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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में लगी प्रदर्शनी दे रही है पर्यावरण संरक्षण का संदेश - environment day

यहां लोहे के पाइप से एक विशालकाय मछली तैयार की गई है और उसमें कुछ ऐसे फ्लेक्स लगाए गए हैं, जो ये संकेत देते हैं कि किस प्रकार गंदगी और कूड़े-कचरे से भरते जलाशयों में मछलियों के पेट में गाद जमा होता जा रहा है.

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र
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Published : Jun 11, 2019, 8:42 AM IST

Updated : Jun 11, 2019, 2:29 PM IST

नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में पर्यावरण सप्ताह के मौके पर दो प्रदर्शनियों का आयोजन हुआ है. एक प्रदर्शनी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की तरफ से की गई है, वहीं दूसरी दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच की तरफ से आयोजित है.

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में लगी प्रदर्शनी

संस्थान के कर्मचारियों ने बनाया है
आईजीएनसीए की तरफ से आयोजित प्रदर्शनी में खास बात ये है कि, यहां जो कलाकृतियां दर्शाई गई हैं वो संस्थान के कर्मचारियों द्वारा ही निर्मित हैं. वो भी संस्थान के अवशिष्ट पदार्थों से जो बेकार फेंक दी जाती है.

डायरेक्टर के निर्देश पर आयोजन
इस पूरी प्रदर्शनी के बारे में हमें अवगत कराते हुए यहां के कर्मचारी राहुल प्रसाद ने बताया कि पर्यावरण दिवस के मौके पर आईजीएनसीए हमेशा कोई न कोई आयोजन करता रहता है. इस बार इस तरह के आयोजन को लेकर यहां के डायरेक्टर सच्चिदानंद जोशी का खास निर्देश था.

Fish made with wastage
कचरे से निर्मित विशालकाय मछली

प्लास्टिक से जल-जीवों को नुकसान
यहां लोहे के पाइप से एक विशालकाय मछली तैयार की गई है और उसमें कुछ ऐसे फ्लेक्स लगाए गए हैं, जो ये संकेत देते हैं कि किस प्रकार गंदगी और कूड़े- कचरे से भरते जलाशयों में मछलियों के पेट में गाद जमा होता जा रहा है. बदलता वातावरण किस तरह पेड़ पौधों के लिए भी हानिकारक होता जा रहा है. उसे भी यहां लोहे के पाइप से ही बने एक वृक्ष के जरिए दर्शाया गया है, वहीं लोहे से ही एक पक्षी की भी कलाकृति बनाई गई है.

अनियंत्रित शहरीकरण पर तंज
राहुल प्रसाद ने यहां खुद की बनाई हुई कलाकृतियों से भी हमें अवगत कराया, जिसमें उन्होंने मानव जाति से पेड़ पौधों की गुहार को दर्शाया है. वही, यहां पर लकड़ी से बनी ऐसी कलाकृति भी दिखाई गई हैं, जो दर्शाती है कि किस तरह जमीन पर कंक्रीट के जंगल खड़े होते जा रहे हैं. ये प्रदर्शनी 14 जून तक लगी रहेगी.

Painting
पेंटिंग करते कलाकार

फोटो प्रदर्शनी का भी हुआ आयोजन
दूसरी गैलरी में पर्यावरण से ही संबंधित फोटो प्रदर्शनी लगी है, जिसमें पर्यावरण से संबंधित फोटोग्राफी करने वाले 75 फोटोग्राफर्स की तस्वीरें लगाई गई हैं. वहीं यहां पर लाइव पेंटिंग का भी आयोजन किया गया है. यहां हमें कई कलाकार पेंटिंग करते दिखे. हम जब वहां पहुंचे तो अभिषेक सिंह अपनी एक पेंटिंग में रंग भर रहे थे. उन्होंने अपनी कई और पेंटिंग्स से भी हमें रूबरू कराया. इन्हीं में से एक में उन्होंने दर्शाया था कि किस तरह प्लास्टिक की वस्तुएं धरती को नुकसान पहुंचाती जा रही हैं.

यमुना की दुर्दशा दर्शाती हुई तस्वीरें
जिन 75 फोटोग्राफर्स की खींची तस्वीरें यहां लगाई गई हैं, उनमें से एक राजलक्ष्मी सिंह हमें यहां मिलीं. उन्होंने दिल्ली में यमुना की दुर्दशा को अपनी तस्वीरों में दर्शाया है. राजलक्ष्मी की एक तस्वीर में दिखाया गया है कि किस तरह यमुना में नाव खेता एक नाविक कूड़े के ढेर में फंस गया है और उसकी नाव आगे नहीं बढ़ पा रही. इसके अलावा हमें यहां फोटोग्राफर अभिषेक सिंह की एक ऐसी तस्वीर दिखी, जो भविष्य के लिए सचेत करने वाली है.

14 जून तक लगी रहेगी प्रदर्शनी
गोरखपुर के किसी ग्रामीण इलाके में खींची गई तस्वीर में दिखाया गया है कि एक गाय नदी के किनारे खड़ी है, लेकिन दूर दूर तक कहीं हरियाली के निशान नहीं हैं, वहीं आस-पास कुछ लोग छाता लगाए बैठे हैं.
4 जून से लगी इस फोटो प्रदर्शनी का आज 10 जून को आखिरी दिन था, लेकिन आइजीएनसीए की कलाकृतियों वाली प्रदर्शनी को 14 जून तक देखा जा सकता है.

नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में पर्यावरण सप्ताह के मौके पर दो प्रदर्शनियों का आयोजन हुआ है. एक प्रदर्शनी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की तरफ से की गई है, वहीं दूसरी दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच की तरफ से आयोजित है.

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में लगी प्रदर्शनी

संस्थान के कर्मचारियों ने बनाया है
आईजीएनसीए की तरफ से आयोजित प्रदर्शनी में खास बात ये है कि, यहां जो कलाकृतियां दर्शाई गई हैं वो संस्थान के कर्मचारियों द्वारा ही निर्मित हैं. वो भी संस्थान के अवशिष्ट पदार्थों से जो बेकार फेंक दी जाती है.

डायरेक्टर के निर्देश पर आयोजन
इस पूरी प्रदर्शनी के बारे में हमें अवगत कराते हुए यहां के कर्मचारी राहुल प्रसाद ने बताया कि पर्यावरण दिवस के मौके पर आईजीएनसीए हमेशा कोई न कोई आयोजन करता रहता है. इस बार इस तरह के आयोजन को लेकर यहां के डायरेक्टर सच्चिदानंद जोशी का खास निर्देश था.

Fish made with wastage
कचरे से निर्मित विशालकाय मछली

प्लास्टिक से जल-जीवों को नुकसान
यहां लोहे के पाइप से एक विशालकाय मछली तैयार की गई है और उसमें कुछ ऐसे फ्लेक्स लगाए गए हैं, जो ये संकेत देते हैं कि किस प्रकार गंदगी और कूड़े- कचरे से भरते जलाशयों में मछलियों के पेट में गाद जमा होता जा रहा है. बदलता वातावरण किस तरह पेड़ पौधों के लिए भी हानिकारक होता जा रहा है. उसे भी यहां लोहे के पाइप से ही बने एक वृक्ष के जरिए दर्शाया गया है, वहीं लोहे से ही एक पक्षी की भी कलाकृति बनाई गई है.

अनियंत्रित शहरीकरण पर तंज
राहुल प्रसाद ने यहां खुद की बनाई हुई कलाकृतियों से भी हमें अवगत कराया, जिसमें उन्होंने मानव जाति से पेड़ पौधों की गुहार को दर्शाया है. वही, यहां पर लकड़ी से बनी ऐसी कलाकृति भी दिखाई गई हैं, जो दर्शाती है कि किस तरह जमीन पर कंक्रीट के जंगल खड़े होते जा रहे हैं. ये प्रदर्शनी 14 जून तक लगी रहेगी.

Painting
पेंटिंग करते कलाकार

फोटो प्रदर्शनी का भी हुआ आयोजन
दूसरी गैलरी में पर्यावरण से ही संबंधित फोटो प्रदर्शनी लगी है, जिसमें पर्यावरण से संबंधित फोटोग्राफी करने वाले 75 फोटोग्राफर्स की तस्वीरें लगाई गई हैं. वहीं यहां पर लाइव पेंटिंग का भी आयोजन किया गया है. यहां हमें कई कलाकार पेंटिंग करते दिखे. हम जब वहां पहुंचे तो अभिषेक सिंह अपनी एक पेंटिंग में रंग भर रहे थे. उन्होंने अपनी कई और पेंटिंग्स से भी हमें रूबरू कराया. इन्हीं में से एक में उन्होंने दर्शाया था कि किस तरह प्लास्टिक की वस्तुएं धरती को नुकसान पहुंचाती जा रही हैं.

यमुना की दुर्दशा दर्शाती हुई तस्वीरें
जिन 75 फोटोग्राफर्स की खींची तस्वीरें यहां लगाई गई हैं, उनमें से एक राजलक्ष्मी सिंह हमें यहां मिलीं. उन्होंने दिल्ली में यमुना की दुर्दशा को अपनी तस्वीरों में दर्शाया है. राजलक्ष्मी की एक तस्वीर में दिखाया गया है कि किस तरह यमुना में नाव खेता एक नाविक कूड़े के ढेर में फंस गया है और उसकी नाव आगे नहीं बढ़ पा रही. इसके अलावा हमें यहां फोटोग्राफर अभिषेक सिंह की एक ऐसी तस्वीर दिखी, जो भविष्य के लिए सचेत करने वाली है.

14 जून तक लगी रहेगी प्रदर्शनी
गोरखपुर के किसी ग्रामीण इलाके में खींची गई तस्वीर में दिखाया गया है कि एक गाय नदी के किनारे खड़ी है, लेकिन दूर दूर तक कहीं हरियाली के निशान नहीं हैं, वहीं आस-पास कुछ लोग छाता लगाए बैठे हैं.
4 जून से लगी इस फोटो प्रदर्शनी का आज 10 जून को आखिरी दिन था, लेकिन आइजीएनसीए की कलाकृतियों वाली प्रदर्शनी को 14 जून तक देखा जा सकता है.

Intro:दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में पर्यावरण सप्ताह के मौके पर दो अलहदा प्रदर्शनियों का आयोजन हुआ है. एक प्रदर्शनी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की तरफ से की गई है, वहीं दूसरी दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच की तरफ से आयोजित है. आईजीएनसीए की तरफ से आयोजित प्रदर्शनी में खास बात यह है कि यहां जो कलाकृतियां दर्शाई गई हैं, वह संस्थान के कर्मचारियों द्वारा ही निर्मित हैं और वह भी संस्थान के अवशिष्ट पदार्थों से जो मिट्टी घर में बेकार फेंक दी जाती हैं.


Body:नई दिल्ली: इस पूरी प्रदर्शनी के बारे में हमें अवगत कराते हुए यहां के कर्मचारी राहुल प्रसाद ने बताया कि पर्यावरण दिवस के मौके पर आईजीएनसीए हमेशा कोई न कोई आयोजन करता रहता है. लेकिन इस बार इस तरह के आयोजन को लेकर यहां के डायरेक्टर सच्चिदानंद जोशी का खास निर्देश था.

यहां लोहे के पाइप से एक विशालकाय मछली तैयार की गई है और उसमें कुछ ऐसे फ्लेक्स लगाए गए हैं, जो यह संकेत देते हैं कि किस प्रकार गंदगी और कूड़े कचरे से भरते जलाशयों में मछलियों के पेट में गाद जमा होता जा रहा है. बदलता वातावरण किस तरह पेड़ पौधों के लिए भी हानिकारक होता जा रहा है, उसे भी यहां लोहे के पाइप से ही बने एक वृक्ष के जरिए दर्शाया गया है, वहीं लोहे से ही एक।पक्षी की भी कलाकृति बनाई गई है.

राहुल प्रसाद ने यहां खुद की बनाई हुई कलाकृतियों से भी हमें अवगत कराया, जिसमें उन्होंने मानव जाति से पेड़ पौधों की गुहार को दर्शाया है. वही, यहां पर लकड़ी से बनी ऐसी कलाकृति भी दिखाई गई हैं, जो दर्शाती है कि किस तरह जमीन पर कंक्रीट के जंगल खड़े होते जा रहे हैं. कलाकृतियों वाली यह प्रदर्शनी 14 जून तक लगी रहेगी.

बगल की दूसरी गैलरी में पर्यावरण से ही सम्बंधित फोटो प्रदर्शनी का आयोजन हुआ है, जिसमें पर्यावरण से संबंधित फोटोग्राफी करने वाले 75 फोटोग्राफर्स की तस्वीरें लगाई गई हैं, वहीं यहां पर लाइव पेंटिंग का भी व्यवस्था है. यहां हमें ऐसे कई पेंटर्स पेंटिंग करते दिखे. हम जब वहां पहुंचे तो अभिषेक सिंह अपनी एक पेंटिंग में रंग भर रहे थे, उन्होंने अपनी कई और पेमटिंग्स से भी हमें रूबरू कराया. इन्हीं में से एक में उन्होंने दर्शाया था कि किस तरह प्लास्टिक की वस्तुएं धरती को नुकसान पहुंचाती जा रही हैं.

जिन 75 फोटोग्राफर्स की खींची तस्वीरें यहां लगाई गई हैं, उनमें से एक राजलक्ष्मी सिंह हमें यहां मिलीं. उन्होंने दिल्ली में यमुना की दुर्दशा को अपनी तस्वीरों में दर्शाया है. राजलक्ष्मी की एक तस्वीर में दिखाया गया है कि किस तरह यमुना में नाव खेता एक नाविक कूड़े के ढेर में फंस गया है और उसका नाव आगे नहीं बढ़ पा रहा. इसके अलावा हमें यहां फोटोग्राफर अभिषेक सिंह की एक ऐसी तस्वीर दिखी, जो आगामी भविष्य के लिए सचेत करने वाली है. गोरखपुर के किसी ग्रामीण इलाके में खींची गई सी तस्वीर में दिखाया गया है कि एक गाय नदी के किनारे खड़ी है, लेकिन दूर दूर तक कहीं हरियाली के निशान नहीं हैं, वहीं अगल बगल में कुछ लोग छाता लगाए बैठे हैं. 4 जून से लगी इस फोटो प्रदर्शनी का आज, यानि 10 जून को आखिरी दिन था, लेकिन आइजीएनसीए की कलाकृतियों वाली प्रदर्शनी को 14 जून तक देखा जा सकता है.


Conclusion:ऐसी प्रदर्शनियां हमेशा ही खुद में एक बड़ा संदेश समेटे होती हैं. यहां पर हमें जो कलाकृतियों या तस्वीरों के माध्यम से संदेश दिखे, वो अगर आम लोगों तक पहुंचें तो शायद हालात को बदल सकें.
Last Updated : Jun 11, 2019, 2:29 PM IST

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