नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली स्थित फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने बिहार की 65 वर्षीय महिला सुधा देवी की सफल "वर्टिब्रा स्टेटोप्लास्टी सर्जरी की, जिन्हें स्पाइनल फ्रैक्चर हो गया था. यह उत्तर भारत का पहला मामला था जिसमें यह आधुनिक स्पाइन सर्जरी की गई. डॉ कौशल कांत मिश्रा ने कहना है कि मेडिकल प्रक्रियाओं की मदद से यह सर्जरी सिर्फ 25 मिनट में की गई. स्टेटोप्लास्टी एक क्रांतिकारी तकनीक है, जिसमें स्टेट को वर्टेब्रल बॉडी के भीतर डालकर सीमेंट लगाया जाता है. वर्टेब्रल फ्रैक्चर मामले में गंभीर दर्द होने पर यह बहुत ही प्रभावी और जल्द असर करने वाला उपचार है.
मरीज की कंडीशन थी काफी खराब: डेढ़ महीने पहले मरीज सुधा देवी की कंडीशन काफी खराब थी. जानकारी के अनुसार मरीज गिर गई थी. इसके बाद उन्हें बेगूसराय के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जांच के बाद पता चला कि उनके एला वर्टेब्रा (लोअर बैक का सबसे ऊपरी हिस्सा) में कंप्रेशन फ्रैक्चर हो गया है. एल 1 वर्टेब्रा हाइट को नुकसान पहुंचने की वजह से वह चल-बैठ नहीं पा रही थीं. उन्हें डॉक्टरों ने आराम करने की सलाह दी थी. हालांकि एक महीने बाद भी मरीज़ की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ. फिर बिहार के डॉक्टरों ने उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया. उन्हें फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला में डॉ. कौशल कांत मिश्रा के इमरजेंसी यूनिट में भर्ती किया गया. चिकित्सकीय जांच के बाद यह पाया गया कि वर्टेब्रा में ऑस्टियोपोरोटिक कंप्रेशन फ्रैक्चर हुआ है.
स्टेंटोप्लास्टी प्रक्रिया के तहत सर्जरी: सभी जोखिमों को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों ने सर्जरी के पारंपरिक तरीके को अपनाने के बजाय स्टेंटोप्लास्टी प्रक्रिया करने का निर्णय किया. क्योंकि मरीज़ को बहुत ज्यादा दर्द था. बता दें कि सटीक परिणाम के लिए किफोप्लास्टी प्रक्रिया में मदद के लिए टाइटेनिम स्टेंट का इस्तेमाल किया जाता है. कार्डियक स्टैटिंग की तरह ही वर्टेब्रल स्टेंटोप्लास्टी को भी लोकल एनेस्थीसिया के साथ किया जाता है. स्टेटोप्लास्टी में टाइटेनियम से बने और आकार में बड़े किए जा सकने वाले केज को फ्रैक्चर हुए वर्टिब्रा के भीतर डाला जाता है. इसके बाद केज का आकार बढ़ जाता है और टूटी हुई हड्डी को जोड़ा जाता है. इसके साथ ही हाइट पहले जितनी हो जाती है. स्टेंट को भीतर ही अंत में वर्टेब्रल बॉडी और स्टेंट में बोन सीमेंट भर दिया जाता है.
ये भी पढ़ें: Domestic Flight: दिल्ली से मुंबई का फ्लाइट टिकट दुबई जाने से भी महंगा, जानिए वजह
डॉक्टर ने कहा सर्जरी के बाद मरीज़ चलने-फिरने लगी हैं. रिकवरी बहुत तेजी से हुई है. मरीज़ के जीवन में काफी सुधार आया है. इस मामले में आशंका बेहद कम थी और न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं भी कम हो गई. इसके अलावा, वर्टेब्रा की हाइट में भी सुधार हो गया. यह सर्जरी सिर्फ 25 मिनट में हो गई. मरीज़ को एक दिन के भीतर ही डिस्चार्ज कर दिया गया.
ये भी पढ़ें: Yamuna River: दिल्ली में बनेगी 22 किलोमीटर लंबी मानव श्रंखला, यमुना तट पर खड़े होंगे एक लाख लोग