढ़ने के लिए भारत आएं. इससे भारतीय शिक्षा पद्धति और भी ज्यादा गहन होगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की अपनी पहचान बन सकेगी.
500 विदेशी छात्रों छात्रवृत्ति भी दी जाएगी
वहीं समिट में मौजूद 19 देशों के प्रतिनिधियों को आईआईटी दिल्ली द्वारा विदेशी छात्रों के लिए शुरू किए जा रहे प्रोग्राम से अवगत कराया गया. साथ ही बताया गया कि आने वाले 5 सालों में विदेशी छात्रों के लिए शुरू किए जाने वाले पीएचडी प्रोग्राम में 500 मेधावी विदेशी छात्रों को आईआईटी दिल्ली संस्थान द्वारा छात्रवृत्ति भी दी जाएगी.
आईआईटी में विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ी
प्रोफेसर वी राम गोपाल राव ने बताया कि इस सत्र से मास्टर और पीएचडी प्रोग्राम शुरू करने की वजह से विदेशी छात्रों की संख्या में 7 गुना तक का इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि संस्थान में चल रहे दूसरे अकादमी प्रोग्राम के लिए हर साल केवल 10 या 15 विदेशी छात्र 6 महीने की पढ़ाई पूरी करने के लिए आया करते थे. वहीं इस साल मास्टर और पीएचडी प्रोग्राम में 70 विदेशी छात्रों का दाखिला हुआ है. दाखिले की संख्या में हुए इजाफे को देखकर उम्मीद जताई जा रही है कि अभी और भी विदेशी छात्र दाखिला ले सकते हैं.
वहीं छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों की भी नियुक्ति को लेकर प्रोफेसर ने बताया कि भारत में अगर अलग-अलग आईआईटी संस्थानों को देखें तो शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं. वही आईआईटी दिल्ली में 300 शिक्षकों की आवश्यकता है. ऐसे में जहां वैश्वीकरण का जमाना है और जो संस्थान विदेशी छात्रों को दाखिला दे रहा है, उस संस्थान का शिक्षण स्तर भी ऊंचा होना चाहिए.
प्रोफेसर कहा कि ऐसे कैंडिडेट नहीं मिल रहे जिनका शिक्षण स्तर इतना ऊंचा हो. ऐसे में विदेशी फैकल्टी को शामिल करने का विचार किया गया है. उनका कहना है कि विदेशों में एक से बढ़कर एक शिक्षक कार्यरत हैं. ऐसे में यदि वह भारत में आकर पढ़ाते हैं तो यहां के छात्रों को भी इससे बहुत फायदा मिलेगा. इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि कुल स्टाफ में से 10 फीसदी स्टाफ फॉरेन शिक्षकों का होगा. जिससे शिक्षा पद्धति बेहतर होने के साथ-साथ छात्रों को विदेशों में सिखाई जाने वाली स्ट्रैटेजिस के बारे में भी ज्ञान मिल सके.
तीन विदेशी शिक्षकों की नियुक्तियां हुई हैं
प्रोफेसर वी राम गोपाल राम ने बताया कि इस वर्ष तीन विदेशी शिक्षकों की नियुक्तियां की गई हैं जिनमें इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में साउथ कोरिया के प्रोफेसर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में चीन के प्रोफेसर और बायो टेक्नोलॉजी विभाग में आयरलैंड के प्रोफेसर शामिल हैं.