नई दिल्लीः दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद (Historical Jama Masjid of Delhi) में लड़कियों की एंटी बैन कर दी गई है. मस्जिद के तीनों एंट्री गेट पर एक नोटिस बोर्ड लगा है, जिसमें लिखा है, 'जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखला मना है.' मतलब यह कि लड़की या लड़कियों के साथ अगर कोई पुरुष अभिभावक नहीं है तो उन्हें मस्जिद में एंट्री नहीं मिलेगी.
माना जा रहा है कि मस्जिद परिसर में अश्लीलता को रोकने के लिए ये कदम उठाया गया है. इसे लेकर विवाद होता दिख रहा है. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने इसकी आलोचना करते हुए इमाम को नोटिस जारी करने की बात कही है.
ईटीवी भारत की टीम दक्षिणी दिल्ली के अंबेडकर नगर विधानसभा क्षेत्र के राजू पार्क में मुस्लिम महिलाओं से इस मुद्दे पर बात की, तो ज्यादातर महिलाएं इस फैसले को सही मानती दिखीं. उन्होंने यह तर्क भी दिया है कि बिना पैरेंट्स के किसी भी लड़की को जामा मस्जिद में एंट्री नहीं दी जानी चाहिए.
साथ ही उन्होंने कहा कि जो इमाम साहब ने नोटिस चस्पा किया है, आज के दौर में इसकी बहुत जरूरत है क्योंकि आजकल मां-बाप को नहीं पता कि उनकी बेटियां कहां जा रही है. घर से झूठ बोल कर जाती हैं और धार्मिक स्थलों पर कोई टिकटॉक बना रही होती है. वहीं, कोई वीडियो बना रही होती है और कोई अपने बॉयफ्रेंड के साथ घूम रही होती है. ऐसे फैसले को हम सही मानते हैं.
स्थानीय मुस्लिम महिलाओं ने बताया कि धार्मिक स्थलों पर पूरी तरह से जो लड़के-लड़कियां आवारगी की तरह घूमते हैं, उन पर बैन लगाया जाना चाहिए. चाहे वह मस्जिद हो या मंदिर, धार्मिक स्थल पूजा के लिए और अल्लाह की इबादत के लिए होते हैं, ना कि वहां पर पिकनिक मनाने के लिए. इन जगहों पर आजकल लोग जिसमें सबसे ज्यादा लड़के-लड़कियां ऐसी जगह पर घूमने जाते हैं. मौज-मस्ती करते हैं. कुछ अश्लील हरकतें भी करते हैं. कई बार लोगों ने देखा भी है और हमने वीडियो में देखा भी है. जो भी फैसला जामा मस्जिद के लिए लिया गया है, वह सही फैसला लिया गया है.