नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में एक ऐसे व्यक्ति के पेट के अंदर से लीवर में धंसे धारदार चाकू को ऑपरेशन करके निकालने वाले डॉ. एनआर दास को एम्स के डॉक्टर ने दुनिया भर में देश का नाम ऊंचा करने के लिये सैल्यूट किया है. यह किसी चमत्कार से कम नहीं है और पूरी दुनिया में इस तरह का एक अकेला मामला है जिसमें चमत्कारिक ढंग से कोई व्यक्ति 20 सेमी का चाकू लीवर में धंसने के बावजूद जिंदा बच गया हो. हैरानी इस बात की है कि वह धारदार चाकू गले के नीचे सांस नली और आहार नली को बिना नुकसान पहुंचाए पेट के अंदर कैसे आ गया. आहारनाल से होते हुए फेफड़ा और दिल को भी यह चीर सकता था. जिससे व्यक्ति की तुरंत मौत हो सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसको चमत्कार कहा जा रहा है.
एम्स के कार्डियो रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमरिंदर सिंह इस घटना को अद्भुत और अलौकिक मानते हैं. उनका कहना है कि ऊपर वाला जिस व्यक्ति को बचाना चाहे उसे दुनिया की कोई भी ताकत नहीं मार सकती है. उन्होंने कहा कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. एनआर दास ने ऐसी सर्जरी की है जो चिकित्सा जगत ने आज तक इससे पहले कहीं नहीं की गई है. इस तरह का के इस मेडिकल हिस्ट्री में कहीं भी दर्ज नहीं है. उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ महीने पहले एक व्यक्ति ने 20 सेमी का एक चाकू निगल लिया. यह चाकू सीधे पेट में जाकर 10 इंच अंदर लीवर तक धंस गया. इस तरह का काम कोई स्वस्थ व्यक्ति नहीं कर सकता है. जाहिर सी बात है मानसिक रूप से बीमार ही कोई व्यक्ति ऐसा कर सकता है.
19 जुलाई को सर्जरी कर निकाला चाकू
डॉ अमरिंदर में बताया कि 19 जुलाई को सर्जरी कर डॉक्टर दास ने इस व्यक्ति के लिवर में 20 सेमी के चाकू को निकाला. जब चाकू को निकाला गया तो वह पूरी तरह से जंग खाया हुआ था. उसके जंग की वजह से ही उस व्यक्ति का इन्फेक्शन काफी बढ़ गया था. टीएलसी काउंट 22 हजार तक पहुंच गया था जो सामान्य तौर पर 4 से 11000 तक ही होता है. पूरी दुनिया में यह अपनी तरह का पहला मामला है.
पानी के साथ निगल लिया था धारदार चाकू
दरअसल हरियाणा के पलवल जिले का रहने वाला व्यक्ति नशे का शिकार था. नशे का सामान नहीं मिलने पर इसमें 1 लीटर पानी के साथ धारदार चाकू को निगल लिया. इस बात की जानकारी उसने किसी को नहीं दी थी. चाकू डेढ़ महीने तक उसके पेट में धंसा रहा, जब पेट के अंदर मवाद भरने लगा. संक्रमण फैलने लगा तो पेट में असहनीय दर्द होने लगा. इससे परेशान होकर यह व्यक्ति सफदरजंग अस्पताल में इलाज कराने आया, लेकिन यहां पर इसकी स्थिति को देखते हुए एम्स रेफर कर दिया गया.
हो सकती था मौत
डॉक्टर दास के मुताबिक 12 जुलाई को इस मरीज को सफदरजंग से एम्स में रेफर किया गया था. उस समय इसकी बहुत हालत खराब थी. सीबीएस जांच करने पर पता चला कि खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा सिर्फ छह ही बची है. इसके अलावा लीवर और फेफड़े में पूरी तरह से मवाद भर गया था. अगर जल्दी ही ऑपरेशन कर चाकू को नहीं निकाला जाता तो संक्रमण की वजह से मरीज की मौत हो सकती थी.
डॉक्टर के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी मरीज को ऑपरेशन के लिए तैयार करना यह बिल्कुल आसान नहीं था. क्योंकि ऑपरेशन के लिए शरीर बहुत ही कमजोर था और उसके लिए उसके खून में हीमोग्लोबिन का लेवल बहुत ही कम था. इसीलिए ऑपरेशन के लिए तैयार करने के लिए मरीज को पौष्टिक खानपान देकर उसके खून में हीमोग्लोबिन के लेवल को बढ़ाया गया.
खून की नसें सर्जरी को बनाया जटिल
डॉ. दास के मुताबिक जहां चाकू लीवर में था वहां लीवर की तरफ आने वाले खून की नसें थी. साथ ही वहां से अमाशय की तरफ जाने वाली पित्त रस को पहुंचाने वाली नस भी थी. ऐसी स्थिति सर्जरी को काफी चुनौतीपूर्ण बना रही थी. सुरक्षित सर्जरी के लिए आंत के रास्ते लीवर तक पहुंचने का फैसला किया गया. लीवर तक पहुंचने के बाद धीरे से चाकू को वहां से हटाया गया. इसके लिए काफी सावधानी बरती गई. इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि चाकू निकालते समय खून की कोई नस ना कट जाए.