नई दिल्ली: कोरोना की रफ्तार अभी पूरी तरह से थमी भी नहीं है कि एक और लहर आने को तैयार है. कोरोना की इस नई लहर को लेकर पहले ही भविष्यवाणी की गई है. हालांकि इसके पहले की लहर के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी, कि कोरोना कितना खतरनाक होकर यह कब अपना रूप बदलकर तांडव मचाने वाला है? दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ अजय गंभीर कोरोना की लहर को लेकर निश्चित नहीं है. उन्होंने सरकारों के ऊपर सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि सरकार को दूसरी लहर के बारे में कोई पता नहीं चल पाया. ये चुपके से आ गया, लेकिन तीसरी लहर की खबर विशेषज्ञों और सरकार को भी हो गई है. उम्मीद करते हैं सरकार इससे निपटने के लिए पहले से तैयार होगी. डॉ गंभीर ने लोगों से नहीं डरने की अपील करते हुए कहा कि कोई भी लहर हो सावधानी बरतिए और इससे डरने की जरूरत नहीं है.
सीरो सर्वे और वायरस की जिनोटाइपिंग से पता चलेगा कि तीसरी लहर आयेगी या नहीं
डॉक्टर अजय गंभीर ने सरकार को सुझाव दिया है कि तीसरी लहर आये या ना आए, लेकिन सुरक्षा की दृष्टिकोण से सीरो सर्वे और जिनोटाइपिंग लगातार होती रहनी चाहिए. ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों के टेस्ट करने होंगे और ये देखना होगा कि वायरस के जीनोटाइप में क्या बदलाव आ रहे हैं ? सारे आंकड़े को विशेषज्ञों के साथ शेयर करना होगा ताकि उसका कोई लॉजिकल सॉल्यूशन निकाला जा सके. इन सारी तैयारियों के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना की कोई लहर आएगी भी या नहीं.
बच्चों को खतरा नहीं
डॉ अजय गंभीर ने अमेरिका में कोरोना प्रभावित बच्चों के आंकड़ों का हवाले देते हुए बताया कि अमेरिका में कोरोना संक्रमण जब चरम पर था तो वहां 22 परसेंट बच्चे हॉस्पिटल में एडमिट थे. इसे औसतन 25 फीसदी मान सकते हैं. अगर भारत के संदर्भ में देखा जाए और अगर कोई विशेषज्ञ कह रहा है कि 100 फीसदी बच्चे कोरोना संक्रमण की जद में होंगे तो ये गलत है. ऐसा नहीं होने वाला है. अधिक से अधिक 25 फ़ीसदी बच्चे इससे प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन ये इस बात पर निर्भर करेगा कि कोरोना का वेरिएंट किस तरह का है और संक्रमण की तीव्रता कितनी है? कुछ वेरिएंट में खतरनाक संक्रमण होता है. दुनिया भर में अधिकतम अभी तक 25 फीसदी बच्चे कोरोना से प्रभावित हुए हैं तो भारत में भी इससे ज्यादा की आशंका नहीं है.
पढ़ें-कैंसर से है पीड़ित, फिर भी दे रही मुफ्त सेवा! मिलिए दिल्ली की पहली महिला एंबुलेंस ड्राइवर से