नई दिल्ली: सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है और आज सावन का पहला सोमवार है. सनातन धर्म में हिंदुओं के लिए सावन के सोमवार का खास महत्व होता है. श्रद्धालु इस दिन शंकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है.
दक्षिणी दिल्ली के पुल प्रहलाद पुर में स्थित विश्वकर्मा मंदिर में भी सावन के पहले सोमवार के दिन श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने के लिए मंदिर में पहुंचे. हालांकि इस बार भगवान के दर्शन और मंदिर में व्यवस्थाएं अलग है.
मंदिर में सोशल डिस्टेंस और सैनिटाइजर के साथ ही प्रवेश
मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए मंदिर में श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ नहीं लगने दी जा रही है. इसके अलावा सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए ही मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जा रहा है. मंदिर में प्रवेश के साथ ही सबसे पहले आपको सैनिटाइजर दिया जाएगा. जिससे आप अपने हाथों को सैनिटाइज करने के बाद ही मंदिर में प्रवेश करेंगे.
फल फूल चढ़ाने और मूर्तियों को छूने की अनुमति नहीं
विश्वकर्मा मंदिर के कि पंडित जी कुंज बिहारी ने बताया कि मंदिर में प्रवेश के साथ ही श्रद्धालुओं से कहा जा रहा है, कि वो फल फूल का चढ़ावा मंदिर में लेकर ना आए. शिवालय में केवल शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की अनुमति है. किसी भी मूर्ति को छूने की अनुमति नहीं है. इसके अलावा धूप दीपक जलाने के लिए शिवालय के बाहर ही इंतजाम किए गए हैं. इसके साथ ही मुख्य मंदिर को अभी नहीं खोला गया है. उसके द्वार भक्तों के लिए पर रखे गए हैं.
समुंद्र मंथन के दौरान भगवान भोलेनाथ ने किया था विष
इसके अलावा मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए आ रहे भक्त यही प्रार्थना कर रहे हैं, कि जल्द से जल्द इस भगवान संकट की घड़ी से पूरे विश्व को बचाए मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पहुंचे श्रद्धालु योगेश ने बताया कि जिस प्रकार भोलेनाथ ने समुंद्र मंथन के दौरान पी लिया था. वैसे ही हम प्रार्थना कर रहे हैं कि भगवान भोले ही हमें इस संकट की घड़ी से निकालेंगे.