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कोरोना की तीसरी लहर, नहीं है बच्चों को डर..!

कोरोना की तीसरी लहर आने की भविष्यवाणी की गई है. साथ ही इस लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है. इसमें कितनी सच्चाई है और सरकार को इससे निपटने के लिये क्या तैयारियां करनी चाहिए, बता रहे हैं दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. अजय गंभीर.

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कोरोना की तीसरी लहर...नहीं है बच्चों को डर !
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Published : May 12, 2021, 12:21 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना की रफ्तार अभी पूरी तरह से थमी भी नहीं है कि एक और लहर आने को तैयार है. कोरोना की इस नई लहर को लेकर पहले ही भविष्यवाणी की गई है. हालांकि इसके पहले की लहर के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी, कि कोरोना कितना खतरनाक होकर यह कब अपना रूप बदलकर तांडव मचाने वाला है? दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ अजय गंभीर कोरोना की लहर को लेकर निश्चित नहीं है. उन्होंने सरकारों के ऊपर सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि सरकार को दूसरी लहर के बारे में कोई पता नहीं चल पाया. ये चुपके से आ गया, लेकिन तीसरी लहर की खबर विशेषज्ञों और सरकार को भी हो गई है. उम्मीद करते हैं सरकार इससे निपटने के लिए पहले से तैयार होगी. डॉ गंभीर ने लोगों से नहीं डरने की अपील करते हुए कहा कि कोई भी लहर हो सावधानी बरतिए और इससे डरने की जरूरत नहीं है.

सीरो सर्वे और वायरस की जिनोटाइपिंग से पता चलेगा कि तीसरी लहर आयेगी या नहीं
डॉक्टर अजय गंभीर ने सरकार को सुझाव दिया है कि तीसरी लहर आये या ना आए, लेकिन सुरक्षा की दृष्टिकोण से सीरो सर्वे और जिनोटाइपिंग लगातार होती रहनी चाहिए. ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों के टेस्ट करने होंगे और ये देखना होगा कि वायरस के जीनोटाइप में क्या बदलाव आ रहे हैं ? सारे आंकड़े को विशेषज्ञों के साथ शेयर करना होगा ताकि उसका कोई लॉजिकल सॉल्यूशन निकाला जा सके. इन सारी तैयारियों के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना की कोई लहर आएगी भी या नहीं.

कोरोना की तीसरी लहर...नहीं है बच्चों को डर !
लहर आने के पहले ही बच्चों के सर्वाधिक प्रभावित होने का अनुमान
डॉ अजय गंभीर ने एक और सवाल खड़ा करते हुए कहा कि तीसरी लहर अभी आई नहीं कि इसके बारे में पहले से ही अनुमान लगाया जाने लगा है कि इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ेगा. ये पूरी तरह से गलत है. अभी तक के आंकड़ों के विश्लेषण से ये पता चलता है कि बच्चे सबसे सुरक्षित रहे हैं. पहली लहर में बच्चे इससे प्रभावित नहीं हुए थे, लेकिन दूसरी लहर में कम ही बच्चे इससे प्रभावित हुए हैं.
युवा ज्यादा प्रभावित
डॉ अजय ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक, 25 साल उम्र के लोगों को किशोर उम्र में ही शामिल किया जाता है. इस बार देखा गया कि किशोर उम्र के और युवा उम्र के लोग कोरोना से प्रभावित हुए हैं, जो पहली लहर के दौरान नहीं देखा गया था. बुजुर्गों को पहले ही टीका लगवाया जा चुका है. वो काफी हद तक इम्यून हो चुके हैं तो अब बचते हैं बच्चे और युवा. आने वाली तीसरी लहर में अब जनसंख्या के यही ग्रुप ज्यादा प्रभावित होंगे. डीएमए काफी समय से मांग कर रही थी कि किशोर और युवा वर्ग के लोगों को टीकाकरण के लिए प्राथमिक समूह में शामिल किया जाए और उन्हें सबसे पहले टीका लगवाया जाए, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया.


बच्चों को खतरा नहीं
डॉ अजय गंभीर ने अमेरिका में कोरोना प्रभावित बच्चों के आंकड़ों का हवाले देते हुए बताया कि अमेरिका में कोरोना संक्रमण जब चरम पर था तो वहां 22 परसेंट बच्चे हॉस्पिटल में एडमिट थे. इसे औसतन 25 फीसदी मान सकते हैं. अगर भारत के संदर्भ में देखा जाए और अगर कोई विशेषज्ञ कह रहा है कि 100 फीसदी बच्चे कोरोना संक्रमण की जद में होंगे तो ये गलत है. ऐसा नहीं होने वाला है. अधिक से अधिक 25 फ़ीसदी बच्चे इससे प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन ये इस बात पर निर्भर करेगा कि कोरोना का वेरिएंट किस तरह का है और संक्रमण की तीव्रता कितनी है? कुछ वेरिएंट में खतरनाक संक्रमण होता है. दुनिया भर में अधिकतम अभी तक 25 फीसदी बच्चे कोरोना से प्रभावित हुए हैं तो भारत में भी इससे ज्यादा की आशंका नहीं है.

पढ़ें-कैंसर से है पीड़ित, फिर भी दे रही मुफ्त सेवा! मिलिए दिल्ली की पहली महिला एंबुलेंस ड्राइवर से

नई दिल्ली: कोरोना की रफ्तार अभी पूरी तरह से थमी भी नहीं है कि एक और लहर आने को तैयार है. कोरोना की इस नई लहर को लेकर पहले ही भविष्यवाणी की गई है. हालांकि इसके पहले की लहर के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी, कि कोरोना कितना खतरनाक होकर यह कब अपना रूप बदलकर तांडव मचाने वाला है? दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ अजय गंभीर कोरोना की लहर को लेकर निश्चित नहीं है. उन्होंने सरकारों के ऊपर सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि सरकार को दूसरी लहर के बारे में कोई पता नहीं चल पाया. ये चुपके से आ गया, लेकिन तीसरी लहर की खबर विशेषज्ञों और सरकार को भी हो गई है. उम्मीद करते हैं सरकार इससे निपटने के लिए पहले से तैयार होगी. डॉ गंभीर ने लोगों से नहीं डरने की अपील करते हुए कहा कि कोई भी लहर हो सावधानी बरतिए और इससे डरने की जरूरत नहीं है.

सीरो सर्वे और वायरस की जिनोटाइपिंग से पता चलेगा कि तीसरी लहर आयेगी या नहीं
डॉक्टर अजय गंभीर ने सरकार को सुझाव दिया है कि तीसरी लहर आये या ना आए, लेकिन सुरक्षा की दृष्टिकोण से सीरो सर्वे और जिनोटाइपिंग लगातार होती रहनी चाहिए. ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों के टेस्ट करने होंगे और ये देखना होगा कि वायरस के जीनोटाइप में क्या बदलाव आ रहे हैं ? सारे आंकड़े को विशेषज्ञों के साथ शेयर करना होगा ताकि उसका कोई लॉजिकल सॉल्यूशन निकाला जा सके. इन सारी तैयारियों के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना की कोई लहर आएगी भी या नहीं.

कोरोना की तीसरी लहर...नहीं है बच्चों को डर !
लहर आने के पहले ही बच्चों के सर्वाधिक प्रभावित होने का अनुमान
डॉ अजय गंभीर ने एक और सवाल खड़ा करते हुए कहा कि तीसरी लहर अभी आई नहीं कि इसके बारे में पहले से ही अनुमान लगाया जाने लगा है कि इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ेगा. ये पूरी तरह से गलत है. अभी तक के आंकड़ों के विश्लेषण से ये पता चलता है कि बच्चे सबसे सुरक्षित रहे हैं. पहली लहर में बच्चे इससे प्रभावित नहीं हुए थे, लेकिन दूसरी लहर में कम ही बच्चे इससे प्रभावित हुए हैं.
युवा ज्यादा प्रभावित
डॉ अजय ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक, 25 साल उम्र के लोगों को किशोर उम्र में ही शामिल किया जाता है. इस बार देखा गया कि किशोर उम्र के और युवा उम्र के लोग कोरोना से प्रभावित हुए हैं, जो पहली लहर के दौरान नहीं देखा गया था. बुजुर्गों को पहले ही टीका लगवाया जा चुका है. वो काफी हद तक इम्यून हो चुके हैं तो अब बचते हैं बच्चे और युवा. आने वाली तीसरी लहर में अब जनसंख्या के यही ग्रुप ज्यादा प्रभावित होंगे. डीएमए काफी समय से मांग कर रही थी कि किशोर और युवा वर्ग के लोगों को टीकाकरण के लिए प्राथमिक समूह में शामिल किया जाए और उन्हें सबसे पहले टीका लगवाया जाए, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया.


बच्चों को खतरा नहीं
डॉ अजय गंभीर ने अमेरिका में कोरोना प्रभावित बच्चों के आंकड़ों का हवाले देते हुए बताया कि अमेरिका में कोरोना संक्रमण जब चरम पर था तो वहां 22 परसेंट बच्चे हॉस्पिटल में एडमिट थे. इसे औसतन 25 फीसदी मान सकते हैं. अगर भारत के संदर्भ में देखा जाए और अगर कोई विशेषज्ञ कह रहा है कि 100 फीसदी बच्चे कोरोना संक्रमण की जद में होंगे तो ये गलत है. ऐसा नहीं होने वाला है. अधिक से अधिक 25 फ़ीसदी बच्चे इससे प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन ये इस बात पर निर्भर करेगा कि कोरोना का वेरिएंट किस तरह का है और संक्रमण की तीव्रता कितनी है? कुछ वेरिएंट में खतरनाक संक्रमण होता है. दुनिया भर में अधिकतम अभी तक 25 फीसदी बच्चे कोरोना से प्रभावित हुए हैं तो भारत में भी इससे ज्यादा की आशंका नहीं है.

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