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कोरोना से पति की मौत: खुदकुशी के लिए निकली विधवा और बच्चों का ख्याल रखेगी NGO - delhi NGO will take care of widow

कोरोना संक्रमण से पति की मौत के बाद एक अनपढ़ महिला का अपनी दो बेटियों का लालन-पालन करना मुश्किल हो गया तो चल दी खुदकुशी (Suicide attempt) करने, लेकिन मकान मालिक के समय रहते एनजीओ (NGO) और स्थानीय पार्षद को सूचना देने से विधवा महिला और उसके बच्चों की जान बचा ली गई.

delhi NGO will take care of widow and her children and elderly
विधवा महिला की मदद
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Published : May 31, 2021, 8:58 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण (Corona infection) कब किसके परिवार को लील जाएगा या घरवालों को सड़क पर ला देगा कोई नहीं जानता है. राजधानी दिल्ली में सैकड़ों ऐसे परिवार हैं जिनके मुखिया की कोरोना ने जान ले ली और परिवार अनाथ असहाय हो गया. ऐसा ही एक निचले मध्यमवर्ग परिवार की कहानी आपको बताते हैं जो अपने पति के कोरोना संक्रमण (Corona infection) के कारण हुई मौत के बाद अपने दो बेटियों को साथ लेकर खुदकुशी करने निकली थी.

खुदकुशी के लिए निकली विधवा को एनजीओ और पार्षद ने दिया सहारा.

जानकारी मिलते ही स्थानीय पार्षद (Local councilor) और स्थानीय एनजीओ (NGO) के अधिकारी ने उन्हें समझा बुझाकर घर लाया. उनकी चिंताओं का निदान करते हुए परिवार की आजीविका चलाने और उनकी दोनों बच्चियों के भविष्य को उज्जवल बनाने के सभी कार्य को सम्पन्न करवाने की जिम्मा उठाया.



पूजा कर रो-रोकर बुरा हाल है जब घर का मुखिया ही चला जाए तो हिम्मत तो टूटती ही है. 25 मई को मनमोहन का निधन हो गया था, उन्हें करोना था. अचानक इस हादसे ने मानों पूजा पर दुखों का पहाड़ ही टूट गया. एक तरफ 2 बेटियों और 84 वर्षीय बुजुर्ग की जिम्मेदारी और दूसरी तरफ घर के मुखिया का चला जाना. अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है कि परिवार पर क्या बीत रही होगी.

मृतक मनमोहन शर्मा प्राइवेट नौकरी करते थे, जिससे उनका भलीभांति घर चलता था पर अब वो नहीं तो सब कुछ खत्म, ऐसा उनकी पत्नी का मानना है. मनमोहन की पत्नी पूजा शर्मा अनपढ़ हैं, वो हमेशा घर में रहकर एक अच्छी हाउस वाइफ बनकर कर परिवार को चलाती रहीं और पति बाहर काम कर पैसे कमाते रहे, लेकिन अब हताश परेशान अपने पति के गुजर जाने के बाद पूजा को कहीं से कुछ भी उम्मीद मिलती न देख उसने अपने सीने पर पत्थर रख दोनों बच्चियों के साथ खुदकुशी करने के इरादे घर से निकली.

मकान मालिक ने जब परिवार के साथ घर से बाहर जाते देख पूछा तो उसने खुदकुशी की कोशिश (Suicide attempt) करने के बारे में कहा, मकान मालिक के रोकने पर नहीं रूकी. जिसके बाद मकान मालिक ने एनजीओ (NGO) के अधिकारी अर्जुन को इस मामले की जानकारी दी.

अर्जुन ने स्थानीय पार्षद को इस मामले की जानकारी देते हुए तुरंत पीड़ित महिला के पास पहुंच काफी समझाने के बाद उन्हें शांत किया. फिर स्थानीय पार्षद (Local councilor) ने एनजीओ (NGO) अधिकारी के सहयोग से घर में सबसे पहले मकान मालिक को 1 साल तक का 48,000 किराया दिया. घर में राशन, सब्जी, कपड़ा समेत अन्य जरूरत की चीजों की पूर्ति की गई.

ये भी पढ़ें- बॉलीवुड सिंगर मोहित चौहान और मीनाक्षी लेखी ने RML Hospital में बांटा खाना


बच्चियों को 12वीं कक्षा तक स्कूली पढ़ाई के लिए हॉस्टल में भर्ती कराया

उसके बाद दोनों बच्चियों को 12वीं कक्षा तक स्कूली पढ़ाई के लिए हॉस्टल में भर्ती कराया गया, जिसका सारा खर्च स्कूल प्रशासन उठायेगा. रहना, खाना, कपड़ा समेत सभी चीजें स्कूल की ओर से हमेशा मिलती रहेगी. अगर 12वीं के बाद बच्चों को आगे पढ़ना होगा, तो उसे वहां भी मदद की जाएगी. आपको बता दें कि विधवा पूजा शर्मा अनपढ़ हैं, उन्हें अपनी आजीविका चलाने के लिए एक स्थानीय नाैकरी लॉकडाउन खुलने के बाद पेट्रोल पंम्प पर दिलवाई जाएगी.

ये भी पढ़ें- अरविंद केजरीवाल सबको वैक्सीन लगवा रहे, भाजपा वाले गालियां दे रहे: सिसोदिया

दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल सरकार ने कहा था कि जिन लोगों की कोरोना से मौत हो गई हो और जो घर के मुख्य कमाने हो, उनके परिजनों को ₹50000, 2500 पेंशन और बच्चों की 25 साल तक की शिक्षा मुफ्त दी जाएगी, लेकिन अभी योजनाएं कागजों में ही उलझ कर रह गई है. हालांकि सरकार की तरफ से कहा गया है कि फाइल सोमवार तक मंजूर हो जाएगी और अगले ही हफ्ते से पीड़ित लोगों को मुआवजे की राशि लोगों को मिलना शुरू हो जाएगी. उम्मीद की जानी चाहिए मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की थी, उस पर जल्द ही अमल होगा ताकि ऐसे बेसहारा लोगों की मदद की जा सके.

ये भी पढ़ें- Delhi Lockdown: पिछले तीन महीने से बुजुर्गों को नहीं मिल रही पेंशन

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण (Corona infection) कब किसके परिवार को लील जाएगा या घरवालों को सड़क पर ला देगा कोई नहीं जानता है. राजधानी दिल्ली में सैकड़ों ऐसे परिवार हैं जिनके मुखिया की कोरोना ने जान ले ली और परिवार अनाथ असहाय हो गया. ऐसा ही एक निचले मध्यमवर्ग परिवार की कहानी आपको बताते हैं जो अपने पति के कोरोना संक्रमण (Corona infection) के कारण हुई मौत के बाद अपने दो बेटियों को साथ लेकर खुदकुशी करने निकली थी.

खुदकुशी के लिए निकली विधवा को एनजीओ और पार्षद ने दिया सहारा.

जानकारी मिलते ही स्थानीय पार्षद (Local councilor) और स्थानीय एनजीओ (NGO) के अधिकारी ने उन्हें समझा बुझाकर घर लाया. उनकी चिंताओं का निदान करते हुए परिवार की आजीविका चलाने और उनकी दोनों बच्चियों के भविष्य को उज्जवल बनाने के सभी कार्य को सम्पन्न करवाने की जिम्मा उठाया.



पूजा कर रो-रोकर बुरा हाल है जब घर का मुखिया ही चला जाए तो हिम्मत तो टूटती ही है. 25 मई को मनमोहन का निधन हो गया था, उन्हें करोना था. अचानक इस हादसे ने मानों पूजा पर दुखों का पहाड़ ही टूट गया. एक तरफ 2 बेटियों और 84 वर्षीय बुजुर्ग की जिम्मेदारी और दूसरी तरफ घर के मुखिया का चला जाना. अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है कि परिवार पर क्या बीत रही होगी.

मृतक मनमोहन शर्मा प्राइवेट नौकरी करते थे, जिससे उनका भलीभांति घर चलता था पर अब वो नहीं तो सब कुछ खत्म, ऐसा उनकी पत्नी का मानना है. मनमोहन की पत्नी पूजा शर्मा अनपढ़ हैं, वो हमेशा घर में रहकर एक अच्छी हाउस वाइफ बनकर कर परिवार को चलाती रहीं और पति बाहर काम कर पैसे कमाते रहे, लेकिन अब हताश परेशान अपने पति के गुजर जाने के बाद पूजा को कहीं से कुछ भी उम्मीद मिलती न देख उसने अपने सीने पर पत्थर रख दोनों बच्चियों के साथ खुदकुशी करने के इरादे घर से निकली.

मकान मालिक ने जब परिवार के साथ घर से बाहर जाते देख पूछा तो उसने खुदकुशी की कोशिश (Suicide attempt) करने के बारे में कहा, मकान मालिक के रोकने पर नहीं रूकी. जिसके बाद मकान मालिक ने एनजीओ (NGO) के अधिकारी अर्जुन को इस मामले की जानकारी दी.

अर्जुन ने स्थानीय पार्षद को इस मामले की जानकारी देते हुए तुरंत पीड़ित महिला के पास पहुंच काफी समझाने के बाद उन्हें शांत किया. फिर स्थानीय पार्षद (Local councilor) ने एनजीओ (NGO) अधिकारी के सहयोग से घर में सबसे पहले मकान मालिक को 1 साल तक का 48,000 किराया दिया. घर में राशन, सब्जी, कपड़ा समेत अन्य जरूरत की चीजों की पूर्ति की गई.

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बच्चियों को 12वीं कक्षा तक स्कूली पढ़ाई के लिए हॉस्टल में भर्ती कराया

उसके बाद दोनों बच्चियों को 12वीं कक्षा तक स्कूली पढ़ाई के लिए हॉस्टल में भर्ती कराया गया, जिसका सारा खर्च स्कूल प्रशासन उठायेगा. रहना, खाना, कपड़ा समेत सभी चीजें स्कूल की ओर से हमेशा मिलती रहेगी. अगर 12वीं के बाद बच्चों को आगे पढ़ना होगा, तो उसे वहां भी मदद की जाएगी. आपको बता दें कि विधवा पूजा शर्मा अनपढ़ हैं, उन्हें अपनी आजीविका चलाने के लिए एक स्थानीय नाैकरी लॉकडाउन खुलने के बाद पेट्रोल पंम्प पर दिलवाई जाएगी.

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दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल सरकार ने कहा था कि जिन लोगों की कोरोना से मौत हो गई हो और जो घर के मुख्य कमाने हो, उनके परिजनों को ₹50000, 2500 पेंशन और बच्चों की 25 साल तक की शिक्षा मुफ्त दी जाएगी, लेकिन अभी योजनाएं कागजों में ही उलझ कर रह गई है. हालांकि सरकार की तरफ से कहा गया है कि फाइल सोमवार तक मंजूर हो जाएगी और अगले ही हफ्ते से पीड़ित लोगों को मुआवजे की राशि लोगों को मिलना शुरू हो जाएगी. उम्मीद की जानी चाहिए मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की थी, उस पर जल्द ही अमल होगा ताकि ऐसे बेसहारा लोगों की मदद की जा सके.

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