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Safdarjung Hospital: बच्चों के लिए 24 घंटे होमो डायलिसिस की सुविधा शुरू, नहीं होंगे दूसरे अस्पताल में रेफर

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Published : Jun 14, 2023, 7:29 AM IST

एक्यूट किडनी फेल्योर बच्चों के लिए अब सफदरजंग अस्पताल में होमो डायलिसिस की सुविधा मंगलवार से शुरू कर दी गई है. ​चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएल शेरवाल ने इस सुविधा का उद्घाटन किया. अब डायलिसिस के लिए बच्चों को दूसरे अस्पताल में रेफर नहीं करना पड़ेगा.

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नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल में मंगलवार को बच्चों के लिए होमो डायलिसिस की सुविधा शुरू की गई. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएल शेरवाल ने बाल रोग विभाग में इस नई सुविधा का उद्घाटन किया. इस पहल के साथ, सफदरजंग अस्पताल उत्तर भारत में बच्चों के लिए हेमो डायलिसिस सुविधा प्रदान करने वाला केंद्र सरकार का दूसरा अस्पताल बन गया है. एम्स में यह सुविधा पहले से उपलब्ध है. पहले कुछ मामलों में तो बच्चों की डायलिसिस सफदरजंग में होती रहती थी, लेकिन कई बार बच्चों को एम्स या कलावती सरन अस्पताल में रेफर किया जाता था. अब सफदरजंग में यह सुविधा शुरू होने पर दिल्ली में बच्चों का डायलिसिस करने वाले तीन सरकारी अस्पताल हो जाएंगे.

किडनी, ब्लड कैंसर, एप्लास्टिक एनीमिया और हीमोफीलिया से पीड़ित बच्चों को डायलिसिस के लिए अब दूसरे अस्पतालों में रेफर नहीं करना पड़ेगा. अस्पताल के पुराने नेफ्रोलोजी विभाग में डायलिसिस इकाई की जगह ही नई इकाई शुरू की गई है. वहीं, पुरानी डायलिसिस इकाई को नए सुपर कनेक्शन स्पेशियलिटी ब्लॉक में चलाया जा रहा है. दरअसल, दिल्ली में आसपास के राज्यों से बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे रेफर किए जाते हैं, जिनकी किडनी फेल होती है या वे रक्त संबंधित किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं, जिन्हें खून चढ़ाने के लिए डायलिसिस की आवश्यकता होती है. सफदरजंग अस्पताल में चाइल्ड होमो डायलिसिस की सुविधा होने से इन बाल मरीजों को लाभ होगा.

किडनी फेल वाले बच्चों को मिलेगा नया जीवन
अस्पताल के एमएस डॉ. बीएल शेरवाल ने बताया कि बच्चों में गुर्दे की विफलता असामान्य नहीं है. एक्यूट किडनी फेल्योर के कारण बड़ी संख्या में मौतें होती हैं, जिनमें से कई उपचार योग्य हैं. क्रोनिक किडनी फेल्योर में भी आउट पेशेंट उपस्थिति का लगभग 10 प्रतिशत शामिल होता है, जो बड़ी संख्या में होता है और उनमें से अधिकांश को प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा अवधि में एचडी की आवश्यकता होती है. मौजूदा समय में मांग और उपलब्ध सेवाओं के बीच बड़ा अंतर है. दिल्ली के साथ-साथ आसपास के राज्यों के दूरदराज के इलाकों से आने वाले किडनी फेल्योर वाले बच्चों के लिए यह एक अच्छी सुविधा होगी. इससे उन्हें नया जीवन मिलेगा.

ये भी पढे़ंः देश का पहला किडनी डायलिसिस अस्पताल, इलाज-दवा के साथ खाना भी फ्री!

बता दें कि सफदरजंग अस्पताल ने फरवरी में डायलिसिस करने का समय चार घंटे बढ़ा दिया था. इससे सुबह इमरजेंसी के कुछ मामलों को छोड़कर सुबह 9 बजे से शाम को 8 बजे तक डायलिसिस होने लगी है. इससे 25 प्रतिशत और मरीजों को डायलिसिस की सुविधा उसी दिन मिल जाती है, जिस दिन डॉक्टर लिखते हैं. अब यहां 24 घंटे डायलिसिस की सुविधा शुरू हो गई है. अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में अत्याधुनिक हेमो डायलिसिस यूनिट की भी शुरुआत की गई है.

ये भी पढ़ेंः राजौरी गार्डन गुरुद्वारे में 750 रुपए में हो रही डायलिसिस

नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल में मंगलवार को बच्चों के लिए होमो डायलिसिस की सुविधा शुरू की गई. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएल शेरवाल ने बाल रोग विभाग में इस नई सुविधा का उद्घाटन किया. इस पहल के साथ, सफदरजंग अस्पताल उत्तर भारत में बच्चों के लिए हेमो डायलिसिस सुविधा प्रदान करने वाला केंद्र सरकार का दूसरा अस्पताल बन गया है. एम्स में यह सुविधा पहले से उपलब्ध है. पहले कुछ मामलों में तो बच्चों की डायलिसिस सफदरजंग में होती रहती थी, लेकिन कई बार बच्चों को एम्स या कलावती सरन अस्पताल में रेफर किया जाता था. अब सफदरजंग में यह सुविधा शुरू होने पर दिल्ली में बच्चों का डायलिसिस करने वाले तीन सरकारी अस्पताल हो जाएंगे.

किडनी, ब्लड कैंसर, एप्लास्टिक एनीमिया और हीमोफीलिया से पीड़ित बच्चों को डायलिसिस के लिए अब दूसरे अस्पतालों में रेफर नहीं करना पड़ेगा. अस्पताल के पुराने नेफ्रोलोजी विभाग में डायलिसिस इकाई की जगह ही नई इकाई शुरू की गई है. वहीं, पुरानी डायलिसिस इकाई को नए सुपर कनेक्शन स्पेशियलिटी ब्लॉक में चलाया जा रहा है. दरअसल, दिल्ली में आसपास के राज्यों से बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे रेफर किए जाते हैं, जिनकी किडनी फेल होती है या वे रक्त संबंधित किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं, जिन्हें खून चढ़ाने के लिए डायलिसिस की आवश्यकता होती है. सफदरजंग अस्पताल में चाइल्ड होमो डायलिसिस की सुविधा होने से इन बाल मरीजों को लाभ होगा.

किडनी फेल वाले बच्चों को मिलेगा नया जीवन
अस्पताल के एमएस डॉ. बीएल शेरवाल ने बताया कि बच्चों में गुर्दे की विफलता असामान्य नहीं है. एक्यूट किडनी फेल्योर के कारण बड़ी संख्या में मौतें होती हैं, जिनमें से कई उपचार योग्य हैं. क्रोनिक किडनी फेल्योर में भी आउट पेशेंट उपस्थिति का लगभग 10 प्रतिशत शामिल होता है, जो बड़ी संख्या में होता है और उनमें से अधिकांश को प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा अवधि में एचडी की आवश्यकता होती है. मौजूदा समय में मांग और उपलब्ध सेवाओं के बीच बड़ा अंतर है. दिल्ली के साथ-साथ आसपास के राज्यों के दूरदराज के इलाकों से आने वाले किडनी फेल्योर वाले बच्चों के लिए यह एक अच्छी सुविधा होगी. इससे उन्हें नया जीवन मिलेगा.

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बता दें कि सफदरजंग अस्पताल ने फरवरी में डायलिसिस करने का समय चार घंटे बढ़ा दिया था. इससे सुबह इमरजेंसी के कुछ मामलों को छोड़कर सुबह 9 बजे से शाम को 8 बजे तक डायलिसिस होने लगी है. इससे 25 प्रतिशत और मरीजों को डायलिसिस की सुविधा उसी दिन मिल जाती है, जिस दिन डॉक्टर लिखते हैं. अब यहां 24 घंटे डायलिसिस की सुविधा शुरू हो गई है. अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में अत्याधुनिक हेमो डायलिसिस यूनिट की भी शुरुआत की गई है.

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