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कोरोना शहीद डॉक्टर्स के परिवार की जारी की जाए आर्थिक मदद, FORDA ने सीएम केजरीवाल को लिखा पत्र

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Published : May 17, 2021, 2:26 AM IST

कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान डॉक्टर और हेल्थकेयर वर्कर्स अपनी जान गंवा रहे हैं. इसके बावजूद वे ड्यूटी पर डटे हुए हैं. कोरोना ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स की आर्थिक मदद के लिए फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को एक लेटर लिखा है.

कोरोना शहीद डॉक्टर्स के परिवार की जारी की जाए आर्थिक मदद
कोरोना शहीद डॉक्टर्स के परिवार की जारी की जाए आर्थिक मदद

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने पिछले साल 27 जुलाई 2020 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके तहत कोरोना ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से मरने वाले डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स को शहीद का दर्जा दिये जाने और उनकी आर्थिक मदद के लिए एक करोड़ रुपए की सहायता राशि देने का प्रावधान किया गया था. कोरोना की दूसरी लहर में शहीद होने वाले डॉक्टर को हेल्थ केयर वर्कर्स को अभी तक दिल्ली सरकार ने एक करोड़ रुपए की राशि जारी नहीं की है. इसलिए फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को एक लेटर लिखकर उन्हें कोरोना शहीदों को आर्थिक मदद दिए जाने की तरफ ध्यान आकर्षित किया है.

FORDA ने सीएम केजरीवाल को लिखा पत्र

FORDA के प्रेसिडेंट ने लिखा सीएम को पत्र

FORDA के प्रेसिडेंट डॉक्टर पार्थ बोरा ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जितने भी डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स शहीद हुए हैं, उन्हें दिल्ली सरकार से दी जाने वाली एक करोड़ की आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है. इसीलिए उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस संबंध में एक लेटर लिखा है और उनसे आग्रह किया है कि वह कोरोना शहीदों को एक करोड़ रुपए की आर्थिक मदद जारी करें.

FORDA का सीएम केजरीवाल को पत्र
FORDA का सीएम केजरीवाल को पत्र

ये भी पढ़ें- ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी मामले में खान चाचा रेस्टोरेंट का मालिक नवनीत कालरा गिरफ्तार

आर्थिक सहायता से परिवार को मिलेगी बड़ी मदद

डॉ पार्थ ने बताया कि हालांकि एक डॉक्टर के जान की कीमत एक करोड़ नहीं आंकी जा सकती है, क्योंकि वह देश का एक अनमोल नागरिक होता है, जो लोगों की जान बचाने के काम आता है, लेकिन उनकी असामयिक मृत्यु होने पर उनके परिवार के लिए यह एक करोड़ रुपए की राशि एक बड़ी मदद हो सकती है. डॉ पार्थ ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में हम डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स को खो रहे हैं.

उन्हें उचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. जब कोरोना के मरीजों की देखभाल करते हुए और खुद कोरोना की चपेट में आ जाते हैं और उन्हें जब इलाज की जरूरत होती है तब उन्हें सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलती है. तकलीफ तब और ज्यादा होती है जब जिस अस्पताल में मरीजों का इलाज करते हुए संक्रमित होते हैं उस अस्पताल में भी डॉक्टर्स के लिए एक बेड तक उपलब्ध नहीं हो पाता है.

ये भी पढ़ें- जानिए, पोस्टर लगाने वालों से लेकर राजनेताओं तक कैसे पहुंची दिल्ली पुलिस



डॉ अमित गुप्ता को अपने ही अस्पताल में नहीं मिला बेड

डॉ पार्थ ने बताया कि कुछ दिन पहले ही उनके एक साथी डॉक्टर अमित गुप्ता कोरोना के मरीजों का इलाज करने के दौरान कोरोना संक्रमित हुए, लेकिन दुख की बात यह है कि किसी भी अस्पताल में उन्हें एक बेड नहीं मिल पाया. आखिरकार उन्हें गुड़गांव के महंगे अस्पताल मेदांता अस्पताल में एक बेड मिल पाया है, जहां इलाज काफी महंगा है. डॉक्टर अमित गुप्ता मेदांता अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं , लेकिन अभी तक उन्हें किसी तरह की सरकारी मदद नहीं दी जा सकी है. उन्हें उस अस्पताल में भी इलाज के लिए एक बेड उपलब्ध नहीं हो पाया, जहां वह काम कर रहे थे.

सरकार के इस तरह के उदासीन रवैया को देखते हुए अपनी जान को जोखिम में डालकर कोरोना के मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स का उत्साह कम हो रहा है. उन्हें लगता है कि कोरोना के मरीजों का इलाज करते हुए अगर वह कोरोना की चपेट में आएंगे तो सरकार उससे पल्ला झाड़ लेगी और उन्हें उनकी हालत पर छोड़ देगी.



ये भी पढ़ें- ताकि परिजनों से वीडियो कॉल के जरिए बात कर सकें मरीज, सीएम ने की व्यवस्था की पड़ताल

FORDA में दिल्ली सरकार के सामने रखी मांगें
FORDA की तरफ से डॉ पार्थ बोरा ने दिल्ली सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं, जिसके तहत कोरोना ड्यूटी में लगे हुए सभी डॉक्टर्स को चाहे वह स्थाई हो या अस्थाई, हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के तहत उन्हें इसका लाभ दिया जाए. कोई भी कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर उन्हें यह सुविधा मिलनी चाहिए.

कोरोना पॉजिटिव कोई भी डॉक्टर चाहे किसी सरकारी अस्पताल में कार्यरत हो या निजी अस्पताल में उन्हें हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम का फायदा मिलना चाहिए. इसके अलावा कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए अलग से इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए, जहां उन्हें बिना किसी कठिनाई के उचित इलाज मिल सके.

कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर्स की मृत्यु होने की स्थिति में 30 दिन के अंदर उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता राशि जारी की जानी चाहिए.

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने पिछले साल 27 जुलाई 2020 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके तहत कोरोना ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से मरने वाले डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स को शहीद का दर्जा दिये जाने और उनकी आर्थिक मदद के लिए एक करोड़ रुपए की सहायता राशि देने का प्रावधान किया गया था. कोरोना की दूसरी लहर में शहीद होने वाले डॉक्टर को हेल्थ केयर वर्कर्स को अभी तक दिल्ली सरकार ने एक करोड़ रुपए की राशि जारी नहीं की है. इसलिए फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को एक लेटर लिखकर उन्हें कोरोना शहीदों को आर्थिक मदद दिए जाने की तरफ ध्यान आकर्षित किया है.

FORDA ने सीएम केजरीवाल को लिखा पत्र

FORDA के प्रेसिडेंट ने लिखा सीएम को पत्र

FORDA के प्रेसिडेंट डॉक्टर पार्थ बोरा ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जितने भी डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स शहीद हुए हैं, उन्हें दिल्ली सरकार से दी जाने वाली एक करोड़ की आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है. इसीलिए उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस संबंध में एक लेटर लिखा है और उनसे आग्रह किया है कि वह कोरोना शहीदों को एक करोड़ रुपए की आर्थिक मदद जारी करें.

FORDA का सीएम केजरीवाल को पत्र
FORDA का सीएम केजरीवाल को पत्र

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आर्थिक सहायता से परिवार को मिलेगी बड़ी मदद

डॉ पार्थ ने बताया कि हालांकि एक डॉक्टर के जान की कीमत एक करोड़ नहीं आंकी जा सकती है, क्योंकि वह देश का एक अनमोल नागरिक होता है, जो लोगों की जान बचाने के काम आता है, लेकिन उनकी असामयिक मृत्यु होने पर उनके परिवार के लिए यह एक करोड़ रुपए की राशि एक बड़ी मदद हो सकती है. डॉ पार्थ ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में हम डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स को खो रहे हैं.

उन्हें उचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. जब कोरोना के मरीजों की देखभाल करते हुए और खुद कोरोना की चपेट में आ जाते हैं और उन्हें जब इलाज की जरूरत होती है तब उन्हें सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलती है. तकलीफ तब और ज्यादा होती है जब जिस अस्पताल में मरीजों का इलाज करते हुए संक्रमित होते हैं उस अस्पताल में भी डॉक्टर्स के लिए एक बेड तक उपलब्ध नहीं हो पाता है.

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डॉ अमित गुप्ता को अपने ही अस्पताल में नहीं मिला बेड

डॉ पार्थ ने बताया कि कुछ दिन पहले ही उनके एक साथी डॉक्टर अमित गुप्ता कोरोना के मरीजों का इलाज करने के दौरान कोरोना संक्रमित हुए, लेकिन दुख की बात यह है कि किसी भी अस्पताल में उन्हें एक बेड नहीं मिल पाया. आखिरकार उन्हें गुड़गांव के महंगे अस्पताल मेदांता अस्पताल में एक बेड मिल पाया है, जहां इलाज काफी महंगा है. डॉक्टर अमित गुप्ता मेदांता अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं , लेकिन अभी तक उन्हें किसी तरह की सरकारी मदद नहीं दी जा सकी है. उन्हें उस अस्पताल में भी इलाज के लिए एक बेड उपलब्ध नहीं हो पाया, जहां वह काम कर रहे थे.

सरकार के इस तरह के उदासीन रवैया को देखते हुए अपनी जान को जोखिम में डालकर कोरोना के मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स का उत्साह कम हो रहा है. उन्हें लगता है कि कोरोना के मरीजों का इलाज करते हुए अगर वह कोरोना की चपेट में आएंगे तो सरकार उससे पल्ला झाड़ लेगी और उन्हें उनकी हालत पर छोड़ देगी.



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FORDA में दिल्ली सरकार के सामने रखी मांगें
FORDA की तरफ से डॉ पार्थ बोरा ने दिल्ली सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं, जिसके तहत कोरोना ड्यूटी में लगे हुए सभी डॉक्टर्स को चाहे वह स्थाई हो या अस्थाई, हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के तहत उन्हें इसका लाभ दिया जाए. कोई भी कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर उन्हें यह सुविधा मिलनी चाहिए.

कोरोना पॉजिटिव कोई भी डॉक्टर चाहे किसी सरकारी अस्पताल में कार्यरत हो या निजी अस्पताल में उन्हें हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम का फायदा मिलना चाहिए. इसके अलावा कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए अलग से इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए, जहां उन्हें बिना किसी कठिनाई के उचित इलाज मिल सके.

कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर्स की मृत्यु होने की स्थिति में 30 दिन के अंदर उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता राशि जारी की जानी चाहिए.

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