नई दिल्ली: सफदरजंग हॉस्पिटल के डॉक्टर राहुल चावला ने एक किताब लिखी है. जिसका नाम उन्होंने हजारों ख्वाहिशें दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए डॉ राहुल चावला ने बताया कि हजारों ख्वाहिशें, इश्क और इंकलाब की तरह एक हैरतअंगेज दास्तान है. एक तरह का मॉडर्न एपिक जिसमें अल्हड़ सी मोहब्बत है. इंकलाब के शोले हैं. लेफ्ट राइट का झमेला है. राजनीतिक बहसबाजी है और उन सब के बीच है कास्ट पॉलिटिक्स की धमक.
IAS की तैयारी कर रहे दोस्तों की कहानी
हजारों ख्वाहिशें, IAS की तैयारी कर रहे दोस्तों की कहानी है. साथ ही उन्होंने बताया कि यह उपन्यास मुखर्जी नगर में IAS की तैयारी कर रहे दोस्तों की कहानी ही नहीं कहता है. बल्कि IAS बनने के पीछे की सोच, IAS बनने के लिए दी जाने वाली कुर्बानी और IAS की तैयारी की बीच की फ्रस्ट्रेशन भी बयां करता है.
अपनी ख्वाहिशों के लिए जी जान लगा देने वाले नौजवान इस कहानी के पात्र हैं. जो दिल्ली को और उसकी पॉलिटिक्स को अपनी नजर से देखते हैं. ये पात्र देश में घटित घटनाओं से प्रभावित होते हैं और उसी के साथ कहानी नए मोड़ लेती रहती है. इन सबके साथ बहुत सी फिल्में और साहित्यिक रेफरेंसेस पॉइंट्स भी इस कहानी में शामिल है. जो कहानी को ना सिर्फ मनोरंजक बनाती है, बल्कि नए आयाम भी देती है.
हिंदी लेखन में नया एक्सपेरिमेंट
यह हिंदी लेखन में एक नए तरीके का एक्सपेरिमेंट है. कहानी के भीतर ढेर सारी परतें हैं. पोस्ट मॉडर्निज्म(उत्तर आधुनिकताावद) उन परतों में से प्रमुख परत है. इस कहानी का फिल्मी अंदाज में कहा जाना सबसे आकर्षित करने वाली बात है.
कौन हैं डॉक्टर राहुल चावला?
डॉ. राहुल चावला (एमबीबीएस, एमडी) ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से मेडिकल की पढ़ाई की है. हिंदी साहित्य में उनकी पहली घुसपैठ है. इससे पहले फिल्मों के लिए पटकथा लिखकर स्क्रीन राइटर लैब में भेजते रहे हैं. 2013 में उनकी लिखी 'अनकही' मुंबई मंत्र स्क्रीन राइटर्स लैब के लिए शॉर्टलिस्ट की गई. और साल 2016 में 'पंचकन्या' cinerise 100 स्टोरीटेलर्स के लिए चयनित की जा चुकी है.