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ग्राहकों की बाट जोहती राशन की दुकानें, गोदाम में बर्बाद हुआ कई किलो आटा

लॉकडाउन की शुरुआत में जहां आटे की दुकानों पर आटा खरीदने की होड़ लगी हुई थी. वहीं अब लॉकडाउन 4 तक आते-आते ये दुकानें सूनी हो गई है. आटा व्यापारी का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान सरकार के मुफ्त राशन स्कीम चलाने के बाद तो जैसे हर कोई सरकार का ही राशन लेने लगा है और दुकानों का तो लोग रास्ता ही भूल गए हैं.

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Published : May 26, 2020, 12:44 PM IST

Impact on wheat flour business in lockdown
बर्बाद हुआ कई किलो आटा

नई दिल्ली: कोरोना काल में जान है तो जहान है कि तर्ज पर हुए लॉकडाउन ने जान तो बचा ली लेकिन कई लोगों की आजीविका खतरे में आ गयी है. विशेष रूप से नुकसान हुआ है उन लोगों का जिनकी अपनी दुकानें हैं या जो छोटा मोटा व्यापार कर गुजारा करते थे.

ग्राहकों का इंतजार

ऐसे ही नुकसान की कहानी दक्षिणी दिल्ली के मदनगीर इलाके के आटा व्यापारी महेश खंडेलवाल ने बयां की. आटा व्यापारी का कहना है कि सरकार के मुफ्त राशन स्कीम के कारण ग्राहक तो जैसे दुकान का रास्ता ही भूल गए हैं. बिक्री ना होने से गोदाम में रखा कई किलो आटा बर्बाद हो रहा है.


मुफ्त राशन मिलने से ग्राहक भूले दुकानों का रास्ता

लॉकडाउन की शुरुआत में जहां आटे की दुकानों पर आटा खरीदने की होड़ लगी हुई थी. वहीं अब लॉकडाउन 4 तक आते-आते ये दुकानें सुनी हो गई हैं. ऐसा कहना है मदनगीर के आटा व्यापारी महेश खंडेलवाल का. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने जो मुफ्त राशन देने की स्कीम चलाई है. उसके बाद तो जैसे हर कोई सरकार का ही राशन लेने लगा है और दुकानों का तो लोग रास्ता ही भूल गए हैं. पूरा-पूरा दिन दुकान पर बैठने रहने के बाद भी इक्का दुक्का ग्राहक ही दुकान में आते हैं.

गोदाम में सड़ने लगा है आटा

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन 4 में ढील मिलने के बाद पूरी उम्मीद बंधी थी कि अब लोग इन दुकानों का रुख करेंगे लेकिन हालात अभी भी जस के तस ही हैं. लोग सरकारी राशन लेने में रुचि दिखाने लगे हैं जबकि दुकानों पर पड़ा आटा बोरियों में सड़ रहा है. उन्होंने बताया कि इस दौरान ग्राहक ना आने की वजह से काफी सारा माल बर्बाद हो गया, जिसके कारण उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि आमदनी एक पैसे की नहीं लेकिन खर्चे दुनिया भर के हैं. दुकान के किराए के साथ-साथ बिजली के बिल की मार भी झेलनी पड़ रही है. ऐसे में व्यापार जारी रखना और घर चलाना बहुत बड़ी चुनौती बन गया है.


व्यापारी वर्ग उठा रहा लॉकडाउन का खामियाजा

महेश खंडेलवाल ने बताया कि अब तो दुकान पर बैठकर ग्राहकों की बाट जोहनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि इस लॉकडाउन के दौरान जहां सरकार की ओर से राशन वितरण कई लोगों के पेट भरने का साधन बना है. वहीं उन जैसे व्यापारियों के धंधे में मंदी का कारण बन गया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि स्थिति को देखते हुए लॉकडाउन जरूरी था. लेकिन इससे व्यापारी वर्ग को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है.


लॉकडाउन से दाम में भी आई गिरावट

वहीं आटा व्यापारी महेश खंडेलवाल ने बताया कि लॉकडाउन के चलते आटे के दाम में भी गिरावट हुई है. जहां 22 मार्च से पहले 10 किलो आटे का बैग 250 रुपये का आता है वहीं अब इसकी कीमत 220 रुपये हो गई है.

नई दिल्ली: कोरोना काल में जान है तो जहान है कि तर्ज पर हुए लॉकडाउन ने जान तो बचा ली लेकिन कई लोगों की आजीविका खतरे में आ गयी है. विशेष रूप से नुकसान हुआ है उन लोगों का जिनकी अपनी दुकानें हैं या जो छोटा मोटा व्यापार कर गुजारा करते थे.

ग्राहकों का इंतजार

ऐसे ही नुकसान की कहानी दक्षिणी दिल्ली के मदनगीर इलाके के आटा व्यापारी महेश खंडेलवाल ने बयां की. आटा व्यापारी का कहना है कि सरकार के मुफ्त राशन स्कीम के कारण ग्राहक तो जैसे दुकान का रास्ता ही भूल गए हैं. बिक्री ना होने से गोदाम में रखा कई किलो आटा बर्बाद हो रहा है.


मुफ्त राशन मिलने से ग्राहक भूले दुकानों का रास्ता

लॉकडाउन की शुरुआत में जहां आटे की दुकानों पर आटा खरीदने की होड़ लगी हुई थी. वहीं अब लॉकडाउन 4 तक आते-आते ये दुकानें सुनी हो गई हैं. ऐसा कहना है मदनगीर के आटा व्यापारी महेश खंडेलवाल का. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने जो मुफ्त राशन देने की स्कीम चलाई है. उसके बाद तो जैसे हर कोई सरकार का ही राशन लेने लगा है और दुकानों का तो लोग रास्ता ही भूल गए हैं. पूरा-पूरा दिन दुकान पर बैठने रहने के बाद भी इक्का दुक्का ग्राहक ही दुकान में आते हैं.

गोदाम में सड़ने लगा है आटा

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन 4 में ढील मिलने के बाद पूरी उम्मीद बंधी थी कि अब लोग इन दुकानों का रुख करेंगे लेकिन हालात अभी भी जस के तस ही हैं. लोग सरकारी राशन लेने में रुचि दिखाने लगे हैं जबकि दुकानों पर पड़ा आटा बोरियों में सड़ रहा है. उन्होंने बताया कि इस दौरान ग्राहक ना आने की वजह से काफी सारा माल बर्बाद हो गया, जिसके कारण उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि आमदनी एक पैसे की नहीं लेकिन खर्चे दुनिया भर के हैं. दुकान के किराए के साथ-साथ बिजली के बिल की मार भी झेलनी पड़ रही है. ऐसे में व्यापार जारी रखना और घर चलाना बहुत बड़ी चुनौती बन गया है.


व्यापारी वर्ग उठा रहा लॉकडाउन का खामियाजा

महेश खंडेलवाल ने बताया कि अब तो दुकान पर बैठकर ग्राहकों की बाट जोहनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि इस लॉकडाउन के दौरान जहां सरकार की ओर से राशन वितरण कई लोगों के पेट भरने का साधन बना है. वहीं उन जैसे व्यापारियों के धंधे में मंदी का कारण बन गया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि स्थिति को देखते हुए लॉकडाउन जरूरी था. लेकिन इससे व्यापारी वर्ग को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है.


लॉकडाउन से दाम में भी आई गिरावट

वहीं आटा व्यापारी महेश खंडेलवाल ने बताया कि लॉकडाउन के चलते आटे के दाम में भी गिरावट हुई है. जहां 22 मार्च से पहले 10 किलो आटे का बैग 250 रुपये का आता है वहीं अब इसकी कीमत 220 रुपये हो गई है.

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