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डॉ प्रदीप शर्मा ने एम्स को कहा अलविदा, 42 सालों तक दी सेवा - doctor Pradeep Sharma AIIMS

एम्स आरपीआई सेन्टर के ऑप्थल्मोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड एंड प्रोफेसर डॉ प्रदीप शर्मा 42 साल की लंबी पारी खेलते हुए गुरुवार को अपनी सेवा के अंतिम दिन अंतिम ऑपरेशन को अंजाम देकर जैसे ही बाहर निकले, उनके सहयोगियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और भावुकता भरे माहौल में उन्हें उनके जीवन की दूसरी पारी की शुभकामनाएं दी.

Dr. Pradeep Sharma said goodbye to AIIMS
डॉ प्रदीप शर्मा ने एम्स को कहा अलविदा
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Published : Jan 30, 2021, 10:22 AM IST

नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के आरपीआई सेंटर के पीडियाट्रिक आप्थाल्मालॉजी न्यूरो ऑपथैल्मोलॉजी और ओक्यूलोप्लास्टी डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर डॉ प्रदीप शर्मा देश के सबसे बड़े अस्पताल में अपनी 42 साल की लंबी पारी खेलकर अब रिटायर हो चुके हैं.

डॉ प्रदीप शर्मा ने एम्स को कहा अलविदा

वह अपने आखिरी दिन का आखिरी ऑपरेशन करके ऑपरेशन थिएटर से जैसे ही बाहर निकले तो उनके सहयोगियों और उनके साथ काम करने वाले दूसरे हेल्थ केयर वर्कर्स ने उनका काफी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनके इतने लंबे वर्षों की सेवा को सम्मान दिया.

'इतना सम्मान पाकर आंखें छलक आईं'

जैसे ही डॉक्टर शर्मा एम्स में अपनी लंबी सर्विस के आखरी दिन आखरी ऑपरेशन कर बाहर निकले वह काफी भावुक हो गए. तालियों की गड़गड़ाहट और उनके डिपार्टमेंट के सभी हेल्थ केयर वर्कर्स की उनके लिए प्यार और सम्मान देखकर उनकी भावुकता काफी बढ़ गई.

उनके विभाग से जुड़े हुए सभी का अभिवादन स्वीकार करते हुए आगे बढ़ते चले गए. अंत में में वह अपनी भावना पर काबू नहीं रख पाए, उनकी आंखें छलक आईx. कल से उनका रूटीन जो बदलने वाला था. एम्स का यह यह लंबा चौड़ा परिसर उन्हें बहुत याद आएगा.

सहयोगियों ने अगली पारी की शुभकामनाएं दी

सभी डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ और नर्सिंग स्टाफ ने उन्हें उनके जीवन की अगली पारी के लिए शुभकामनाएं दीं. जिरियाट्रिक डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर विजय कुमार ने भी डॉक्टर प्रदीप शर्मा के देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में लंबी पारी के लिए बधाई दी और उनके जीवन की नई पारी के लिए शुभकामनाएं दी.

1979 से 2021 तक रहा एम्स का सफर

डॉ प्रदीप शर्मा ने दिसंबर 1979 में देश की सबसे बड़ी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल एम्स से अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. 1982 में यहीं से ऑर्थोलॉजी में एमडी किए 1995 में नेशनल अकैडमी ऑफ़ मेडिकल साइंस के सदस्य बने.

2007 में उन्हें नेशनल अकैडमी आफ मेडिकल साइंस की फेलोशिपी मिली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में 175 से ज्यादा इनके शोध पत्र प्रकाशित हुए दर्जन भर से ज्यादा इन्हें अवार्ड और सम्मान मिले.



नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के आरपीआई सेंटर के पीडियाट्रिक आप्थाल्मालॉजी न्यूरो ऑपथैल्मोलॉजी और ओक्यूलोप्लास्टी डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर डॉ प्रदीप शर्मा देश के सबसे बड़े अस्पताल में अपनी 42 साल की लंबी पारी खेलकर अब रिटायर हो चुके हैं.

डॉ प्रदीप शर्मा ने एम्स को कहा अलविदा

वह अपने आखिरी दिन का आखिरी ऑपरेशन करके ऑपरेशन थिएटर से जैसे ही बाहर निकले तो उनके सहयोगियों और उनके साथ काम करने वाले दूसरे हेल्थ केयर वर्कर्स ने उनका काफी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनके इतने लंबे वर्षों की सेवा को सम्मान दिया.

'इतना सम्मान पाकर आंखें छलक आईं'

जैसे ही डॉक्टर शर्मा एम्स में अपनी लंबी सर्विस के आखरी दिन आखरी ऑपरेशन कर बाहर निकले वह काफी भावुक हो गए. तालियों की गड़गड़ाहट और उनके डिपार्टमेंट के सभी हेल्थ केयर वर्कर्स की उनके लिए प्यार और सम्मान देखकर उनकी भावुकता काफी बढ़ गई.

उनके विभाग से जुड़े हुए सभी का अभिवादन स्वीकार करते हुए आगे बढ़ते चले गए. अंत में में वह अपनी भावना पर काबू नहीं रख पाए, उनकी आंखें छलक आईx. कल से उनका रूटीन जो बदलने वाला था. एम्स का यह यह लंबा चौड़ा परिसर उन्हें बहुत याद आएगा.

सहयोगियों ने अगली पारी की शुभकामनाएं दी

सभी डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ और नर्सिंग स्टाफ ने उन्हें उनके जीवन की अगली पारी के लिए शुभकामनाएं दीं. जिरियाट्रिक डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर विजय कुमार ने भी डॉक्टर प्रदीप शर्मा के देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में लंबी पारी के लिए बधाई दी और उनके जीवन की नई पारी के लिए शुभकामनाएं दी.

1979 से 2021 तक रहा एम्स का सफर

डॉ प्रदीप शर्मा ने दिसंबर 1979 में देश की सबसे बड़ी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल एम्स से अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. 1982 में यहीं से ऑर्थोलॉजी में एमडी किए 1995 में नेशनल अकैडमी ऑफ़ मेडिकल साइंस के सदस्य बने.

2007 में उन्हें नेशनल अकैडमी आफ मेडिकल साइंस की फेलोशिपी मिली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में 175 से ज्यादा इनके शोध पत्र प्रकाशित हुए दर्जन भर से ज्यादा इन्हें अवार्ड और सम्मान मिले.



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