नई दिल्लीः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) परिसर में धूल और ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए इन पर नियंत्रण के लिए एक अच्छी पहल की गई है. एम्स परिसर में अब कहीं भी निर्माण या पुनरोद्धार से जुड़े कबाड़ को खुले में नहीं रखा जाएगा और गाड़ियों की आवाजाही पर भी लगाम लगाया जाएगा, ताकि अस्पताल में अनावश्यक शोर-शराबा से मरीजों को परेशानी ना हो.
एम्स में मरीजों, कर्मचारियों और स्वच्छ वातावरण के बिगड़ने से होने वाली असुविधा को देखते हुए निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने संगमरमर काटने, लकड़ी काटने, पीसने और अन्य निर्माण मरम्मत और नवीकरण गतिविधियों को एक विशिष्ट साइट पर प्रतिबंधित करने के लिए एक दिशा-निर्देश जारी किया है. जो विभाग इस काम को देखेगा उसका इंजीनियरिंग यार्ड के रूप में नामित किया गया है. 31 जुलाई 2023 तक यह यार्ड बनकर तैयार हो जाएगा.
बता दें कि एम्स परिसर में या किसी बिल्डिंग में मरम्मत और नवीनीकरण के काम से मरीजों और कर्मचारियों को असुविधा होती है और इससे काफी ध्वनि और धूल प्रदूषण होता है. अब से रिपेयर रेनोवेशन से जुड़े सभी काम ई-इंजीनियरिंग यार्ड में किए जाएंगे और फाइनल असेंबल और इंस्टालेशन के लिए नॉकडाउन स्टेट में कंस्ट्रक्शन साइट तक पहुंचाए जाएंगे.
इंजीनियरिंग यार्ड में ही सारे निर्माण संबंधी कार्य होंगे. इसका निर्माण उचित वेंटिलेशन के साथ सभी मौसम की सुविधा के रूप में किया जाएगा और यह पीने के पानी और शौचालय की सुविधा जैसी बुनियादी सुविधाओं से लैस होगा. इंजीनियरिंग विभाग जगह का नियमित रखरखाव सुनिश्चित करेगा और यदि आवश्यक हो, तो निर्माण गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए पानी और बिजली के प्रावधान किए जाएंगे.
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निदेशक 15 दिनों के भीतर सभी मरम्मत और जीर्णोद्धार का काम पूरा कर लिया जाए. इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, इंजीनियरिंग अनुबंध प्रत्येक परियोजना के लिए आवश्यक श्रमिकों की न्यूनतम संख्या निर्दिष्ट करेंगे. इसके अलावा, धूल और ध्वनि प्रदूषण को कम करते हुए निर्माण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ठेकेदारों को आधुनिक उपकरणों, प्रौद्योगिकी और विधियों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन, जिसमें इंजीनियरिंग साइट की उचित घेराबंदी और कर्मचारियों, जनता और श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों का कार्यान्वयन अनिवार्य होगा.
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