नई दिल्ली: फुटबॉल एक्सपर्ट, फेमस कॉमेंटेटर और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर नोवी कपाड़िया इन दिनों बीमारी से ग्रस्त हैं. रिटायरमेंट के दो साल बीत जाने पर भी डीयू की ओर से उन्हें कोई पेंशन नहीं दी गई हैं. वहीं इसको लेकर प्रोफेसर कपाड़िया काफी निराश हैं और कहते हैं कि उम्र के अंतिम पड़ाव पर ज़िंदगी उन्हें असहाय सी महसूस हो रही है.
देखिए नोवी कपाड़िया की आपबीती
- कपाड़िया का कहना है कि अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने पूरी लगन और ईमानदारी के साथ डीयू में अपनी सेवा दी लेकिन अब रिटायरमेंट होने पर डीयू प्रशासन उन्हें पेंशन देने में आनाकानी कर रहा है.
- प्रोफेसर कपाड़िया ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर उन्होंने डीयू प्रशासन को कई बार पत्र लिखा. वहीं ईसी के सदस्य राजेश झा ने प्रोफेसर कपाड़िया की पेंशन बहाल करने के लिए डीयू के कुलपति को पत्र भी लिखा लेकिन अभी तक उनकी पेंशन रिलीस नही की गई है.
- नोवी ने दो साल तक कोशिश करने के बाद अब प्रशासन को दिए गए पत्र की कॉपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री, एमएचआरडी मंत्री निशंक सहित कई संबंधित विभागों को भेज दी है.
- उन्होंने मांग की है कि उनकी पेंशन तत्काल रूप से बहाल की जाए और जो भी पेंशन रोकने में शामिल हैं, उनके खिलाफ कार्यवाई की जाए.
कुछ ऐसे रहा नोवी का डीयू में समय
- प्रोफेसर नोवी कपाड़िया ने डीयू के तेग बहादुर खालसा कॉलेज में लगभग 40 साल तक बतौर अंग्रेजी शिक्षक अपनी सेवा दी है.
- इसके अलावा 2003 से 2010 तक डिप्टी प्रॉक्टर रहे. साथ ही 2003 सब 2012 तक ओपन डे कमेटी में रहे.
- नोवी ने डीयू स्पोर्ट्स बोर्ड में 2010 से 2013 तक रहने के साथ- साथ कई अन्य पद पर कार्यरत रहकर अपनी सेवा दी. वहीं 2018 में प्रोफेसर रिटायर हुए.
- डीयू को जीवन भर अपनी सेवाएं देने के बाद अब पेंशन के लिए भटकते प्रोफेसर कपाड़िया ने कहा कि सेवानिवृत्त हुए दो साल बीत जाने पर भी विश्वविद्यालय की ओर से पेंशन न मिलने पर उन्हें बहुत निराशा है. उम्र के इस पड़ाव पर बिना आमदनी के वह खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं.
बता दें कि प्रोफेसर नोवी कपाड़िया प्रसिद्ध फुटबॉल कमेंटेटर रह चुके हैं. साथ ही लोग उन्हें भारतीय फुटबॉल के आधिकारिक इतिहास के लेखक के रूप में भी जानते हैं. इसके सिवाय वह दिल्ली विश्वविद्यालय में कई महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत रहें.