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द्वारका: कोरोना काल में सड़कों पर बढ़ रहे भिखारी, लोगों को सता रहा संक्रमण का डर

फुटपाथ पर रहने और अपने गुजारे के लिए लोगों से भीख मांगने वालों से द्वारकावासियों को डर लगने लगा है. कोरोना काल में यह लोग बिना सैनिटाइजेशन और साफ-सफाई के सारा दिन सड़कों पर घूमते हैं. ऐसे में यह लोग जब सिग्नल लाइट पर भीख मांगने के लिए लोगों के संपर्क में आते हैं तो उन लोगों के भी कोरोना से संक्रमित होने के आसार बढ़ जाते हैं.

Beggars on the streets
बिना सेनिटाइजेशन के सारा दिन भिखारी सड़कों पर घूमते हैं
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Published : Nov 16, 2020, 4:20 PM IST

नई दिल्ली: रेड लाइट पर गाड़ी रुकते ही लोगों से पैसे मांगना, गाड़ी की खिड़की खुली हो तो अंदर बैठे लोगों को छू लेना, सड़कों पर इधर-उधर थूकना और फुटपाथ पर सोने के लिए डेरा जमाने वाले भिखारियों से द्वारका वासियों को अब डर लगने लगा है. ऐसे में लोगों के डर को समझते हुए और मानवता को ध्यान में रखते हुए द्वारका फोरम ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर गुहार लगाई कि इन भिखारियों को बेहतरीन व्यवस्था और रहने के लिए उचित स्थान उपलब्ध करवाया जाए, जिससे कि ये लोग सड़कों पर और फुटपाथों पर न भटकें.

द्वारका की सड़कों पर भीख मांग गुजारा करते

कोरोना काल में भिखारियों की संख्या बढ़ने से लोगों को सता रहा एक डर

इस बारे में द्वारका फोरम के प्रेसीडेंट सुशील कुमार ने बताया कि दिल्ली की सड़कों पर भिखारियों का दिखना आम बात है, लेकिन लॉकडाउन के बाद उपनगरी द्वारका अचानक से भिखारियों की बढ़ी संख्या लोगों के चिंता का विषय बन गई है. क्योंकि कोरोना काल में भिखारियों की बढ़ी संख्या सड़कों की रेड लाइट और फुटपाथ पर काफी संख्या में दिखाई दे रही है.

इससे लोगों को डर सता रहा है. क्योंकि यह लोग बिना किसी सैनिटाइजेशन और साफ-सफाई के सारा दिन सड़कों पर घूमते हैं. जिसके चलते इनके कोरोना से संक्रमित होने की संभावनाएं भी काफी बढ़ जाती हैं. ऐसे में यह लोग जब सिग्नल लाइट पर भीख मांगने के लिए लोगों के संपर्क में आते हैं तो उन लोगों के भी कोरोना से संक्रमित होने के आसार बढ़ जाते हैं.


सरकार भिखारियों के रहने के लिए बेहतर व्यवस्था कराए

सुशील कुमार के अनुसार वह और उनकी संस्था भिखारियों के विरोध में नहीं है, लेकिन उनके जागरूक न होने और लापरवाही से आम लोगों को भी परेशानी हो रही है. ऐसे में उनकी सरकार से गुहार है कि वह उनके रहने के लिए बेहतर व्यवस्था उपलब्ध कराए.

भिखारियों को आज तक नहीं मिला शेल्टर का अधिकार

द्वारका निवासी व पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार अनिल कुमार पराशर का कहना है कि भिखारियों को लोग काफी हीन भावना से देखते हैं. वह लोक संसाधन की कमी के कारण फुटपाथ पर ही रहते हैं, वहीं खाते-पीते हैं. ऐसे वह लोग साफ-सफाई भी नहीं रख पाते. इसके उन्होंने बताया कि राइट टू शेल्टर इन लोगों का मौलिक अधिकार है, जिन्हें आज तक यह अधिकार ही नहीं मिल पाया है.

नई दिल्ली: रेड लाइट पर गाड़ी रुकते ही लोगों से पैसे मांगना, गाड़ी की खिड़की खुली हो तो अंदर बैठे लोगों को छू लेना, सड़कों पर इधर-उधर थूकना और फुटपाथ पर सोने के लिए डेरा जमाने वाले भिखारियों से द्वारका वासियों को अब डर लगने लगा है. ऐसे में लोगों के डर को समझते हुए और मानवता को ध्यान में रखते हुए द्वारका फोरम ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर गुहार लगाई कि इन भिखारियों को बेहतरीन व्यवस्था और रहने के लिए उचित स्थान उपलब्ध करवाया जाए, जिससे कि ये लोग सड़कों पर और फुटपाथों पर न भटकें.

द्वारका की सड़कों पर भीख मांग गुजारा करते

कोरोना काल में भिखारियों की संख्या बढ़ने से लोगों को सता रहा एक डर

इस बारे में द्वारका फोरम के प्रेसीडेंट सुशील कुमार ने बताया कि दिल्ली की सड़कों पर भिखारियों का दिखना आम बात है, लेकिन लॉकडाउन के बाद उपनगरी द्वारका अचानक से भिखारियों की बढ़ी संख्या लोगों के चिंता का विषय बन गई है. क्योंकि कोरोना काल में भिखारियों की बढ़ी संख्या सड़कों की रेड लाइट और फुटपाथ पर काफी संख्या में दिखाई दे रही है.

इससे लोगों को डर सता रहा है. क्योंकि यह लोग बिना किसी सैनिटाइजेशन और साफ-सफाई के सारा दिन सड़कों पर घूमते हैं. जिसके चलते इनके कोरोना से संक्रमित होने की संभावनाएं भी काफी बढ़ जाती हैं. ऐसे में यह लोग जब सिग्नल लाइट पर भीख मांगने के लिए लोगों के संपर्क में आते हैं तो उन लोगों के भी कोरोना से संक्रमित होने के आसार बढ़ जाते हैं.


सरकार भिखारियों के रहने के लिए बेहतर व्यवस्था कराए

सुशील कुमार के अनुसार वह और उनकी संस्था भिखारियों के विरोध में नहीं है, लेकिन उनके जागरूक न होने और लापरवाही से आम लोगों को भी परेशानी हो रही है. ऐसे में उनकी सरकार से गुहार है कि वह उनके रहने के लिए बेहतर व्यवस्था उपलब्ध कराए.

भिखारियों को आज तक नहीं मिला शेल्टर का अधिकार

द्वारका निवासी व पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार अनिल कुमार पराशर का कहना है कि भिखारियों को लोग काफी हीन भावना से देखते हैं. वह लोक संसाधन की कमी के कारण फुटपाथ पर ही रहते हैं, वहीं खाते-पीते हैं. ऐसे वह लोग साफ-सफाई भी नहीं रख पाते. इसके उन्होंने बताया कि राइट टू शेल्टर इन लोगों का मौलिक अधिकार है, जिन्हें आज तक यह अधिकार ही नहीं मिल पाया है.

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