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कोरोना के बीच हिन्दू शरणार्थियों पर छाया संकट, कहा- वीजा होता तो वापस चले जाते पाकिस्तान

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Published : May 19, 2021, 9:24 PM IST

भाटी माइंस में पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी रहते हैं, जो दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे थे. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद से उन्हें दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो पा रहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए इन लोगों ने कहा कि अगर इनके पास वीजा होता तो ये यहां भूखा मरने के बजाय आज ही पाकिस्तान वापस चले जाते.

condition of hindu refugees during lockdown in bhati mines delhi
कोरोना के बीच हिन्दू शरणार्थियों पर छाया संकट

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना की रफ्तार कम करने के लिए लगातार लॉकडाउन बढ़ाया जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम दक्षिणी दिल्ली के भाटी माइंस गांव पहुंची, जहां पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी काफी परेशान हैं और बहुत ही कठिनाइयों से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. ये वही हिन्दू शरणार्थी हैं, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में CAA कानून को लेकर बहुत बड़ा मुद्दा बने थे. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद अब ये लोग किसी राजनीतिक दल को याद नहीं है.

कोरोना के बीच हिन्दू शरणार्थियों पर छाया संकट

यह भी पढ़ेंः-कोरोना और लॉकडाउन के बीच पाक-हिन्दू कैम्प में शरणार्थियों के सामने जीवनयापन का संकट

2 वक्त का खाना जुटाना हो रहा है मुश्किल

इन हिन्दू शरणार्थियों ने ईटीवी भारत के जरिए अपना दर्द बयां किया. उन्होंने बताया कि हम प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरी कर अपना और आपने बच्चों का पेट भर रहे थे. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद से उनके पास जो भी खाने का राशन था, वो खत्म हो गया है. इस वजह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

दुकानों से उधार लेने को मजबूर

इन शरणार्थियों के कहना है कि अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए दुकानों से उधार लेने को मजबूर हैं. उधार ज्यादा होने के कारण अब दुकानदार भी इनसे पैसे मांग रहे हैं. इनका कहना हैं कि भूख मिटाने के लिए इनके सर पर कर्जा चढ़ता रहा है. ऐसे में कामकाज बंद होने से ये कैसे कर्ज को चुकाएंगे ये सोचकर भी काफी चिंतित हैं.

'वीजा होता तो आज चले जाते पाकिस्तान'

इन शरणार्थियों ने दुख जाहिर करते हुए कहा कि पाकिस्तान में ये प्रताड़ित होकर अपना घरबार छोड़कर भारत बहुत उम्मीद से आए थे कि यहां अपना जीवन अच्छे से बिताएंगे. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि यहां भी इन्हें संकट भरा जीवन ही जीना पड़ेगा. मजबूर होकर इन लोगों का कहना है कि यहां भूखा मरने से अच्छा है. अगर इनके पास वीजा होता तो ये आज ही पाकिस्तान वापिस चले जाते.

सरकार से लगाई मदद की गुहार

इन शरणार्थियों ने सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए कहा है कि हमारी समस्या की ओर भी ध्यान दिया जाए. जिससे हमें भी दो वक्त का खाना नसीब हो और ये अभी अपना जीवन सही यापन कर पाएं.

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना की रफ्तार कम करने के लिए लगातार लॉकडाउन बढ़ाया जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम दक्षिणी दिल्ली के भाटी माइंस गांव पहुंची, जहां पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी काफी परेशान हैं और बहुत ही कठिनाइयों से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. ये वही हिन्दू शरणार्थी हैं, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में CAA कानून को लेकर बहुत बड़ा मुद्दा बने थे. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद अब ये लोग किसी राजनीतिक दल को याद नहीं है.

कोरोना के बीच हिन्दू शरणार्थियों पर छाया संकट

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2 वक्त का खाना जुटाना हो रहा है मुश्किल

इन हिन्दू शरणार्थियों ने ईटीवी भारत के जरिए अपना दर्द बयां किया. उन्होंने बताया कि हम प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरी कर अपना और आपने बच्चों का पेट भर रहे थे. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद से उनके पास जो भी खाने का राशन था, वो खत्म हो गया है. इस वजह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

दुकानों से उधार लेने को मजबूर

इन शरणार्थियों के कहना है कि अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए दुकानों से उधार लेने को मजबूर हैं. उधार ज्यादा होने के कारण अब दुकानदार भी इनसे पैसे मांग रहे हैं. इनका कहना हैं कि भूख मिटाने के लिए इनके सर पर कर्जा चढ़ता रहा है. ऐसे में कामकाज बंद होने से ये कैसे कर्ज को चुकाएंगे ये सोचकर भी काफी चिंतित हैं.

'वीजा होता तो आज चले जाते पाकिस्तान'

इन शरणार्थियों ने दुख जाहिर करते हुए कहा कि पाकिस्तान में ये प्रताड़ित होकर अपना घरबार छोड़कर भारत बहुत उम्मीद से आए थे कि यहां अपना जीवन अच्छे से बिताएंगे. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि यहां भी इन्हें संकट भरा जीवन ही जीना पड़ेगा. मजबूर होकर इन लोगों का कहना है कि यहां भूखा मरने से अच्छा है. अगर इनके पास वीजा होता तो ये आज ही पाकिस्तान वापिस चले जाते.

सरकार से लगाई मदद की गुहार

इन शरणार्थियों ने सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए कहा है कि हमारी समस्या की ओर भी ध्यान दिया जाए. जिससे हमें भी दो वक्त का खाना नसीब हो और ये अभी अपना जीवन सही यापन कर पाएं.

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