नई दिल्ली: दिल्ली स्थित आयकर विभाग को फर्जी कंपनियों के जरिए करोड़ों रुपए का चूना लगाने के मामले का खुलासा हुआ है. ये खुलासा तब हुआ जब आयकर विभाग के एक असिस्टेंट कमिश्नर ने पद संभालने के बाद अपने विभाग की छानबीन की. उन्होंने पाया कि कई फर्जी कंपनियों ने आयकर विभाग से करोड़ों रुपए का रिटर्न लिया है, जबकि वो कोई कारोबार ही नहीं कर रहे हैं.
आर्थिक अपराध शाखा को आयकर विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर मोहित गर्ग द्वारा ठगी की शिकायत दी गई है. इसमें बताया गया है कि शेल कंपनियों के जरिए आयकर विभाग से करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया है. इस जालसाजी में 3 दर्जन से ज्यादा कंपनियां शामिल हैं. इनमें से कई कंपनियों के पते भी एक ही जगह के दिए गए हैं. फर्जीवाड़े में आयकर विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया गया है.
सितंबर में पकड़ा गया फर्जीवाड़ा
आयकर विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर की तरफ से बताया गया है कि बीते 8 अगस्त को उन्होंने जब चार्ज लिया तो पाया कि यहां कुछ गड़बड़ियां हुई हैं. उन्होंने जब रिफंड को लेकर जारी की गई राशि की रिपोर्ट देखी तो पाया कि गलत ढंग से कई कंपनियों को पैसा दिया गया है.
26 सितंबर 2019 को उन्होंने देखा कि बिना किसी एप्लीकेशन की रसीद के रिफंड जारी किए गए हैं. उन्होंने इसकी जानकारी तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी और बताया कि 18 से 24 सितंबर के बीच बिना आवेदन के आईटी एक्ट की धारा 154 के तहत 3 करोड़ 63 लाख रुपए लौटाए गए हैं.
जांच में सामने आई गड़बड़ी
असिस्टेंट कमिश्नर ने इन फर्जी कंपनियों की जानकारी भी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सांझा की. इसके बाद उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों की मदद से कई आरोपियों की पेमेंट रुकवा दी. जबकि कुछ लोगों के खाते में ये रकम जा चुकी थी. इस पूरे मामले को लेकर एक संयुक्त टीम बनाई गई जिसने जांच कर पाया कि साजिश के तहत लंबे समय से ये फ्रॉड किया जा रहा है.
2007 में बीके ज्वेलरी नाम से एक कंपनी बनी थी जिसके दो निदेशक थे, चेतन मलिक और राजेश मलिक. इस कंपनी ने ना तो कोई कारोबार किया और ना ही वर्ष 2007 से कोई रिटर्न दाखिल किया. लेकिन इसके बावजूद उसे रिफंड दिया गया है.
आर्थिक अपराध शाखा ने शुरू की जांच
करोड़ों रुपए के इस घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा ने फिलहाल शुरू कर दी है. इस बाबत सोमवार को एफआईआर दर्ज की गई है जिसमें कंपनी द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट को भी शामिल किया गया है. पुलिस का मानना है कि बिना आयकर अधिकारी की मिलीभगत के इस तरीके से बड़ा फर्जीवाड़ा नहीं किया जा सकता. इसलिए बाहर के लोगों के साथ ही पुलिस, आयकर विभाग के कर्मचारियों की भूमिका भी खंगाल रही है.