नई दिल्ली: कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है और कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए कर्मचारियों की परेशानी भी साथ में बढ़ती जा रही है. इस कोरोना काल में हजारों कांट्रेक्चुअल स्टाफ हैं. जो अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर कोरोना मरीजों की सेवा कर रहे हैं. उनकी नियोक्ता कंपनी उनका शोषण कर रही है. कर्मचारियों को ना तो सम्मानजनक वेतन, ना ही पीएफ और मेडिकल जैसी मूल सुविधाएं दी जा रही है. इसी मुद्दे को लेकर राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल के कांट्रेक्चुअल स्टाफ अपने नियोक्ता कंपनी के खिलाफ अस्पताल परिसर में ही प्रदर्शन कर रहे हैं.
इमरजेंसी में छुट्टी लेने पर कटता पैसा
कर्मचारियों का आरोप है कि उनके पीएफ का पैसा काटा जा रहा है लेकिन खाते में नहीं डाला जा रहा है और बीमार पड़ने पर मेडिकल की कोई सुविधा नहीं दी जाती है. कुछ स्टाफ के लिए ईएसआई कार्ड बना दिया है ताकि वो दिखा सके कि वो अपने स्टाफ का ध्यान रख रहे हैं. इमरजेंसी में अगर छुट्टी कर ले तो छुट्टियों के पैसे काट लिए जाते हैं. इनका आरोप है कि अस्पताल प्रशासन से इनकी नियोक्ता कंपनी को प्रति स्टाफ की दर से ज्यादा पैसे मिलते हैं, लेकिन इसके बदले में उन्हें बहुत कम पैसे दिए जाते हैं.
नहीं दी जाती सामाजिक सुरक्षा
एक कर्मचारी प्रेमशंकर यादव ने बताया कि आरएमएल अस्पताल में 600 कॉन्ट्रैक्ट वाले स्टाफ हैं, जो आउटसोर्सिंग कंपनी के जरिए काम कर रहे हैं. उन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं दी जाती है. बीमार पड़ने पर में मेडिकल की सुविधा भी नहीं मिलती है. सिर्फ दिखावे के लिए कुछ लोगों के पीएफ के पैसे कटे जाते हैं, लेकिन उन्हें पीएफ नंबर नहीं दिया गया है. पैसा काटकर उसे पीएफ खाते में नहीं डाला जाता है.
कंपनी से अधिकार हैं मांगना
प्रेमशंकर यादव ने दूसरे कर्मचारियों से आह्वान करते हुए कहा कि जब तक हम लोग संगठित नहीं होंगे, रोएंगे नहीं, अपनी नहीं आवाज उठाएंगे. तब तक यह कंपनी उनकी आवाज सुनने वाली नहीं हैं. उन्होंने बाकी दूसरे स्टाफ को संगठित होने की अपील करते हुए कहा कि हम सभी को इकट्ठा होकर आवाज उठाने की जरूरत है. कंपनी से हमें अपना अधिकार मांगना है. सम्मानजनक वेतन मेडिकल और पीएफ जैसी सुविधाएं उनका अधिकार है. उन्होंने अपने नियोक्ता कंपनी को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्हें उनका अधिकार नहीं दिया जाएगा, तो वे लोग प्रदर्शन करेंगे.