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एम्स में पहली बार हाइब्रिड मोड कॉन्वोकेशन, RDA ने जताई आपत्ति

एम्स में 11 जनवरी को दो साल के अंतराल के बाद दीक्षांत समारोह का आयोजन किया जा रहा है. पहली बार यहां हाइब्रिड मोड कॉन्वोकेशन हो रहा है, जिसमें कुछ छात्रों को फिजिकल और कुछ छात्रों को ऑनलाइन डिग्री दी जाएगी.

aiims convocation
एम्स दीक्षांत समारोह
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Published : Jan 10, 2021, 5:47 PM IST

नई दिल्लीः देश के सबसे बड़े अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज एम्स में 11 जनवरी को दीक्षांत समारोहों का आयोजन हो रहा है. इस दीक्षांत समारोह की खासियत यह है कि पहली बार हाइब्रिड मोड कन्वोकेशन किया जा रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आधे छात्रों को फिजिकल और आधे को ऑनलाइन डिग्री अवार्ड किए जाएंगे. एम्स प्रशासन का कहना है कि ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से बड़ी संख्या में एक जगह पर अधिक भीड़ इकट्ठा नहीं हो सकती है.

एम्स में पहली बार हाइब्रिड मोड में कॉन्वोकेशन

सरकारी गाइडलाइन के तहत सभी छात्रों को एक साथ दीक्षांत समारोह में डिग्री अवॉर्ड नहीं किया जाएगा. वहीं एम्स के सोसायटी ऑफ यंग साइंटिस्ट और रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने डायरेक्टर और एसोसिएट डीन को लेटर लिखकर इस संबंध में अपनी आपत्ति जाहिर की है. साथ ही एम्स प्रशासन से इस पर दोबारा निर्णय लेने की अपील की है.

एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स ने दिए ये सुझाव

इस संबंध में एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया को लेटर लिखकर कुछ सुझाव दिए हैं, जिनमें छोटे-छोटे बैच में दीक्षांत समारोह करने का सुझाव दिया गया है. किसी बड़े स्टेडियम या ऑडिटोरियम को बुक कर वहां कन्वोकेशन आयोजित करने के बारे में भी कहा गया है. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि कॉन्वोकेशन में किसी भी हाल में देरी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह 2 साल पहले ही विलंब से हो रहा है.

पीएचडी और एमएससी के छात्रों को भी किया अलग

पीएचडी और एमएससी के छात्र, जिन्हें एम्स के 47वें दीक्षांत समारोह में डिग्री अवॉर्ड किया जाना है, लेकिन इन्हें फिजिकल कन्वोकेशन में आमंत्रित करने के बजाय वर्चुअल कन्वोकेशन के जरिए डिग्री अवार्ड किए जाएंगे. सभी की सुविधा के लिए सोसायटी ऑफ यंग साइंटिस्ट ने प्रशासन से फिजिकल कन्वोकेशन किसी खुले स्टेडियम में आयोजित करने की मांग की है, ताकि वहां सोशल डिस्टेंस को मेंटेन किया जा सके और सभी को विधिवत डिग्री भी मिल सके.

कॉन्वोकेशन को टालने का प्रस्ताव

यह भी सुझाव दिया गया है कि अगर मौजूदा समय में इस तरह का कन्वोकेशन संभव नहीं है, तो अगले 6 महीने के लिए इसे टाल दिया जाए. क्योंकि तब तक सभी रिसर्च स्कॉलर को टीके लगाए जा चुके होंगे और तब कोरोना वायरस को लेकर सोशल डिस्टेंस मेंटेन रखने वाली शर्त लागू नहीं होगी. एक और प्रस्ताव दिया गया है कि एक ऐसी जगह पर अवार्ड प्रोग्राम का आयोजन किया जाए, जहां छात्र कम से कम मुख्य अतिथि के हाथों से डिग्री ले सके और फोटो खींचा सके.

दो साल की देरी को लेकर छात्र चिंतित

वहीं सोसायटी ऑफ यंग साइंटिस्ट ने भी चिंता जाहिर की है कि पिछले 2 वर्षों से दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं किया जा रहा है. इसकी वजह से डिग्री पाने वाले छात्रों की संख्या ज्यादा हो गई है. अपने जीवन भर की उपलब्धि में हो रही देरी को लेकर छात्रों में थोड़ी निराशा है. साइंटिस्ट ने आश्वासन दिया है कि हर हाल में वे लोग कोविड-19 से संबंधित सभी गाइडलाइंस का पालन करेंगे.

यह भी पढ़ेंः-AIIMS से प्रेरित हो दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल ने जन्मदिन पर किया रक्तदान

नई दिल्लीः देश के सबसे बड़े अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज एम्स में 11 जनवरी को दीक्षांत समारोहों का आयोजन हो रहा है. इस दीक्षांत समारोह की खासियत यह है कि पहली बार हाइब्रिड मोड कन्वोकेशन किया जा रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आधे छात्रों को फिजिकल और आधे को ऑनलाइन डिग्री अवार्ड किए जाएंगे. एम्स प्रशासन का कहना है कि ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से बड़ी संख्या में एक जगह पर अधिक भीड़ इकट्ठा नहीं हो सकती है.

एम्स में पहली बार हाइब्रिड मोड में कॉन्वोकेशन

सरकारी गाइडलाइन के तहत सभी छात्रों को एक साथ दीक्षांत समारोह में डिग्री अवॉर्ड नहीं किया जाएगा. वहीं एम्स के सोसायटी ऑफ यंग साइंटिस्ट और रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने डायरेक्टर और एसोसिएट डीन को लेटर लिखकर इस संबंध में अपनी आपत्ति जाहिर की है. साथ ही एम्स प्रशासन से इस पर दोबारा निर्णय लेने की अपील की है.

एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स ने दिए ये सुझाव

इस संबंध में एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया को लेटर लिखकर कुछ सुझाव दिए हैं, जिनमें छोटे-छोटे बैच में दीक्षांत समारोह करने का सुझाव दिया गया है. किसी बड़े स्टेडियम या ऑडिटोरियम को बुक कर वहां कन्वोकेशन आयोजित करने के बारे में भी कहा गया है. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि कॉन्वोकेशन में किसी भी हाल में देरी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह 2 साल पहले ही विलंब से हो रहा है.

पीएचडी और एमएससी के छात्रों को भी किया अलग

पीएचडी और एमएससी के छात्र, जिन्हें एम्स के 47वें दीक्षांत समारोह में डिग्री अवॉर्ड किया जाना है, लेकिन इन्हें फिजिकल कन्वोकेशन में आमंत्रित करने के बजाय वर्चुअल कन्वोकेशन के जरिए डिग्री अवार्ड किए जाएंगे. सभी की सुविधा के लिए सोसायटी ऑफ यंग साइंटिस्ट ने प्रशासन से फिजिकल कन्वोकेशन किसी खुले स्टेडियम में आयोजित करने की मांग की है, ताकि वहां सोशल डिस्टेंस को मेंटेन किया जा सके और सभी को विधिवत डिग्री भी मिल सके.

कॉन्वोकेशन को टालने का प्रस्ताव

यह भी सुझाव दिया गया है कि अगर मौजूदा समय में इस तरह का कन्वोकेशन संभव नहीं है, तो अगले 6 महीने के लिए इसे टाल दिया जाए. क्योंकि तब तक सभी रिसर्च स्कॉलर को टीके लगाए जा चुके होंगे और तब कोरोना वायरस को लेकर सोशल डिस्टेंस मेंटेन रखने वाली शर्त लागू नहीं होगी. एक और प्रस्ताव दिया गया है कि एक ऐसी जगह पर अवार्ड प्रोग्राम का आयोजन किया जाए, जहां छात्र कम से कम मुख्य अतिथि के हाथों से डिग्री ले सके और फोटो खींचा सके.

दो साल की देरी को लेकर छात्र चिंतित

वहीं सोसायटी ऑफ यंग साइंटिस्ट ने भी चिंता जाहिर की है कि पिछले 2 वर्षों से दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं किया जा रहा है. इसकी वजह से डिग्री पाने वाले छात्रों की संख्या ज्यादा हो गई है. अपने जीवन भर की उपलब्धि में हो रही देरी को लेकर छात्रों में थोड़ी निराशा है. साइंटिस्ट ने आश्वासन दिया है कि हर हाल में वे लोग कोविड-19 से संबंधित सभी गाइडलाइंस का पालन करेंगे.

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